उजड़ गई दुनिया, बिलख रहे परिवार, गूंज रही चीत्कार
गांव और परिवार की सुख-शांति के लिए गोगा म्हाड़ी पर जागरण का आयोजन किया गया था लेकिन क्या मालूम था कि नियति को कुछ ही मंजूर था। छह परिवारों की तो दुनिया ही उजड़ गई।
शामली, जेएनएन। गांव और परिवार की सुख-शांति के लिए गोगा म्हाड़ी पर जागरण का आयोजन किया गया था, लेकिन क्या मालूम था कि नियति को कुछ ही मंजूर था। छह परिवारों की तो दुनिया ही उजड़ गई। बिलख रहे हैं और भगवान से पूछ रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या खता हो गई थी। अपने बच्चों के लिए बड़े सपने देखे थे, लेकिन एक ही झटके में सबकुछ खत्म हो गया।
यमुना में डूबे छह युवक व किशोर 15 से 21 वर्ष आयु तक के थे। कोई बेटे की शादी का सपना देख रहा था तो कोई अपने बेटे को डॉक्टर-इंजीनियर बनाना चाहता था। जब ये युवक गांव से हवन की राख विसर्जित करने के लिए चले तो परिवार वालों को क्या पता था कि अनहोनी हो जाएगी। जैसे ही सूचना मिली कि उनके लाल यमुना में डूब गए हैं तो चीख निकल गई और मोहम्मदपुरा राई में यमुना घाट की तरफ बेसुध होकर दौड़ पड़े। मृतक भारत के पिता तेजपाल बिलखते हुए कह रहे थे कि ये क्या कर दिया भगवान। अगर कोई गलती हो गई थी तो हमें मौत दे देते।
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एक बेटे का शव मिला, दूसरा लापता
मृतक विशाल के पिता वेदप्रकाश ठीक से कुछ बोल भी नहीं पा रहे थे। एक बेटे विशाल का शव मिल गया है, लेकिन दूसरे बेटे शुभम का अभी पता नहीं चला है। आंखों से आंसू नहीं रुक रहे और वह धीमी आवाज में कह रहे हैं कि हमारा तो नाश हो गया। अब तो कुछ भी नहीं बचा। हम ही जीकर क्या करेंगे। ग्रामीणों से कह रहे थे कि घर से जाते वक्त मना किया था कि यमुना में अंदर मत जाना। वहीं, मां की चींखें थम नहीं रही हैं। वह बस यही पुकार रही है कि किसी तरह मेरे बेटे ला दीजिए। इनके घर पर मौजूद हर किसी की आंखें नम हैं।
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मलकपुर में नहीं जले चूल्हे
रविवार का दिन मलकपुर गांव के लिए मनहूस साबित हुआ। तीन युवकों का शव मिल चुका है और तीन की तलाश गोताखोर कर रहे हैं। पूरे गांव में मातम हैं और किसी घर में भी चूल्हा नहीं जला। मृतक युवकों के परिजनों की चीत्कार दूर तक गूंजती रही।
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गरीब परिवार से सभी युवक
यमुना नदी से जिन तीन युवकों के शव निकाले गए हैं, उनमें दो छात्र भी शामिल हैं। ये सभी मजदूर परिवारों से ताल्लुक रखते थे। मृतक विशाल पब्लिक इंटर कॉलेज में कक्षा 11वीं का छात्र था। अब घर में विशाल का एक भाई और छह बहने बची हैं। इनमें से चार की शादी हो गई है। वहीं, उमेश भी पब्लिक इंटर कॉलेज में दसवीं का छात्र था और पिता मजदूरी कर ही गुजारा करते हैं। जबकि, मृतक अनुज खुद मजदूरी का काम करता था। वह चार भाइयों में सबसे छोटा था और एक बहन भी है। पिता का 15 वर्ष पहले निधन हो चुका है।