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Shahjahnpur News: 22 माह बाद पुलिस ने दिखाया सामान तब की बेटे के शव की शिनाख्‍त, डीएनए टेस्‍ट से होगी पुष्टि

After 22 months dead body Identified पशु चिकित्सा अधिकारी डा. आदित्य गोयल ने जांच की तो उन्होंने शव इंसान का बताया था। जिसके बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया। कंकाल बन चुके शव की शिनाख्त कराने के प्रयास किए लेकिन कोई नहीं आया।

By Jagran NewsEdited By: Vivek BajpaiPublished: Wed, 05 Oct 2022 10:28 PM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 10:28 PM (IST)
Shahjahnpur News: 22 माह बाद पुलिस ने दिखाया सामान तब की बेटे के शव की शिनाख्‍त, डीएनए टेस्‍ट से होगी पुष्टि
After 22 months dead body Identified: पुलिस अब डीएनए टेस्‍ट करा सकती है। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

शाहजहांपुर, जागरण संवाददाता। After 22 months dead body Identified: 22 माह पहले मोबाइल की दुकान में मिले अधजले शव को अपने लापता बेटे का बताकर पिता थाने के चक्कर काटता रहा, लेकिन पुलिस ने उसकी बात न सुनी। चार-चार थानेदार बदल गए, लेकिन उन्होंने जांच करने की जरूरत तक नहीं समझी। आइजी के पास गुहार लगाई तो एक माह बाद सीओ सदर को सुध आई। उन्होंने बुधवार को शव के साथ मिले कड़े, ताबीज दिखाए तो पिता ने शिनाख्त की। बेटे की हत्या का आरोप लगाया, लेकिन पुलिस उससे सहमत नहीं है। कहा कि डीएनए जांच कराने के बाद ही उसकी बात मानी जाएगी।

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रोजा की रेलवे कालाेनी निवासी नईम की मोबाइल की दुकान थी। 19 दिसंबर 2020 को वह दुकान बंद करके घर चला गए रात करीब साढ़े 12 बजे दुकान में आग लग गई। जिससे उसमें रखा सारा सामान जल गया। अगली सुबह नईम पुलिस टीम के साथ दुकान पहुंचे। तो वहां अधजला शव बरामद। उस पर बोरे चिपके होने के कारण पुलिस ने पशु का बताते हुए शव को दुकान से कुछ दूर तालाब के किनारे फिंकवा दिया था।

पशु चिकित्‍साधिकारी की जांच में पता चला इंसान का है शव 

पशु चिकित्सा अधिकारी डा. आदित्य गोयल ने जांच की तो उन्होंने शव इंसान का बताया था। जिसके बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया। कंकाल बन चुके शव की शिनाख्त कराने के प्रयास किए, लेकिन कोई नहीं आया। इसके बाद शव में मिले कड़ा, ताबीज व अधलजा अंडरवियर को पोटली बनाकर थाने में रखवा दिया। विसरा के साथ ही डीएनए टेस्ट के लिए दांत, हड्डी के कई टुकड़े भी सुरक्षित कराकर शव का अंतिम संस्कार करा दिया।

थानों के लगवाते रहे चक्कर

इस बीच रामचंद्र मिशन क्षेत्र के मुहल्ला रेती निवासी रामौतार यादव अपने लापता बेटे अभिषेक की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने के लिए थाने पहुंचे, लेकिन रोजा पुलिस ने उन्हें अपने संबंधित थाने जाने के लिए कहा। रामचंद्र मिशन थाने गए तो वहां से रोजा जाने के लिए कह दिया। रामौतार ने दुकान में मिले शव की शिनाख्त कराने को कहा तो पुलिस ने इन्कार कर दिया। इसके बाद से वह बेटे की तलाश करते रहे और पुलिस उन्हें चक्कर लगवाती रही। एसपी के निर्देश पर 15 फरवरी 2021 को रामचंद्र मिशन पुलिस ने बामुश्किल अभिषेक की गुमशुदगी दर्ज कर ली, लेकिन इसके आज तक आगे की कोई कार्रवाई नहीं की।

आदेश लाने के लिए 22 माह दौड़ते रहे रामौतार

रामौतार यादव ने बताया कि अभिषेक रोजा क्षेत्र की पाप्स फैक्ट्री में काम करता था। 19 दिसंबर की शाम सात बजे वह घर से रामचंद्र मिशन क्षेत्र में ढाबे पर खाना खाने गया था। उसके बाद से वापस नहीं आया। अगले दिन रोजा थाने जाकर सूचना दी, तो पुलिस ने रामचंद्र मिशन थाने भेज दिया। उन्हें दुकान में अधजला शव व उसके पास कड़ा, ताबीज मिलने की जानकारी मिली थी। पुलिस से कई बार कहा कि वही दिखा दे, लेकिन तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक राजेंद्र बहादुर सिंह ने इन्कार कर दिया।

कहा कि अधिकारियों का आदेश लेकर आओ तब दिखाएंगे। इसके बाद से तीन अन्य प्रभारी निरीक्षक आए, पर न सभी का एक ही जवाब था कि आदेश लाओ तब कड़ा, ताबीज दिखाएंगे। सीओ, एएसपी, एसपी ने जब उनकी नहीं सुनी तो सितंबर में वह आइजी रमित शर्मा से जाकर मिले। उन्हें पूरी बात बताई। जहां आइजी ने एसपी को निर्देश जारी किए। उसके बाद सीओ सदर अमित चौरसिया ने बुधवार को रामौतार को फोन किया।

कनेक्शन नहीं लगी तो शार्ट सर्किट कैसे हुआ

पुलिस ने इस मामले की फाइल ही बंद कर दी थी। राजेंद्र बहादुर सिंह के बाद दिनेश शर्मा, संदीप मिश्रा, राजकुमार शर्मा जो भी प्रभारी निरीक्षक आए उनका कहना था कि कोई चोर टीन शेड काटकर अंदर घुसा होगा और शार्ट सर्किट से आग लगने पर अंदर जलकर मर गया होगा, लेकिन वह चोर कहां का रहने वाला था। उसकी शिनाख्त के लिए प्रयास क्यों नहीं किए, इनका सवाल नहीं था। सबसे बड़ी बात यह कि दुकान में बिजली का कनेक्शन ही नहीं था। बावजूद इसके पुलिस ने इस बिंदु पर जांच करने की बजाय शार्ट सर्किट से आग लगने की थ्याेरी ही गढ़ना शुरू कर दी।

डीएनए टेस्‍ट की नहीं मिली थी अनुमति

तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक दिनेश कुमार शर्मा ने डीएनए टेस्ट के लिए अधिकारियों को पत्र लिखा भी था, लेकिन अनुमति नहीं मिली। इसलिए उन्होंने भी ढिलाई डाल दी। दरअसल डीएनए जांच के लिए डीएम के स्तर से अनुमति चाहिए होती है। 25 हजार रुपये का खर्च आता है। लखनऊ लैब में जांच करने के बाद इसकी रिपोर्ट हैदराबाद भी भेजी जाती है। इसमें शव के दांत, शरीर के किसी अन्य अंग का सैंपल व शिनाख्त करने वाले परिवार के संबंधित व्यक्ति के खून का सैंपल सीएमओ या उनके समकक्ष अधिकारी के सामने लिया जाता है।

कारण पता नहीं, हत्या की बात पर अड़े

रामौतार का आरोप है कि उनके बेटे की हत्या की गई है। क्योंकि बंद दुकान में आग लगी थी। दुकान का शटर बंद था तो उनका बेटा अंदर कैसे पहुंचा। अगर वह टीनशेड काटकर जाता भी तो आग लगने पर बाहर निकल आता। हत्या क्यों हुई, नईम से उसकी कोई रंजिश थी, उसे किसी अन्य पर शक है इन सवालों पर रामौतार ने कोई जवाब नहीं दिया। बस इतना कहा कि उनके बेटे की हत्या की जांच होनी चाहिए। उसे ज्वलनशील पदार्थ डालकर जलाया गया है।

क्‍या बोले जिम्‍मेदार 

रोजा के प्रभारी निरीक्षक कुंवर बहादुर सिंह ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले मुरादाबाद के अपराधी मुकेश यादव का मामला सामने आ चुका है। उसने स्वजन ने किसी दूसरे के शव को अपने बेटे का शव बताकर अंत्येष्टि कर दी। उसके बाद से वह अपराधी अपने परिवार के साथ रोजा में रह रहा था। इस मामले में किसी तरह की चूक या लापरवाही न हो इसलिए डीएनए टेस्ट के बाद ही आगे की कार्रवाई करेंगे।


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