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खंडहर अस्पताल, सुविधओं का अभाव, कैसे हो उपचार

बाबरी: गांव बंतीखेड़ा में प्राथमिक स्वास्थ्य उप केंद्र खंडहर बन चुका है। इसकी बि¨ल्डग जर्जर होकर गिरन

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 11:14 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 11:14 PM (IST)
खंडहर अस्पताल, सुविधओं का अभाव, कैसे हो उपचार
खंडहर अस्पताल, सुविधओं का अभाव, कैसे हो उपचार

बाबरी: गांव बंतीखेड़ा में प्राथमिक स्वास्थ्य उप केंद्र खंडहर बन चुका है। इसकी बि¨ल्डग जर्जर होकर गिरने लगी है। जिसकी सुध कोई नहीं ले रहा है। काफी लंबे समय से यहां कोई भी स्वास्थ्यकर्मी नहीं बैठ रहा है। स्वास्थ्यकर्मी भी गांव में कहीं बैठकर खानापूर्ति कर कर चले जाते है। सवाल ये है कि जब गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र की बि¨ल्डग ही गिरने लगी है तो ऐसे में कैसे लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचेंगी? आमजन के इलाज की खानापूर्ति स्वास्थ्यकर्मी कहीं भी बैठकर पूरी कर लेते है। कागजी घोड़े दौड़ाने में माहिर अफसरों को शायद जनता की यह मुश्किल दिख ही नहीं रही है।

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गांव बंतीखेड़ा में उप स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते खंडहर में तब्दील हो रहा है। हालात ये है कि न तो कोई स्वास्थ्यकर्मी बैठता है और न ही कोई साफ-सफाई की जाती है। यहीं नहीं यहां न बिजली की व्यवस्था है और न ही पानी। कमरों के दरवाजे टूट गए है। जगह-जगह दीवारों में दरार आ चुकी है।

एएनएम ने गांव में जगह-जगह अपने बैठने का स्थान बना रखा हैं। जहां बैठकर खानापूर्ति कर ली जाती है। ग्रामीणों ने उप स्वास्थ्य केंद्र की बि¨ल्डग को ठीक करने की कई बार मांग की है, लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा है। गांव बंतीखेड़ा की आबादी लगभग दस हजार से ऊपर है। गांव में मात्र एक उप स्वास्थ्य केंद्र है। दस साल पहले इस उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण आधुनिक तरीके से किया गया था, लेकिन विभाग ने इसकी देखरेख पर कोई ध्यान नहीं दिया। लंबे समय से इसमें कोई भी एएनएम नहीं बैठती है। इसकी साफ-सफाई वह मरम्मत पर ध्यान भी नहीं दिया। जिस कारण इसके दरवाजे, खिड़की, टूट गए। अब इसकी दीवारों में जगह-जगह दरारें देखी जा सकती हैं। इसके चारों ओर घास-फूस खड़ा है।

ग्राम प्रधान ने भी खड़ंजे से निकली ईटों का ढेर भी इसके बाहर ही लगवा दिए है। इसमें चारों ओर गंदगी ही गंदगी दिखाई देती है। इस बीमार स्वास्थ्य केंद्र का उपचार दस साल से स्वास्थ्य विभाग भी नहीं कर सका, जबकि सरकार हर साल इनकी देखरेख, सफाई-सफाई और पुताई, दवाइयां और उपकरण के लिए हजारों रुपये सालाना भेजती है। काफी समय से इसकी कोई पुताई भी नहीं हुई। इतने सालों से वह पैसा कहां गया इसका जवाब किसी के पास नहीं है। काफी लंबे समय से यहां विमला एएनएम स्वास्थ्य कर्मी कार्यरत थी। वह गांव के मोहल्लों में बैठकर अपनी सुविधानुसार खानापूर्ति कर चली जाती थी।

अब साल से एएनएम वैशाली आई है, जो पिछली एएनएम के नक्शे कदम पर चल रही है। किसी का भी ध्यान इस जर्जर होते बीमार स्वास्थ्य उपकेंद्र पर नहीं है। स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य कर्मचारियों ने इसके प्रति आंख मूंद ली है। गांव के अमर, सुनील, जयपाल, सुशील, प्रदीप, हरपाल, आदि ने इस उप स्वास्थ्य केंद्र की दशा सुधारने की प्रशासन से मांग की है।


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