चरित्र निर्माण में माता-पिता और गुरु की मुख्य भूमिका
शामलीजेएनएन कस्बा जलालाबाद के गुरू नानक इंटर कालेज में चरित्र निर्माण को लेकर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में देश-विदेश के दिग्गजों का जमावड़ा रहा। यहां पहुंचे शिक्षाविद व साहित्यकारों ने अपने-अपने व्यक्तव्य में स्पष्ट किया कि चरित्र निर्माण में माता-पिता व गुरू के साथ ही वातावरण का भी महत्वपूर्ण स्थान है। कार्यशाला में पहुंचे नागरिकों व छात्राओं को भारतीय संस्कृति से आत्मसात होने का भरपूर मौका मिला।
शामली:जेएनएन: कस्बा जलालाबाद के गुरू नानक इंटर कालेज में चरित्र निर्माण को लेकर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में देश-विदेश के दिग्गजों का जमावड़ा रहा। यहां पहुंचे शिक्षाविद व साहित्यकारों ने अपने-अपने व्यक्तव्य में स्पष्ट किया कि चरित्र निर्माण में माता-पिता व गुरू के साथ ही वातावरण का भी महत्वपूर्ण स्थान है। कार्यशाला में पहुंचे नागरिकों व छात्राओं को भारतीय संस्कृति से आत्मसात होने का भरपूर मौका मिला।
शुक्रवार को दिल्ली-सहारनपुर हाईवे पर स्थित एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विदेश से पहुंचे प्रवासी भारतीय शिक्षाविद् व साहित्यकारों के साथ देश के कई शिक्षाविदों ने चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास पर खूब मंथन किया। यहां ज्ञान समुद्र मंथन में चरित्र निर्माण के लिए माता, पिता, शिक्षक, वातावरण को जिम्मेदार ठहराया। कनाडा, बेल्जियम, जापान की धरती पर भारत की हिदी भाषा व भारतीय संस्कृति की कीर्ति फैला रहे प्रवासी भारतीयों ने भारत के विश्व गुरू बनने की कामना की। कार्यशाला के आयोजन में कनाडा से आए प्रोफेसर सरन घई, बेल्जियम से साहित्यकार कपिल कुमार, जापान से साहित्यकार डा. रमा शर्मा, भारत उत्थान न्यास कानपुर के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुजीत कुंतल, बेटी बचाओ, बेटी पढाओं की ब्रांड एबेंसडर डॉ. वीणा अरोरा, जिला विद्यालय निरीक्षक सरदार सिंह, इग्नू की प्रोफेसर डॉ. विदुषी शर्मा, लेखिका शिवानी कोहली, हिमांजल फाउंडेशन से अंजलि राणा, कहानीकार सुभाष अखिल ने
कार्यशाला में चरित्र निर्माण व व्यक्तित्व विकास को लेकर विस्तार से प्रकाश डाला। यहां भारत उत्थान न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुजीत कुंतल ने कहा कि चरित्र निर्माण के लिए माता, पिता, गुरु के साथ ही वातावरण उत्तरदायी है। चरित्र निर्माण से व्यक्तित्व विकास का पता लगता है। चरित्र की झलक से व्यक्तित्व का अंदाज लगाया जा सकता है। कहा कि चरित्र मानव के अंदर छिपा भाव है। माता गर्भ से ही बालक का चरित्र का निर्माण का आरंभ करती है। इसके बाद की भूमिका शिक्षक निभाते है। अंत में इसके लिए वातावरण सहायक होता है। चरित्र निर्माण में माता व पिता का शिक्षित होना अनिवार्य नहीं है। अनपढ़ होकर अच्छा आचरण व सीख देने वाले माता-पिता के बच्चे चरित्रवान होता है। बचाओ, बेटी पढाओं की ब्रांड एबेंसडर डा. वीणा अरोरा ने कहा कि पश्चिम के देश नैतिकता व पर्यावरण को लेकर भारत की ओर निहार रहे है। आने वाली पीढ़ी का चरित्र निर्माण अच्छा होगा तो देश का निर्माण मजबूत होगा। चरित्र मानव के जीवन के भीतर है। महापुरुषों के चरित्र से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। आने वाले समय में भारत चरित्र मूल्यों के बल पर विश्व गुरु बनेगा। कार्यशाला का संचालन सुनील चौधरी ने किया। इस अवसर पर पूर्व चेयरमैन शामली अरविद संगल, महेन्द्र भीष्म, प्रधानाचार्य डा. मोनिका देवी, तेजपाल सिंह, प्रबंध समिति से उपेंद्र गुप्ता, राजू बजाज, मुरारी लाल नारंग, सरोजपाल, अशफाक मलक, पूर्व प्रधानाचार्य तेजपाल सिंह, सरोज पाल, महिपाल सिंह राणा, संतोष शर्मा, पवन कुमार, अंजु शर्मा, शालू शर्मा, अंजू नारंग, रजनी नायक आदि मौजूद रहे।