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महाभारतकालीन संस्कृति का केंद्र श्री हनुमान धाम

श्री मंदिर हनुमान टीला हनुमान धाम महाभारत और मराठाकालीन संस्कृति का केंद्र रहा है। कहते हैं कि कुरुक्षेत्र जाते समय यहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने विश्राम करते हुए कुएं के मीठे जल से प्यास बुझाई थी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 10:56 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:05 AM (IST)
महाभारतकालीन संस्कृति का केंद्र श्री हनुमान धाम
महाभारतकालीन संस्कृति का केंद्र श्री हनुमान धाम

शामली, जेएनएन। श्री मंदिर हनुमान टीला हनुमान धाम महाभारत और मराठाकालीन संस्कृति का केंद्र रहा है। कहते हैं कि कुरुक्षेत्र जाते समय यहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने विश्राम करते हुए कुएं के मीठे जल से प्यास बुझाई थी। मराठों ने भी यहां पर अपनी छावनी को विकसित कर शहर के चारों ओर मंदिरों का निर्माण कराया था। इस ऐतिहासिक धरोहर पर दर्शनों को देशभर से श्रद्धालु पहुंचते रहते है।

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शामली शहर के प्राचीन मंदिर हनुमान धाम दिल्ली से 98 किलोमीटर, हरियाणा से लगभग 50 किलोमीटर व धर्मनगरी हरिद्वार से 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में हस्तिनापुर से महाभारत के युद्ध क्षेत्र कुरूक्षेत्र में जाते समय हनुमान धाम में लगे पेड़ों की छांव में विश्राम किया था। श्री कृष्ण ने यहां के मीठे कुएं के जल से अपनी प्यास बुझाई थी। माना जाता है कि उन्होंने बजरंगबली की स्तुति भी यहां की थी। इतिहास के अनुसार दिल्ली को स्वतंत्र कराने के लिए मराठा सैनिकों ने यहां पर छावनी का निर्माण किया था। मराठों ने शहर के चारों कोने पर शिवालयों का निर्माण कराया था। इस तपोभूमि पर 14 मार्च 1969 में चारों मठों के शंकराचार्य व विभिन्न मठों एवं दंडी स्वामियों ने अपने सार-गर्भित प्रवचनों द्वारा इसे अभिभूत किया था। ऐसा कहा जाता है कि 14 मार्च 1969 को धाम पर पधारे ज्योति पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य श्री कृष्ण बोधाश्रम को स्वप्न में श्री बाबा बजरंग बली ने दर्शन दिए थे, तभी से श्री मंदिर हनुमान टीले पर विराजमान प्राचीन श्री बाबा बजरंग बली को सुप्तावस्था से उठाकर मंत्रों द्वारा जागृत किया गया। ऐसी मान्यता है कि इस पावन तीर्थ पर जो भी व्यक्ति अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए बाबा के मंदिर पर स्थित बरने के पेड़ पर धागा बांधता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। हनुमान टीला पर अनेकों मंदिर बढ़ा रहे शोभा

श्री हनुमान धाम में तालाब के मध्य में देवाधिदेव भगवान शंकर की मूर्ति, मनकेश्वर महादेव, जगन्नाथ, गणेश, परशुराम, रानी सती, मां जगदम्बा, श्री सत्यनारायण, मां संतोषी, राधा कृष्ण, मां पार्वती व शनि देव आदि भगवान की भव्य मूर्तियां स्थापित हैं। श्री मंदिर हनुमान टीला हनुमान धाम प्रबंधक समिति के अध्यक्ष सलिल द्विवेदी ने बताया कि श्री हनुमान धाम समिति मंदिर की देखर रेख व व्यवस्था करती है। इसके साथ ही निरंतर सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर भाग लेती है। अनेकों सामाजिक कार्य हर वर्ष कराए जाते है। श्री रामलीला महोत्सव में उमड़ती है भीड़

शामली के श्री हनुमान धाम पर प्रतिवर्ष श्री रामलीला का आयोजन किया जाता है। जहां पर कलाकार अपनी कलाकारी का अनोखा प्रदर्शन करते है। प्रत्येक भूमिका में डूबकर अभिनय करने वाले इन कलाकारों के प्रति श्रद्धालुओं की श्रद्धा भी देखते ही बनती है। इस साल 2019 में यहां 50वें स्वर्ण जयंती रामलीला महोत्सव का आयोजन किया गया । जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने यहां इसका भगवान राम की लीला देखी।


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