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अनुमति 63 फैक्ट्री को, लेकिन 45 का ही हुआ संचालन

शामली़ जेएनएन शामली के ऑरेंज जोन में आने से पहले ही 63 फैक्ट्रियों के संचालन की सशर्त अनुमति दी गई थी। सबसे बड़ी समस्या है श्रमिकों की कम उपलब्धता की और दूसरी समस्या ये है कि बाजार में उत्पादों की डिमांड नहीं है। ऐसे में 45 फैक्ट्रियों में ही काम शुरू हुआ है। उद्यमियों का कहना है कि लॉकडाउन के पूरी तरह हटने के बाद ही उद्योगों की व्यवस्था कुछ पटरी पर आ सकती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 May 2020 10:31 PM (IST)Updated: Wed, 06 May 2020 10:31 PM (IST)
अनुमति 63 फैक्ट्री को, लेकिन 45 का ही हुआ संचालन
अनुमति 63 फैक्ट्री को, लेकिन 45 का ही हुआ संचालन

शामली़, जेएनएन: शामली के ऑरेंज जोन में आने से पहले ही 63 फैक्ट्रियों के संचालन की सशर्त अनुमति दी गई थी। सबसे बड़ी समस्या है श्रमिकों की कम उपलब्धता की और दूसरी समस्या ये है कि बाजार में उत्पादों की डिमांड नहीं है। ऐसे में 45 फैक्ट्रियों में ही काम शुरू हुआ है। उद्यमियों का कहना है कि लॉकडाउन के पूरी तरह हटने के बाद ही उद्योगों की व्यवस्था कुछ पटरी पर आ सकती है।

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जिले में वैसे तो 300 फैक्ट्रियां हैं। इनमें से कुछ नगर निकायों के क्षेत्र में भी हैं। उद्योग धंधे बंद होने मजदूरों-श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हुआ। उद्यमियों की मानें तो किसी भी श्रमिक का वेतन नहीं काटा गया, लेकिन इसके बाद भी अधिकांश श्रमिक अपने-अपने घरों को लौट गए। दूसरे जिलों और प्रदेशों के बड़ी संख्या में श्रमिक शामली की औद्योगिक इकाइयों में काम करते थे। उद्योग-धंधों के संचालन को लेकर जिला प्रशासन ने गाइडलाइन तैयार की। 29 अप्रैल को जिले की 63 फैक्ट्रियों को सशर्त अनुमति प्रदान की गई। इनमें रिम-धुरा, फूड डिस्पोजिबल कंटेनर, ऑयल स्पेलर, फ्लॉर मिल आदि की फैक्ट्रियां शामिल हैं। इनमें से करीब 45 फैक्ट्रियां शुरू हो गई हैं। हालांकि दो मई तक सिर्फ 30 फैक्ट्री ही चली थी।

बोले उद्यमी

दो तरह की दिक्कत प्रमुख हैं। एक तो ये परेशानी है कि जब खपत नहीं है तो बहुत अधिक माल तैयार नहीं कर सकते। दूसरी परेशानी ये है कि अगर किसी उत्पाद की थोड़ी-बहुत खपत होने की संभावना भी है, लेकिन श्रमिक-मजदूर नहीं मिल रहे। 50 फीसद कामगारों के साथ फैक्ट्री का संचालन करने की अनुमति है।

- अंकित गोयल, अध्यक्ष, शामली इंडस्ट्रीयल स्टेट मैन्यूफेक्चिरिग एसोसिएशन

उद्योगों की गाड़ी तभी पटरी पर आएगी, जब लॉकडाउन काफी हद तक खुल जाएगा। बाजार खुले बिना कैसे उत्पादों की डिमांड होगी। अगर डिमांड नहीं होगी तो माल तैयार करके क्या लाभ। सप्लाई होती रहेगी तभी तो फैक्ट्री भी चलेगी। यह एक चेन है। ऐसा नहीं हो सकता कि सप्लाई हो नहीं और माल तैयार होता रहे ।

-अशोक मित्तल, अध्यक्ष, आइआइए काफी कामगार अपने-अपने घरों को लौट गए हैं। उद्योगों की व्यवस्था पूरी तरह पटरी पर तभी आएगी, जब वह लौटेंगे। सरकार और प्रशासन ने उद्योगों के बारे में सोचा, ये अच्छी बात है। लेकिन दिक्कतें काफी हैं। तभी तो कई फैक्ट्री अनुमति के बाद भी शुरू नहीं हुई है। कच्चे माल की पर्याप्त आपूर्ति न होना भी बड़ी समस्या है।

-निखिल एरन, उद्यमी

सबसे भारी समस्या ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों की फैक्ट्रियों के लिए अनुमति है। इससे नगर पालिका क्षेत्र की फैक्ट्रियां बर्बाद होने की कगार पर हैं। सरकार को अपनी इस नीति में बदलाव करना चाहिए। कोरोना से बचाव के लिए सभी सावधानी बरतते हुए यह फैक्ट्री में काम किया जाएगा। इसलिए नगर पालिका क्षेत्र की फैक्ट्रियों को भी अनुमति हो।

-वेदप्रकाश आर्य, उद्यमी

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ये दिया है शपथ पत्र

शपथ पत्र में दिया है कि शारीरिक दूरी, सैनिटाइजेशन का पूरा ध्यान रखते हुए संचालन होगा। यदि क्षेत्र हॉटस्पॉट घोषित होता है तो फैक्ट्री तुरंत बंद कर दी जाएगी। अगर लॉकडाउन का किसी भी प्रकार का उल्लंघन होना पाया जाता है तो सुसंगत धाराओं में कार्रवाई स्वीकार होगी।


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