बारिश के दो दिन बाद गिरा मकान
बारिश के बाद धूप खिलने से अब गरीबों के कच्चे घरों पर आफत आने लगी है। ऐसा ही एक मामला गढ़ीपुख्ता के गांव राझड़ में देखने को मिला जहां बरसात के बाद निकली धूप के चलते एक गरीब का आशियाना धराशाई हो गया हालांकि इस हादसे में परिवार बाल-बाल बच गया।
शामली, जेएनएन। बारिश के बाद धूप खिलने से अब गरीबों के कच्चे घरों पर आफत आने लगी है। ऐसा ही एक मामला गढ़ीपुख्ता के गांव राझड़ में देखने को मिला जहां बरसात के बाद निकली धूप के चलते एक गरीब का आशियाना धराशाई हो गया, हालांकि इस हादसे में परिवार बाल-बाल बच गया। पीडि़त का आरोप है कि किसी भी अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर उनकी सुध लेना तक मुनासिब नहीं समझा। पीडि़त ने प्रशासन से आर्थिक मदद की गुहार लगायी है।
शनिवार की देर रात हुई बारिश के बाद मौसम के साफ होने व धूप निकलने से अब गरीबों के मकानों पर आफत टूट पड़ी है। गढ़ीपुख्ता क्षेत्र के गांव राझड में भी ऐसा ही मामला देखने को मिला जहां एक गरीब का आशियाना धूप के चलते धराशायी हो गया। गांव का ही बिजेन्द्र पुत्र नंदू मेहनत मजदूरी कर कच्चे मकान में रहकर अपने परिवार का पालन पोषण करता है। शनिवार की देर रात हुई तेज बारिश के चलते मिट्टी से बनी मकान की छत कमजोर हो गयी जिसके कारण उसमें दरार आ गयी थी लेकिन रहने का कोई और ठिकाना न होने के कारण परिवार मकान में ही रहने को मजबूर था। मंगलवार को बिजेन्द्र अपनी मजदूरी पर गया हुआ था तथा घर में उसकी मां, पत्नी व दो पुत्रियां थीं, अचानक मकान की छत की कडी टूटने लगी जिसके बाद मकान में मौजूद बिजेन्द्र की मां, पत्नी व दोनों पुत्रियां जैसे ही बाहर निकली, छत धड़ाम से नीचे जा गिरी जिससे सभी लोग बाल-बाल बच गए। आसपास के लोग तुरंत मौके पर पहुंचे तथा मामले की सूचना बिजेन्द्र को दी जिस पर वह मौके पर पहुंचा। पीड़ित ने परिजनों की मदद से मलबे में दबे सामान को निकालने का प्रयास किया लेकिन तब तक सामान नष्ट हो चुका था। पीडित का आरोप है कि तहसील स्तर से किसी भी अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर उनकी सुध लेना तक मुनासिब नहीं समझा।