जीवात्मा को परमात्मा बना देती रामाश्रम की उपासना पद्धति
मंगलवार को बाबा विश्वनाथ यात्री निवास में देश भर से जुटे साधकों ने रामाश्रम सत्संग मथुरा के अधिष्ठाता व गृहस्थ संतों का आशीर्वाद लिया।
शाहजहांपुर : मंगलवार को बाबा विश्वनाथ यात्री निवास में देश भर से जुटे साधकों ने रामाश्रम सत्संग मथुरा के अधिष्ठाता व ग्रहस्थ संत प्रभू दयाल शर्मा व कृष्णकांत शर्मा से शांति व समृद्धि का आशीष लिया। संत द्वय ने साधकों को कबीरदास जी के दोहे, पांडव तथा गोपिकाओं के विविध प्रसंगों के माध्यम से ध्यान साधना व गुरुभक्ति का संदेश दिया। कहा कि गुरु कृपा से जीवन में शांति आ जाती है। स्वत: ही मनचाही मुराद पूर्ण हो जाती है।
समापन सत्र में संत कृष्णकांत शर्मा ने कहा कि रामाश्रम सत्संग की उपासना पद्धति जीवात्मा को परमात्मा का परम वैभव प्रदान कर देती है। अपने पराए का भेद मिट जाता है। अध्यात्म ही वह मार्ग है जिसको अपनाने पर हमारी कमियां दूर हो जाती, जीवन सुन्दर बन जाता है। संत प्रभू दयाल ने गुरू के दरबार में प्रेम मांगने की प्रेरणा दी। बताया कि परम् संत डॉ. बृजेन्द्र कुमार तथा परमभागवत पं. मिहीलाल शर्मा ने समर्थ गुरु से प्रेम की ही अभिलाषा की और उन्हें प्रथम दर्शन में ही सब कुछ मिल गया।
लखनऊ से पधारे आचार्य शिव प्रसाद शर्मा अंत:करण में गुरु की ज्योति जलने पर राग द्वेष मिट जाते और हृदय निर्मल हो जाता है। आचार्य श्याम मोहन टण्डन ने मुक्तधाम गए साधकों की आत्म की शांति के लिए शांतिपाठ कराया। स्थानीय केंद्र प्रभारी रघुवरदयाल अग्रवाल ने जिला प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधियों व सत्संगियों का सहयोग के लिए आभार जताया।
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ध्यान साधना में डूब गए हजारों भक्त
तीन दिवसीय अखिल भारतीय आंतरिक अध्यात्मिक सत्संग समारोह के अंतिम दिन प्रसादार्पण सत्र हुआ। देश भर से जुटे हजारों साधकों ने गुरुसत्ता के सानिध्य में ध्यान किया। करीब 45 मिनट तक साधक ध्यान साधना में डूबे रहे।
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इंसेट
सेवाभाव को आतुर रहे श्रद्धालु
रामाश्रम सत्संग में आए साधक व सत्संगी सेवा भाव को आतुर रहे। जगपाल ¨सह, हरनाम दास मेहरोत्रा, ओम प्रकाश अवस्थी, फूलमती ¨सह, महक टण्डन, श्रद्धा ¨सह, रानी रस्तोगी, तन्नू ¨सह, सुलोचना, श्रीमती माया, लवली गुप्ता, अनुपम, सक्षम कुलश्रेष्ठ, भगवान दस गुप्ता, मोहन लाल बंसल, पंकज टंडन, अभिषेक, सूबेदार शर्मा, श्याम मोहन गुप्ता, निर्भय अग्रवाल, अजय अग्रवाल, मनु ¨सह आदि ने स्वागत, भोजनालय, आवास आदि व्यवस्थाओं में प्राणमन से सहयोग किया।