लोहा फैक्ट्रियों के कारोबार को लगा जंग
शामलीजेएनएनभले ही केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए आर्थिक पैकेज देकर उद्योगों को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने का काम किया है लेकिन जिले में लोहा उद्योग को फिलहाल जंग ही लगा दिख रहा है। उद्यमी व कामगार मिलकर यहां फैक्ट्रियों को चला रहे है। लेकिन पुराना स्टॉक व नया माल भी मार्केट में नहीं बिक रहा है। इसके पीछे वजह है कि बाजार आधे अधूरे ही खुल सके है।
शामली:जेएनएन:भले ही केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए आर्थिक पैकेज देकर उद्योगों को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने का काम किया है, लेकिन जिले में लोहा उद्योग को फिलहाल जंग ही लगा दिख रहा है। उद्यमी व कामगार मिलकर यहां फैक्ट्रियों को चला रहे है। लेकिन पुराना स्टॉक व नया माल भी मार्केट में नहीं बिक रहा है। इसके पीछे वजह है कि बाजार आधे अधूरे ही खुल सके है। वहीं निर्माण कार्य न के बराबर ही चल रहे है। जिससे सरिया, इंगट आदि बनाने वाले उद्योग बुरी तरह से प्रभावित है।
कोविड-19 के प्रकोप से बचाव के लिए जिले में लॉकडाउन का पालन कराया जा रहा है। शुरूआती दौर में जिलाधिकारी जसजीत कोर के निर्देश पर पांच दर्जन उद्योगों का संचालन किया गया था। जिसमें आधे स्टाफ के साथ सामाजिक दूरी का पालन करते हुए नियमानुसार कार्य चल रहा था। अब फैक्ट्रियों को राहत दी और वर्तमान में जिले में करीब 200 फैक्ट्रियों का संचालन किया जा रहा है। जिले के कामगारों को रोजगार देने के साथ ही राजस्व को भी लाभ होने की उम्मीद थी, लेकिन फिलहाल हालात ठीक नहीं दिख रहे है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह इस समय यह है कि उद्योगों में माल का उत्पादन तो किया जा रहा है, लेकिन उसकी खपत नहीं हो रही हैं। बाजार बंद होने से माल की सप्लाई नहीं की जा रही है। जिसके कारण माल फैक्ट्रियों में ही तैयार होकर रह गया है। उद्यमियों ने स्पष्ट किया है कि यदि जल्द ही बाजारों में माल सप्लाई की व्यवस्था के लिए बाजार नहीं खुले तो फिर से उद्योग बंदी के कगार पर पर पहुंच जाएगे। लोहा उद्योग व बर्तन उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित दिख रहे है, क्योकि निर्माण कार्य जिले में न के बराबर ही हो रहे है। सरिया व इंगट आदि की डिमांड नहीं है। इसके साथ ही इसकी मार्केट भी तीन दिन हीं खुल रही है। जिसमें सेल भी न के बराबर ही हो रही।
सरिया व पाइप की बिक्री पर ग्रहण
जिले में वर्तमान में रिम धुरा, पेपर मिल, फर्टिलाइजर्स, टायर आदि निर्माण के उद्योग चलाए जा रहे है। यहां बर्तन व आइसक्रीम का समान बनाने वाली 80 फैक्टिर्यिा बंद पडी है। वहीं सरिया व पाइप बनाने वाला उद्योग भी ठप हीं है, क्योंकि यहां स्टॉक पहले से ही रखा है। जिले में मकानों, आवासों, दुकानों का निर्माण कार्य नहीं हो रहा है। जिसके चलते इसकी डिमांड भी न के बराबर ही है।
इन्होंने कहा..
करोडों का माल बनकर स्टाक में तैयार पडा है, लेकिन यह माल बाजार कम समय खुलने से सप्लाई नहीं हो रहा है। प्रशासन ने उद्योग तो शुरू करा दिए है, लेकिन निर्माण कार्य अभी न के बराबर ही होने से मुश्किल है।उद्योगों को इस समय बडे मुश्किल हालात का सामना करना पड रहा है।