खतरे में बच्चों की जान, जिम्मेदारों को परवाह नहीं
शहर में दो सरकारी स्कूलों में बच्चों की जान को खतरा है। जर्जर भवनों में कक्षाएं चल रही हैं। शिक्षकों ने उच्चाधिकारियों को कई बार अवगत करा भी दिया है लेकिन कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
शामली, जेएनएन। शहर में दो सरकारी स्कूलों में बच्चों की जान को खतरा है। जर्जर भवनों में कक्षाएं चल रही हैं। शिक्षकों ने उच्चाधिकारियों को कई बार अवगत करा भी दिया है, लेकिन कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। कहीं स्कूल में छत टपकती है तो कहीं पर छत ही नीचे बैठ रही है। अगर कहें कि जान को खतरे में डालकर शिक्षण कार्य हो रहा है तो गलत नहीं होगा। सवाल यह है कि एक ओर सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के दावे किए जाते हैं और दूसरी ओर बुनियादी व्यवस्थाएं ही जर्जर हैं। केस-1
बरखंडी मोहल्ले में पहले एक परिसर में राजकीय प्राथमिक विद्यालय नंबर-14, नंबर-10 और जूनियर हाईस्कूल तीन स्कूल चलते थे। सरकार के आदेश के बाद तीनों स्कूलों का संचालन संयुक्त रूप से हो रहा है। एक से कक्षा आठ तक में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब 400 है। कक्षा छह, सात और आठ का संचालन परिसर के जिस भवन में हो रहा था, वह काफी समय से जर्जर स्थिति में था। किसी ने सुध नहीं ली और दो माह पहले छत भरभराकर गिर गया। गनीमत रही कि छत स्कूल के वक्त में नहीं गिरी, नहीं तो बढ़ा हादसा हो सकता था। इसके बाद परिसर के दूसरे भवन में कक्षाओं का संचालन शुरू कर दिया। इन कक्षाओं की हालत भी ठीक नहीं है। जगह-जगह छत से प्लास्टर उखड़ा है और बारिश में छत टपकती है। पिछले दिनों बारिश हुई तो छत टपकने लगी थी। बच्चों का बैठना मुश्किल हो गया था। सिलाबी अभी भी इस बात को बयां कर रही है। प्रधानाध्यापक नीरज गोयल ने बताया कि बालक जूनियर हाईस्कूल की बिल्डिग सितंबर में गिर गई थी। तभी उस भवन की जर्जर स्थिति से भी विभाग को अवगत करा दिया था, जिसमें अब उक्त कक्षा चल रही हैं। बारिश के दौरान बड़ी दिक्कत पैदा हो जाती है। केस-2
आजाद चौक के पास प्राथमिक विद्यालय नंबर तीन और नौ संचालित हैं। ये भी संयुक्त रूप से ही चल रहे हैं। 134 बच्चे हैं और दो शिक्षा मित्र हैं। ये स्कूल एक धर्मशाला के प्रथम तल पर चलता है और बेहद जर्जर हो चुका है। सीढि़यों की ऊपर लगी कई स्लैब टूटी हुई हैं। साथ ही प्रथम तल का फर्श भी जर्जर है और कई स्थानों से नीचे बैठ गया है। स्थिति ये है कि बच्चों को यही बैठकर पढ़ने को मजबूर होना पड़ रहा है। स्कूल की प्रभारी शिक्षा मित्र डोली ने बताया कि दो कक्ष तो बेहद खराब स्थिति में हैं और इनमें कक्षा नहीं चलाई जाती हैं। बच्चे खेलने के दौरान बार-बार उक्त जगह जाते हैं। बच्चों को रोका जाता है, लेकिन डर बना रहता है। वर्तमान में जिन कक्ष में बच्चों को बैठाया जाता है, उनका फर्श भी नीचे बैठा हुआ है। इस स्थिति से कई बार विभागीय अधिकारियों को मौखिक और लिखित रूप से अवगत कराया जा चुका है। 69 स्कूलों का होना है ध्वस्तीकरण
बेसिक शिक्षा विभाग के जिला समन्वयक सुधीर कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित है। ध्वस्तीकरण के लिए 69 विद्यालयों को चिन्हित किया गया है और इनकी सूची कमेटी को सौंपी जा चुकी है। जर्जर भवनों में कक्षाओं का संचालन नहीं हो रहा है। साथ ही कुछ स्कूलों में मरम्मत कार्य होना है और इसकी प्रक्रिया जारी है।