नोली से टपरी तक रिक्त पड़े हैं टिकट चेकर के पद
दिल्ली-शामली-सहारनपुर रूट पर दिल्ली से चलते समय ट्रेनों में पैर रखने तक की जगह नहीं होती। वहीं रेलवे की नजर में यह गैर उत्पादक रूट है। गैर उत्पादक रूट की वजह सवारियां न होना नहीं बल्कि नोली से टपरी तक एक भी टिकट चेकर का न होना है। इसके साथ ही रात को लूट के डर से यात्री ट्रेनों में बैठने से गुरेज करते हैं जिससे ट्रेने खाली चलती हैं।
शामली, जागरण टीम। दिल्ली-शामली-सहारनपुर रूट पर दिल्ली से चलते समय ट्रेनों में पैर रखने तक की जगह नहीं होती। वहीं, रेलवे की नजर में यह गैर उत्पादक रूट है। गैर उत्पादक रूट की वजह सवारियां न होना नहीं बल्कि नोली से टपरी तक एक भी टिकट चेकर का न होना है। इसके साथ ही रात को लूट के डर से यात्री ट्रेनों में बैठने से गुरेज करते हैं, जिससे ट्रेने खाली चलती हैं।
इस रेलमार्ग पर दिल्ली से शामली तक विद्युतीकरण भी पूरा हो चुका है, जिसे चीफ कमिश्नर आफ रेलवे सेफ्टी शैलेष पाठक ने मंजूरी भी दे दी थी। उस दौरान सीसीआरएस शैलेष पाठक ने भी अनौपचारिक वार्ता में कहा था कि रोडवेज हो या रेलवे बहुत दिनों तक घाटे में संचालन नहीं कर सकता। पिछले दिनों डिस्कवरी चैनल ने इस रूट को दुनिया के सबसे खतरनाक रूटों में छठे नंबर पर रखा था। ये हैं गैर उत्पादक रूट होने के वास्तविक कारण
दिल्ली-शामली-सहारनपुर रूट शायद भारत का पहला ऐसा रेलमार्ग हैं, जिसे भरपूर सवारियां होने के बावजूद भी गैर उत्पादक की श्रेणी में रखा गया है। गैर उत्पादक होने का कारण दिल्ली-शामली-सहारनपुर रूट पर नोली से टपरी तक एक भी टिकट चेकर का न होना है। वहीं, रात्रि में चलने वाली ट्रेनों में असुरक्षा की भावना के चलते लोग कम सफर करते हैं। लाकडाउन से पहले कई ट्रेन तो खाली चलती थी। इन्होंने कहा
यह रूट सवारियों की अनुपलब्धता के कारण गैर उत्पादक नहीं है बल्कि इसका कारण टिकट चेकर न होना और यात्रियों के मन में असुरक्षा की भावना का होना है। इस संबंध में रेलवे को कई पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
अनुज बंसल राष्ट्रीय सचिव, अग्रवाल मित्र मंडल पिछले साल लाकडाउन लगने के बाद ट्रेनों का संचालन बंद हो गया था। दो महीने में तीन स्पेशल मेल शुरू की गई हैं। रेलवे इस रूट पर खास ध्यान रख रहा है। शामली तक विद्युतीकरण होने पर और सुधार होगा।
इकराम अली, स्टेशन अधीक्षक शामली