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ऐसे बेटे से तो बेऔलाद होना अच्छा

शाहजहांपुर : बुजुर्ग लीलावती की जिस तरह मौत हुई और उनके बेटे सलिल व नाते रिश्तेदारों न आने की जहमत तक नहीं उठाई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 12:52 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 12:52 PM (IST)
ऐसे बेटे से तो बेऔलाद होना अच्छा
ऐसे बेटे से तो बेऔलाद होना अच्छा

शाहजहांपुर : बुजुर्ग लीलावती की जिस तरह मौत हुई और उनके बेटे सलिल व नाते रिश्तेदारों ने जिस तरह आने की जहमत तक नहीं उठाई उससे देखकर व सुनकर हर कोई हैरान है। क्या कोई संतान ऐसी भी हो सकती है। जिस मां ने नौ माह उसे पेट में रखकर जन्म दिया। उसे कोई बेटा बंद घर में मरने के लिए छोड़ सकता है। जानकारी होने के बाद भी उनका अंतिम संस्कार करने तक नहीं आ सकता है। सलिल ने जो कुछ किया उससे लोगों में उसके प्रति काफी रोष है। उनका कहना है कि ऐसी औलाद से तो बेऔलाद होना ही ठीक है।

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---------------- फोटो: 15 एसएचएन: 1

माता पिता संतान का पालन पोषण करके उसे इस काबिल बनाते है कि वह न सिर्फ अपना बल्कि बुढ़ापे में उनका भी ध्यान रख सके, लेकिन अब समय बदल गया है लोगों की संवेदनाएं खत्म हो रही हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सलिल है। जो मां की मौत के बाद उनका चेहरा देखने तक नहीं आया।

कनक रानी, प्राचार्य, आर्य महिला डिग्री कॉलेज

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फोटो: 15 एसएचएन: 2

लीलावती के साथ जो कुछ हुआ वह स्तब्ध करने वाला है। उनका बेटा सलिल अपनी मां की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार करने तक नहीं आया। ऐसे लोगों से रिश्ते-नाते खत्म कर देना चाहिए।

रामा यादव

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फोटो: 15 एसएचएन: 3

समाज बहुत तेजी से बदल रहा है। ऐसे में लोगों को अपने बच्चों को शुरू से ही अच्छे संस्कार देने चाहिए। ताकि वह अपने बड़ों का सम्मान करें, बुजुर्गों की सेवा करें। सलिल ने जो कुछ किया वह शर्मसार करने वाला है।

विजय कुमार

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फोटो: 15 एसएचएन: 4

ऐसा बेटों से समाज कलंकित होता है। अगर मां-बाप बचपन से ही अच्छी शिक्षा दें तो समाज में सुधार आ सकता है। सलिल जैसे लोगों का बहिष्कार कर देना चाहिए।

कुशाग्र चौरसिया

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फोटो: 15 एसएचएन: 5

इससे ज्यादा शर्म की बात क्या बात हो सकती है कि एक बेटा अपनी मां को मकान में बंद करके चला गया। जिससे उनकी मौत हो गई। जानकारी होने के बाद भी वह अपनी मां का अंतिम संस्कार करने नहीं आया।

तारिक खां

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फोटो: 15 एसएचएन: 6

समाज में लोग रिश्तों से विमुख हो रहे हैं। नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है। सलिल की मां भूख से मरी जिसके लिए वह खुद जिम्मेदार था। अगर वह अपनी मां का अंतिम संस्कार कर देता तो शायद उसके कुछ पापा धुल जाते। ऐसे लोगों माफ नहीं करना चाहिए।

इंदु अजनबी

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मां और बेटे का रिश्ता बहुत ही पवित्र होता है। सलिल जैसे लोगों पर धिक्कार है। उसने तो अपने लिए मां शब्द के अर्थ को बदलकर रख दिया। उसे तो इसकी सजा मिलनी चाहिए।

शिवम गुप्ता

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समय बहुत बदल चुका है। पहले लोग आखिरी सांस तक माता-पिता की सेवा किया करते थे। इसको अपनी जिम्मेदारी समझते थे। लेकिन अब जो बदलाव आ रहा है वह ठीक नहीं है। सलिल जैसे लोग रिश्तों को तार-तार कर रहे हैं।

पवन मिश्र

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ऐसे बेटे को कभी भी माफ नहीं करना चाहिए। जिस मां ने उसे इस लायक बनाया कि आखिरी समय में उसे मरने के लिए छोड़ गया। ऐसे हालात में लोग दूसरे की मदद में आ जाते हैं, लेकिन सलिल ने अपने आप को समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रखा।

रवि कनौजिया

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फोटो: 15 एसएचएन: 10

बेटे के पैदा होने बाद सबसे ज्यादा मां खुश होती है। सलिल अपनी मां को मरने के लिए मकान में बंद करके चला जाता था। ऐसे बेटा होने से क्या फायदा जो मां के मरने के बाद भी उनका अंतिम संस्कार करने नहीं आया।

गोपाल पांडेय

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फोटो: 15 एसएचएन: 11

समाज की सोच बदल रही है। रिश्तों को मोल खत्म हो रहा है। परिवार टूट रहे हैं। इसी वजह से लोगों के दिल में दूरियां बढ़ रहीं हैं। समाज को बचाने के लिए बच्चों को जागरूक करना होगा। उन्हें अच्छे संस्कार देने होंगे।

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फोटो: 15 एसएचएन: 12

दुनिया में मां से बढ़कर कुछ नहीं होता है। मां ही हमको जीवन देती है। नौ माह कोख में रखकर जन्म देती है। मां को अपने बच्चों से बहुत उम्मीद होतीं हैं, लेकिन सलिल ने जो किया वह माफी लायक नहीं है।

प्रवीन कुमार उर्फ सोनू

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फोटो: 15 एसएचएन: 13

सलिल जैसे लोग इंसानियत और मनवता के लिए बहुत शर्मसार करने वाले लोग हैं। अपनों के साथ अनहोनी की खबर सुनकर सात समंदर पार से आ जाते हैं, लेकिन वह अपनी मां की मौत के बारे में पता होने के बाद भी नहीं आया।

गो¨वद वाजपेयी

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फोटो: 15 एसएचएन: 14

ऐसे बेटे को जेल भेज देना चाहिए उसके समाज में रहने का कोई हक नहीं है। उसे शर्म आनी चाहिए कि साथियों ने चंदा करके उसकी मां के शव का अंतिम संस्कार किया।

अंजलि मिश्रा

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फोटो: 15 एसएचएन: 15

सलिल के कारण उसका परिवार बिखर गया। उसकी मां लावारिसों की तरह मरीं। वह बुलाने के बाद भी उनका अंतिम संस्कार करने नहीं आया। उसे नौकरी से निकाल देना चाहिए।

मुस्कान

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फोटो: 15 एसएचएन: 16

पहले मां पिता की आखिरी सांस तक उनकी सेवा करते थे, लेकिन अब समय बदल गया है। रिश्तों में दूरियां बढ़ रही है। मां-पिता, भाई-बहन जैसे रिश्तों में दूरियां बढ़ती जा रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सलिल है।

रुचि सक्सेना

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फोटो: 15 एसएचएन: 17

ऐसा बेटा होने से अच्छा है कि बेऔलाद हो। जो बेटा अपनी बूढ़ी बीमार मां को मकान में बंद करके चला जाए। मां की मौत की खबर मिलने के बाद भी वापस न आए, ऐसी संतान से क्या फायदा।

अन्हा

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फोटो: 15 एसएचएन: 18

दुनिया बहुत बदल गई है रिश्तों के मायने खत्म हो गए हैं। जिन माता-पिता ने पालन पोषण करके बच्चे को बड़ा किया है वह बड़े होने के बाद सबकुछ भूल जाते हैं।

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