कोल्हू भी बढ़ा रहे हैं वायु प्रदूषण
कोरोना काल में वायु प्रदूषण की मार भी पड़ रही है। बारिश होने पर प्रदूषण जरूर कम हो जाता है। वैसे बढ़ते प्रदूषण के कई कारण हैं। इनमें कोल्हुओं से प्रदूषण होने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। जिले में कई कोल्हुओं में रबर और प्लास्टिक भी जलाई जा रही है। जिम्मेदार अधिकारी नींद में हैं या फिर उनकी इस पर नजर नहीं पड़ रही है। इस कारण अभी तक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
शामली, जेएनएन। कोरोना काल में वायु प्रदूषण की मार भी पड़ रही है। बारिश होने पर प्रदूषण जरूर कम हो जाता है। वैसे बढ़ते प्रदूषण के कई कारण हैं। इनमें कोल्हुओं से प्रदूषण होने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। जिले में कई कोल्हुओं में रबर और प्लास्टिक भी जलाई जा रही है। जिम्मेदार अधिकारी नींद में हैं या फिर उनकी इस पर नजर नहीं पड़ रही है। इस कारण अभी तक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
जिले में 250 से भी अधिक कोल्हू चल रहे हैं। सितंबर माह से कोल्हू में गन्ने की पेराई शुरू हो गई थी। नकद भुगतान के लिए काफी किसान गन्ना बेच रहे हैं। कहीं-कहीं तो कोल्हू आबादी के पास ही हैं, लेकिन किसी का कोई ध्यान नहीं है। चिमनियों से निकलने वाला काला धुआं प्रदूषण में इजाफा कर रहा है। सहायक चीनी आयुक्त सुभाष चंद्र ने बताया कि कोल्हू के संचालन को लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है। क्रेशर संचालन के लिए लाइसेंस दिए जाते हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर के सहायक वैज्ञानिक अधिकारी डा. डीसी पांडेय ने बताया कि रबर, पालीथिन, प्लास्टिक प्रतिबंधित ईंधन में आते हैं। खोई, पत्ती जला सकते हैं। चिमनी दस मीटर ऊंची होनी चाहिए और आबादी से 500 मीटर के दायरे से कोल्हू बाहर होना चाहिए। शिकायत मिलने पर निरीक्षण किया जाता है और अगर प्रदूषण की बात सामने आती है तो कार्रवाई होती है। फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अगर कोई कोल्हू लगाने के लिए ऋण लेता है तो उक्त को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेनी पड़ती है।