पराली का कारोबार किसानों को दे रहा रोजगार
शामली जेएनएन भले ही पराली को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा हो लेकिन सच्चाई यह है कि पराली यहां के लोगों की कमाई का बड़ा साधन है। जिले में बड़ी संख्या में लोगों को इससे रोजगार मिलता है।
शामली: जेएनएन: भले ही पराली को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा हो, लेकिन सच्चाई यह है कि पराली यहां के लोगों की कमाई का बड़ा साधन है। जिले में बड़ी संख्या में लोगों को इससे रोजगार मिलता है। कैराना, गढ़ीपुख्ता, झिझाना, ऊन क्षेत्र में लोग स्थानीय स्तर और हरियाणा-पंजाब से पराली की खरीददारी करते हैं। वह इसका स्टॉक लगा लेते हैं और फिर इसका भूसा बनाकर बेचा जाता है। पशु पालक भूसा खरीदते हैं और यह गेहूं के भूसे से काफी सस्ता मिल जाता है। जिले में कई स्थानों में भारी मात्रा में स्टॉक लगा दिए गए हैं। वहीं, दूसरी ओर पशुपालन विभाग पराली पशुओं को खिलाने से मना करता है। पिछले माह थानाभवन में पराली खाने से कई पशुओं की मौत भी हो गई थी।
कैराना: प्रदूषण के लिए पराली घातक मानी जाती है। इसलिए प्रशासन ने पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। यदि देखा जाए तो पराली से जितना नुकसान होता है, उससे कहीं अधिक फायदा भी है। गत्ता मिल में पराली काम आती है, तो किसान पराली से ही पशुओं के चारे की व्यवस्था करते हैं। इसलिए ही हरियाणा से पराली खरीदकर ठेकेदारों द्वारा स्टॉक किया जा रहा है। धान की फसल कटने के बाद ठेकेदार पराली की खरीदारी करने में जुट जाते हैं। कैराना तहसील क्षेत्र में पराली से बडे स्तर पर कारोबार होता है। यहां इसके स्टॉक भी लगाए गए है।
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आलू के लिए प्राकृतिक शीतगृह
जलालाबाद: जलालाबाद क्षेत्र में धान उत्पादन कम होता है,लेकिन जितने भी किसान धान उत्पादन करते है, पराली का स्टाक घरों या खेतों में करते है। पराली का प्रयोग आलू की ढेरियों को ढकने में किया जाता है। आलू के ढेर गर्मी व बारिस का पराली ढकने से प्रभावित नही होते है। प्राकृतिक शीत गृह का काम पराली करती है। यहां के आलू उत्पादक किसान हरियाणा से पराली खरीद मंगाते है। पराली का प्रयोग सर्दियों में पालतू पशुओं के पैरों के नीचे डाल किया जाता है।
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पराली-भुस का चारा दे रहा मुनाफा
झिझाना: पिछले कई वर्षों से नई तकनीक की आई मशीन से पराली का भूसा बना दिया जाता हैं व फरवरी मार्च के महीने में पंजाब हरियाणा से भुस लाकर उसमें पराली का भूसा मिलाकर भारी मुनाफे से बेच देते हैं । चारा व्यापारी काफी तादाद में पराली का स्टॉक लगा लेते हैं। फरवरी-मार्च में भूसे की कमी के चलते उसके दाम एक हजार रुपये कुंतल तक पहुंच जाते हैं। जबकि सीजन में मात्र तीन सौ रुपए कुंतल होता है । पंजाब हरियाणा से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी तादाद में भूसा आता हैं। ये व्यापारी मशीन से बना पराली के भूसे को असली भूसे में मिलाकर बेच देते हैं । जिससे इनको काफी मुनाफा होता हैं।
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हरियाणा तक लगती है ठेकेदारों की दौड
पराली के लिए ठेकेदार हरियाणा तक दौड़ लगाते हैं। जहां से पराली खरीदकर लाई जाती है। पराली गत्ता फैक्ट्रियों के साथ ही भूसे के रूप में बड़े स्तर पर प्रयोग किया जाता है। ठेकेदार बिनोद कुमार बताते है कि पराली का कारोबार लाखों में होता है। इससे काफी संख्या में श्रमिकों, किसानों और इससे जुड़े लोगों को रोजगार मिलता है।
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पशु चारे व खाद के लिए होती है प्रयोग
वैसे तो प्रशासन ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए पराली जलाने पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन यदि देखा जाएं तो पराली उतनी घातक नहीं हैं, जितनी उसे बना दिया जाता है। किसान बताते हैं कि पराली के कई फायदे हैं। इससे किसान अपने पशुओं के चारे की व्यवस्था कर सकता है। पराली को अगोलों में डालकर पशुओं को खिलाया जाता है। इतना ही नहीं, खाद भी तैयार किया जाता है।
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गत्ता मिल में 450 रुपये कुंतल बिकती है पराली
गत्ता मिल में भी पराली का प्रयोग होता है, जहां पराली का गत्ता बनाया जाता है। किसान बताते हैं कि खेतों से धान कटने के बाद किसान पराली बेच देते हैं। पांच सौ रूपये बीघा में पराली बेची जाती है। जबकि ठेकेदार पराली को 450 रूपये क्विटल तक बेचते हैं। पराली खरीदने के कुछ दिनों बाद पराली मांग बढ़ जाती है। इसके बाद ठेकेदार पराली को बेच देते हैं।
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कैराना में बाइपास पर किया स्टॉक
20 सालों से कैराना में पराली का कारोबार ठेकेदार कर रहे हैं। कैराना के बाईपास पर इन दिनों पराली का बड़ा स्टॉक किया हुआ है। अभी-भी हरियाणा से पराली की खरीदारी कर रहे हैं। बताते हैं कि सर्दियों बाद पराली की मांग बढ़ती है और किसान लोग ज्यादातर पराली को खरीदते हैं।