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सिस्टम ही नहीं साफ्टवेयर भी धान खरीद में बाधक

धान खरीद में सिस्टम ही नहीं साफ्टवेयर भी मुसीबत बना हुआ है। छोटी जोत के काश्तकारों को भी पंजीयन के बाद सत्यापन के लिए विवश होना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 05:45 PM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 05:45 PM (IST)
सिस्टम ही नहीं साफ्टवेयर भी धान खरीद में बाधक
सिस्टम ही नहीं साफ्टवेयर भी धान खरीद में बाधक

- नियम बदलने के बावजूद 100 क्विंटल से कम खरीद से नहीं हटा सत्यापन का ऑप्शन

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- किसी एक हिस्सेदार के रजिस्ट्रेशन करा लेने पर, दूसरे कृषक नहीं बेंच पा रहे उपज

जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर : धान खरीद में सिस्टम ही नहीं साफ्टवेयर भी मुसीबत बना हुआ है। छोटी जोत के काश्तकारों को भी पंजीयन के बाद सत्यापन के लिए विवश होना पड़ रहा है। किसी एक हिस्सेदार के पंजीयन करा लेने पर उसी खेत के अन्य हिस्सेदार कृषक उपज नहीं बेंच पा रहे। जिलाधिकारी ने साफ्टवेयर में सुधार के लिए कंपनी को पत्र भी था, लेकिन एक माह बीतने के बाद भी सिस्टम व सॉफ्टवेयर में सुधार नहीं हुआ।

जनपद में पीएम सम्मान निधि के 4.39 लाख पंजीकृत किसान है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 4.09 लाख किसानों का आंकड़ा दर्ज है। प्रतिवर्ष समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है। इस वर्ष गेहूं का सरकारी भाव 1845 रुपये प्रति क्विंटल है। समर्थन मूल्य दिलाने के लिए अब तक 167 क्रय केंद्र भी खोले जा चुके हैं, लेकिन साफ्टवेयर की खराबी के कारण छोटे काश्तकारों का धान खरीदने में संस्थाओं को परेशानी से जूझना पड़ रहा है। साफ्टवेयर से सत्यापन का कॉलम नहीं हटाया गया है। हिस्सेदार किसानों का पंजीयन भी नहीं हो पा रहा है। जिलाधिकारी की ओर से संबंधित संस्थाओं को लिखा गया है।

अमरपाल सिंह, धान खरीद अधिकारी व एडीएम वित्त एवं राजस्व

फैक्ट फाइल

-36.60 लाख क्विंटल धान खरीद का है लक्ष्य

- 5.50 लाख क्विटल की हो चुकी खरीद

- 4 केंद्र स्वीकृति के बावजूद विवाद में बंद


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