शोपीस बने हैं एटीएम, नहीं उगलते नगदी
एटीएम किसी भी समय नगदी निकालने की सुविधा के लिए लगाए गए थे लेकिन जिले में स्थिति ये है कि रात में तो दूर दिन में भी पैसा नहीं मिलता है। अधिकांश एटीएम शो-पीस बने नजर आते हैं।
शामली, जेएनएन। एटीएम किसी भी समय नगदी निकालने की सुविधा के लिए लगाए गए थे, लेकिन जिले में स्थिति ये है कि रात में तो दूर दिन में भी पैसा नहीं मिलता है। अधिकांश एटीएम शो-पीस बने नजर आते हैं। बैंकों की छुट्टी के दिन तो स्थिति बेहद खराब हो जाती है और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह बड़ी समस्या है, लेकिन जिम्मेदारों ने कभी भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। लोग इस आस में रहते हैं कि नगदी एटीएम से मिल जाएगी, पर जब प्रयास करते हैं तो बैरंग ही लौटना पड़ता है।
-जिले में 80 से अधिक एटीएम
जिले में सरकारी और प्राइवेट बैंकों के 80 से अधिक एटीएम हैं। कुछ एटीएम बैंक शाखा से जुड़े हैं और इनका ताला भी शाम पांच बजे लग जाता है। रविवार हो या छुट्टी कोई भी दिन, अक्सर एटीएम का शटर डाउन ही रहता है। नोटबंदी के बाद बेपटरी है व्यवस्था
शामली: नोटबंदी के बाद से एटीएम की व्यवस्था अभी तक ढर्रे पर नहीं आ सकी है। तमाम एटीएम में पैसा नहीं मिलता। शनिवार-रविवार हो या कोई त्योहार, शहर में एक भी एटीएम में पैसा मिल जाए तो गनीमत।ऐसा भी होता है कि जिस बैंक के एटीएम में नगदी मिलती है तो लोगों के पास दूसरे बैंक का एटीएम होता है। बैंकों के नियम हैं तो अलग बैंक से पांच बार ही निश्शुल्क लेन-देन कर सकते हैं। ऐसे में लोगों को सिस्टम की कमी का जुर्माना भी अपनी जेब से भरना पड़ता है। साथ ही काफी लोगों को तो जानकारी भी नहीं है कि पांच बार से अधिक दूसरे बैंक के एटीएम से नगदी निकालना महंगा पड़ता है। रविवार को ही सरकारी बैंकों के सभी एटीएम सुबह से ही खाली थे। बुढ़ाना रोड पर एक सिर्फ निजी बैंक के एटीएम में धनराशि जरूर मिली। झिझाना में नोटबंदी के बाद से बंद पड़ा एटीएम
झिझाना: कस्बे में एसबीआई और पीएनबी का एक-एक एटीएम लगा है। नोटबंदी के बाद एसबीआई का एटीएम खुला ही नहीं है। पीएनबी के एटीएम से भी हफ्ते एक-दो बार मिलता है। इसके अलावा एसबीआई बैंक के सर्वर में अक्सर दिक्कत रहती है, जिससे शाखा से भी धनराशि प्राप्त करने में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार प्रशासन से लोगों ने शिकायत भी की हैं, पर कोई सुनने को राजी नहीं। कैराना में एक ही एटीएम से मिल पाता है पैसा
कैराना: नगर की आबादी करीब 90 हजार से अधिक है और करीब सात एटीएम अलग-अलग बैंक के लगे हैं। स्थिति ये है कि सिर्फ एक प्राइवेट बैंक के एटीएम से ही नगदी मिल पाती है। जब इस पर दबाव बढ़ता है तो इसमें भी पैसा नहीं मिलता। अभी नगर में डिजिटल भुगतान के प्रति लोग ज्यादा जागरूक नहीं है। ऐसे भी तमाम लोग हैं, जिन्हें लगता है कि डिजिटल भुगतान करने से उनके साथ ठगी हो सकती है। कई-कई दिन खाली रहते हैं एटीएम
कांधला: कस्बे में छह से अधिक एटीएम हैं। स्थिति ये है कि रोजाना इनमें पैसा नहीं रखा जाता। सुबह अगर किसी एटीएम में पैसा डालते हैं तो दोपहर तक वह खाली हो जाता है और फिर कई-कई दिन तक खाली ही रहता है। ऐसे में बैंक शाखा में जाकर ही नगदी निकासी करनी पड़ती है। दो एटीएम, वो भी शोपीस
ऊन: कस्बे में दो ही एटीएम हैं और आबादी 22 हजार है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी इन्हें एटीएम के सहारे रहते हैं। स्थिति ये है कि कभी पैसा मिलता है और कभी एटीएम शोपीस बने रहते हैं। नोटबंदी से पहले स्थिति ठीक थी, लेकिन अब काफी खराब व्यवस्था है। परेशान होते हैं लोग
जलालाबाद: पीएनबी और एसबीआई का एक-एक एटीएम हैं। नियमित इनमें पैसा नहीं डाला जाता है, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। शाखा प्रबंधकों से कस्बे के लोग कईं बार पर्याप्त नगदी की उपलब्धता कराने की मांग भी कर चुके हैं। हसनपुर लुहारी स्थित एटीएम की भी यही कहानी है। थानाभवन में भी नहीं मिलता एटीएम से पैसा
थानाभवन: कस्बे में छह एटीएम हैं और अक्सर ये खाली रहते हैं। ऐसे में लोग नगदी के लिए परेशान होते हैं। एटीएम में इस्तेमाल होने वाले डेबिट आदि कार्ड की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन एटीएम में पर्याप्त नगदी की उपलब्धता के लिए कोई प्रयास नहीं होते। ये हो सकता है समाधान
-जिलाधिकारी प्रतिमाह एटीएम की व्यवस्था को लेकर समीक्षा बैठक करें।
-निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया जाए।
-कैशलैस एटीएम होने पर संबंधित बैंक पर जुर्माने की कार्रवाई हो। इन्होंने कहा..
एटीएम में नगदी न मिलने की समस्या पर बैंक अधिकारियों से बात की जाएगी। पूर्व में निर्देश दिए गए थे कि पर्याप्त नगदी की उपलब्धता रखी जाए। अगर अब भी यही स्थिति है तो इस समस्या को दूर कराने का प्रयास किया जाएगा।
-अखिलेश सिंह, जिलाधिकारी, शामली एटीएम में नगदी डालने की जिम्मेदारी संबंधित बैंक की होती है। कुछ एटीएम शाखा से अटैच होते हैं और कुछ में नगदी डालने की जिम्मेदारी बैंकों द्वारा एजेंसी को भी दी गई है। अपने स्तर से बेहतर व्यवस्था बनाने का प्रयास करेंगे।
-शैलेश कुमार, अग्रणी बैंक प्रबंधक।
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