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जिले में 40265 बने नए मतदाता, ईपी अनुपात 63.3 फीसद

शामली: जिले में इस वर्ष 40265 नए मतदाता बने हैं और आबादी के हिसाब से इलेक्ट्रॉल पोल (ईपी) रेि

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 11:04 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 11:04 PM (IST)
जिले में 40265 बने नए मतदाता, ईपी अनुपात 63.3 फीसद
जिले में 40265 बने नए मतदाता, ईपी अनुपात 63.3 फीसद

शामली: जिले में इस वर्ष 40265 नए मतदाता बने हैं और आबादी के हिसाब से इलेक्ट्रॉल पोल (ईपी) रेशियो यानी अनुपात 63.3 फीसद है। साथ ही मतदात सूची में ¨लगानुपात 886 महिला प्रति एक हजार पुरुष है। स्वीप योजना के माध्यम से दिव्यांगजन समिति भी बनाई गई है और जिले में चार हजार से अधिक दिव्यांग मतदाता हैं।

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स्वीप की ओर से मतदान जागरूकता के लिए लगातार कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और बेहतर कार्यों के लिए शामली को सर्वश्रेष्ठ भी चुना गया है। स्वीप के को-ऑर्डिनेट डॉ. अजय बाबू शर्मा ने बताया कि नौवां राष्ट्रीय मतदाता दिवस शुक्रवार को मनाया जाएगा और इसकी थीम 'कोई मतदाता न छूटे' रखी गई है। विभिन्न सामाजिक संस्था एवं शैक्षिक संस्थानों के सहयोग से मतदान के प्रति जागरूक करने के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। फिलहाल नए मतदाता नहीं बनाए जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत (कैराना सीट)

2018 (उपचुनाव), 54.17 फीसद

2014, 73.10 फीसद

2009, 56.59 फीसद

2004, 66.90 फीसद

1999, 63.67 फीसद

1998, 66.43 फीसद

1996, 52.63 फीसद

मतदाताओं की संख्या

कैराना विधानसभा क्षेत्र

167531 (पुरुष)

142281 (महिला)

08 (थर्ड जेंडर)

थानाभवन विधानसभा क्षेत्र

174509 (पुरुष)

144409 (महिला)

45 (थर्ड जेंडर)

शामली विधानसभा क्षेत्र

169720 (पुरुष)

149219 (महिला)

17 (थर्ड जेंडर)

दिव्यांग मतदाता

कैराना विस सीट, 1620

थानाभवन विस सीट, 1502

शामली विस सीट, 1165 लोकतंत्र की रीढ़ है मतदाता

शिक्षाविद् डॉ. अनुराग शर्मा का कहना है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। गांव से लेकर देश तक की सरकार का चयन जनता यानी मतदाता करते हैं। मतदाता लोकतंत्र की रीढ़ है और हर व्यक्ति को मत के अधिकार का महत्व समझना चाहिए। हमें बिना किसी के प्रलोभन में आए और बिना की डर के मतदान अवश्य करना चाहिए और एक अच्छा जनप्रतिनिधि व सरकार चुननी चाहिए। राष्ट्र निर्माण के लिए मतदान करना आवश्यक है। नोटा का सोच समझकर करें प्रयोग

स्वीप के को-ऑर्डिनेट डॉ. अजय बाबू शर्मा ने बताया ने बताया कि नोटा (नन ऑफ द एबव) यानी इनमें से कोई नहीं। नोट 2015 में पूरे देश में लागू हुआ। यह भी एक कैंडीडेंट की तरह है और इसकी की गोपनीयता भंग नहीं की जा सकती। नोट का इस्तेमाल करने के लिए मतदाता पूरी तरह स्वतंत्र है। समाजसेवी मनोज सैनी कहते हैं कि नोटा का प्रयोग करने से पहले सोचना चाहिए कि क्या वाकई में कोई भी काबिल उम्मीदवार नहीं है। कई बार नोटा के इस्तेमाल से गलत व्यक्ति के हाथ में शक्ति चली जाती है। जाति-धर्म से ऊपर उठकर देश हित को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना चाहिए।

इन्होंने कहा..

पहली बार 1952 के चुनाव में वोट किया था। मैं हर छोटे-बड़े चुनाव में अपने मत का प्रयोग करता हूं। बिना मतदान किए हम किसी सरकार या जनप्रतिनिधि को नहीं कह सकते कि वह गलत काम कर रहा है।

महावीर ¨सह, वयोवृद्ध

आजकल के युवा तो वो¨टग वाले दिन कहीं घूमने चले जाते हैं। हमारे भीतर तो वो¨टग के लिए पहले भी उत्साह था और आज भी है। युवाओं को वोट की ताकत को समझना चाहिए। एक-एक वोट अहम होती है।

-हरवीर ¨सह, वयोवृद्ध

मैं चुनाव के दिन सबसे पहले वोट करने जाता हूं और इसके बाद कोई अन्य काम होता है। परिवार व दोस्तों को भी इसके लिए प्रेरित करता हूं। मेरे लिए मत का प्रयोग नौकरी से भी ज्यादा महत्व रखता हे।

-संजीव शर्मा, नौकरीपेशा

हमें अनिवार्य रूप से वोट करना चाहिए। सरकार को इस संबंध में कानून बनाने की जरूरत है। मेरे लिए मतदान का दिन अहम होता है। लोगों को अपनी सोच बदलनी चाहिए।

-दुर्गेश, नौकरीपेशा


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