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बागवानी से आय के साथ-साथ होता है पर्यावरण संरक्षण

जिले में सर्वाधिक गन्ने की फसल होती है लेकिन थानाभवन क्षेत्र के किसान श्याम सिंह प्राकृतिक तरीके से बागवानी कर न सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 10:37 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 10:37 PM (IST)
बागवानी से आय के साथ-साथ होता है पर्यावरण संरक्षण
बागवानी से आय के साथ-साथ होता है पर्यावरण संरक्षण

शामली, जेएनएन। जिले में सर्वाधिक गन्ने की फसल होती है, लेकिन थानाभवन क्षेत्र के किसान श्याम सिंह प्राकृतिक तरीके से बागवानी कर न सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी कर रहे हैं।

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गांव नागल निवासी श्याम सिंह बताते हैं कि उन्होंने करीब 16 बीघा भूमि में लीची, अमरूद, कटहल, नींबू, पुलम, नाशपाती, पपीता और केले के पेड़ लगाए हुए हैं। इन पर खर्च कम आता है और पर्यावरण के साथ जल संरक्षण भी होता है। साथ ही गन्ने या अन्य किसी फसल के मुकाबले आय भी अधिक हो जाती है। शामली में गन्ने की पैदावार ही अधिक है। अगर देखा जाए तो गन्ना हो या अन्य कोई फसल, लागत बहुत अधिक आती है। ऐसे में अपेक्षित मुनाफा नहीं मिल पाता है। रसायनिक उर्वरक, कीटनाशक आदि का भारी मात्रा में प्रयोग करते हैं। इससे भूमि की उर्वरक क्षमता भी कमजोर पड़ती है। श्याम सिंह कहते हैं कि वह प्राकृतिक तरीके से खेती करते हैं। इसमें खर्च न के बराबर आता है। सिर्फ मेहनत है। गाय के गोबर, मूत्र, नीम के पत्ते आदि मिलाकर विधि से उर्वरक एवं कीटनाशक तैयार किया जाता है।

बताते हैं कि दस साल पहले तक गन्ने की खेती करते थे। मेहनत, खर्च अधिक और भुगतान की समस्या आदि को देखते हुए गन्ने की खेती बंद कर दी थी। फल, सब्जी और अनाज नकदी फसल हैं। प्राकृतिक खेती को अपनाएंगे तो पर्यावरण संरक्षण होगा और आय भी बढ़ेगी। कहते हैं कि आज हरियाली कम हो रही है। अगर हम पौधे लगा रहे हैं तो हमें ये भी ध्यान रखना चाहिए कि क्या पर्यावरण के मुफीद होगा। जैसे यूकेलिप्टिस भूगर्भीय जल का काफी अधिक मात्रा में अवशोषण करता है। फायदा यही है कि पेड़ जल्दी बड़ा हो जाता है और किसान इसे बेचकर कमाई कर लेते हैं। लेकिन कमाई करने के लिए अन्य विकल्प भी हैं। वह बताते हैं कि दूर-दूर से लोग उनके खेतों को देखने आते हैं। काफी लोग प्रेरित भी हुए हैं।


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