पाकिस्तानी नागरिक वारिस के मुकदमे का दोबारा होगा ट्रायल
जेएनएन, शामली : हैंड ग्रेनेड और बंदूक के साथ पकड़े गए पाकिस्तानी नागरिक मो. वारिस उर्फ राजा और उसके तीनों साथियों के मुकदमे का दोबारा ट्रायल होगा। हाई कोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को उचित ठहराते हुए पुन: ट्रायल को हरी झंडी दी है।
सहायक अभियोजन अधिकारी तबस्सुम के मुताबिक, कांधला थाना पुलिस ने वर्ष 2000 में मो. वारिस और तीन अन्य लोगों को हथियार व विस्फोटक सामग्री के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस ने विवेचना के बाद चारों के खिलाफ चार्जशीट अदालत में दाखिल कर दी थी। वर्ष 2019 में हाई कोर्ट ने वारिस को मुकदमे से उन्मोचित (डिस्चार्ज) कर रिहा करने का आदेश दिया था। तर्क था कि पुलिस ने शासन से आरोप-पत्र दाखिल करने की अनुमति नहीं ली, जबकि देशद्रोह के मामले में यह आवश्यक होती है। इसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट अरुण सिंह ने पुन: ट्रायल का आदेश दिया और चारों आरोपितों के खिलाफ समन जारी किए। पुलिस ने शासन से अनुमति लेकर आरोप-पत्र दाखिल किया। इसके बाद बचाव पक्ष हाई कोर्ट पहुंच गया था। सहायक अभियोजन अधिकारी ने बताया कि गत 17 अगस्त को हाई कोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को उचित ठहराते हुए दोबारा ट्रायल को हरी झंडी दे दी।
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यह था मामला
कांधला थाना पुलिस ने वर्ष 2000 में पाकिस्तान के गुजरांवाला निवासी वारिस और तीन अन्य लोगों को हथियार व विस्फोटक सामग्री के साथ गिरफ्तार किया था। वारिस पर विदेशी नागरिक अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम तथा पासपोर्ट एक्ट के उल्लंघन का आरोप था। वारिस ने कोर्ट में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उसके पास से कोई आपत्तिजनक सामान बरामद नहीं हुआ। वह वैध पासपोर्ट के जरिये भारत आया था। वर्ष 2017 में मुजफ्फरनगर की कोर्ट ने अशफाक उर्फ नन्हे और वारिस को धारा 121 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई। वारिस पर पासपोर्ट एक्ट और विस्फोटक अधिनियम का आरोप सही पाया गया। लगभग 19 वर्ष बाद साल 2019 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वारिस की अपील पर सुनवाई की। पांच अगस्त-2019 को हाई कोर्ट ने वारिस की गिरफ्तारी पर आश्चर्य जताया। दो जजों की पीठ ने मामले की सुनवाई की और दिसंबर 2019 में वारिस को जेल से रिहा कर दिया गया। तभी से वह शामली में पुलिस के पास है। वारिस के बेटे गुलजार ने पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क कर पिता को वापस पाकिस्तान लाने की मांग की थी।