पी-12: नशे की कोख में समा रहा कल का भविष्य
जागरण संवाददाता, शामली : देश का भविष्य नशे के आगोश में खो रहा है। युवाओं से लेकर बच्चे
जागरण संवाददाता, शामली : देश का भविष्य नशे के आगोश में खो रहा है। युवाओं से लेकर बच्चे भी नशे की गिरफ्त में हैं और कई बार तो नशे के लिए अपराधी भी बन जाते हैं। नशा शराब का नहीं, बल्कि केमिकल सॉल्यूशन और व्हाइटनर का करते हैं। इसे सूंघकर नशे में धुत हो जाते हैं। सॉल्यूशन पंचर जोड़ने में इस्तेमाल होता है और व्हाइटनर स्याही से लिखा मिटाने में। इसलिए यह आसानी से उपलब्ध है और कहीं किसी प्रकार की रोकटोक नहीं है। क्योंकि, कोई शक भी नहीं करता। इसी का फायदा उठाकर युवा केमिकल को रूमाल पर डालक सूंघ कर अपनी लत को पूरा करते हैं।
दरअसल, शराब की दुकान पर पहुंचना मतलब घर तक बात पहुंचने का खतरा होता है, लेकिन, सॉल्यूशन और व्हाइटनर की बिक्री पर कोई प्रतिबंध भी नहीं है और इनका इस्तेमाल दैनिक जीवन के कामकाज में होता भी है। जो कंपनियां व्हाट्नर बनाती हैं, उनके पास पेंटेंट और राइट्स हैं तो बिक्री के लिए किसी प्रकार के लाइसेंस की आवश्यकता भी नहीं है। व्हाइटनर 25-30 रुपये में आसानी से मिल जाता है। कॉलेज में पढ़ने वाले युवा ही नहीं, बल्कि शहर के अच्छे स्कूलों में पढ़ने वाले 12-15 साल के बच्चों को भी इस नशे की लत लग चुकी है। नशे का सबसे अधिक असर मलिन बस्तियों के बच्चों पर देखने को मिल रहा है। सार्वजनिक शौचालय से लेकर तमाम जगहों पर व्हाइटनर और सॉल्यूशन की खाली शीशी काफी मात्रा में मिलती है। युवा नशे के लिए आयोडेक्स और कफ-सिरप का भी इस्तेमाल करते हैं। बता दें कि पिछले साल पुलिस ने बाइक लूट करने वाले गिरोह के तीन शातिर पकड़े थे। इन्होंने बताया था कि व्हाइटनर का नशा करने के लिए ही लूट करते थे। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। बना लिया है धंधा
वैसे व्हाइटनर की बिक्री पर कोई रोक नहीं है। लेकिन, दुकानदारों ने इसे मुनाफे का धंधा बना लिया है। एक शीशी पर दस से 20 रुपये तक ज्यादा लिए जाते हैं और नशा करने वाला इसका इतना लती होता है कि उसे ज्यादा पैसे देने में कोई दिक्कत नहीं होती। सावधान, ले सकता है जान
सीएचसी शामली के सीएमएस डॉ. रमेश चंद्रा ने बताया कि सॉल्यूशन और व्हाइटनर का नशा करने से फेफड़े का संक्रमण हो सकता है और किडनी पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। शरीर सुस्त रहता है। मस्तिष्क सुन्न सा रहता है और समय के साथ-साथ याददाश्त कमजोर होने लगती है। अगर अभिभावकों को लगे कि अचानक बच्चा चुप-चुप और थका-थका रहता है तो उस पर ध्यान देने की जरूरत है। अगर पुष्टि होती है कि वह ऐसा नशा कर रहा है तो तत्काल संबंधित चिकित्सक से सलाह लें।