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जिले में फसल अवशेष प्रबंधन को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना

जिले में फसल अवशेष जलाने का लेकर प्रशासन का रुखा बेहद कड़ा है तो वहीं किसान भी इस समस्या से निजात पाने के लिए जागरूक हो गया है। इसलिए जिले में 63 कस्टम हायरिग सेंटर खोले गए हैं साथ ही फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 07:00 AM (IST)
जिले में फसल अवशेष प्रबंधन को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना
जिले में फसल अवशेष प्रबंधन को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना

शामली, जेएनएन। जिले में फसल अवशेष जलाने का लेकर प्रशासन का रुखा बेहद कड़ा है तो वहीं किसान भी इस समस्या से निजात पाने के लिए जागरूक हो गया है। इसलिए जिले में 63 कस्टम हायरिग सेंटर खोले गए हैं साथ ही फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गई।

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जिले में फसल अवशेष जलाने की कुछ घटनाएं प्रकाश में आई हैं, लेकिन इस बार पिछले साल जैसी स्थिति नहीं है। किसान जागरूक हुए हैं और फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए यंत्रों को किराए पर ले रहे हैं।

प्रदूषण पर लगाम के लिए पराली और पत्ती आदि जलाने पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सेटेलाइट से निगरानी करती है। घटना पकड़ में आती है तो जिला प्रशासन और कृषि विभाग को रिपोर्ट भेजी जाती है। स्थानीय स्तर पर सत्यापन होता है। जिले में इस बार फसल अवशेष जलाने की 13 घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं और अब तक 11 किसानों पर जुर्माना लगाया जा चुका है। पिछले साल इस अवधि में अवशेष जलाने की दो गुनी से अधिक घटनाएं प्रकाश में आई थीं। ऐसे मामले कम होने का कारण किसानों का फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जागरूक होना माना जा रहा है। सरकारी स्तर पर भी प्रयास किए जा रहे हैं।

उप निदेशक कृषि डा. शिवकुमार केसरी ने बताया कि जिले में 63 कस्टम हायरिग सेंटर और फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गई है। इनमें 21 सहकारी समिति भी शामिल हैं। फसल अवशेष प्रबंधन में इस्तेमाल होने वाले रोटावेटर, मल्चर, एमबी प्लाऊ, सुपर सीडर आदि की उपलब्धता है। किसान इन्हें किराये पर ले सकते हैं। किसानों को जागरूक किया जा रहा है और चीनी मिलें चालू होने के बाद इस्तेमाल और बढ़ेगा।

उधर युवा किसान नेता राजन जावला ने कहा कि किसान मजबूरी में ही फसल अवशेष जलाते हैं। कई बार यंत्रों की उपलब्धता नहीं होती है। किसानों को नई फसल की बुवाई करनी होती है। शासन-प्रशासन इस बात को नहीं समझता है और किसानों पर कार्रवाई की जाती है। अगर हर गांव में यंत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित हो तो कोई दिक्कत नहीं होगी। -यह है किराए पर लेने की प्रक्रिया

उप निदेशक कृषि डा. शिवकुमार केसरी ने बताया कि कस्टम हायरिग सेंटर और फार्म मशीनरी बैंक के संचालकों के मोबाइल नंबर की सूची का विभिन्न माध्यमों से प्रचार-प्रसार किया गया है। किसान ग्राम प्रधान या कृषि विभाग के प्राविधिक सहायक से भी संपर्क कर सकते हैं। झिझाना में कस्टम हायरिग सेंटर संचालक अमित ने बताया कि धान की कटाई अधिक किसान हाथों से कराते हैं, जिसमें फसल अवशेष जलाने की जरूरत नहीं पड़ती। गन्ने के सीजन में पत्ती का प्रबंधन करने में यंत्रों का अधिक प्रयोग होगा।

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यह है किराए की दर

रोटावेटर, 350 रुपये प्रति बीघा

मल्चर, 300 रुपये प्रति बीघा

एमबी प्लाऊ, 600 रुपये प्रति बीघा

सुपर सीडर, 400 रुपये प्रति बीघा

लैंड लेवलर, 650 रुपये प्रति बीघा

सीडर, 150 रुपये प्रति बीघा


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