सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने वाली संसद धारा 370 हटाए
आतंकी हमला में सीआरपीएफ जवानों की शहादत से पूर्व सैनिक बेहद दुखी है।
जेएनएन, शाहजहांपुर : आतंकी हमला में सीआरपीएफ जवानों की शहादत से पूर्व सैनिक बेहद दुखी है। रविवार को सेना की ओर से आयोजित पूर्व सैनिक सम्मेलन में उनकी पीड़ा जुबां पर आई।
पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन के संरक्षक ग्रुप कैप्टन पीके गुप्ता बोले हमें रोज रोज का मरना बर्दाश्त नहीं। एक बार में आरपार की लड़ाई हो जानी चाहिए। उन्होंने कश्मीर से धारा 35 ए व धारा 370 हटाने की मांग की। कहा जो संसद सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल सकती आखिर वह देश द्रोहियो को संरक्षण देने वाली धारा क्यों नही हटाती।
सेना की ओर से आयोजित पूर्व सैनिक सम्मेलन में आए ग्रुप कैप्टन पीके गुप्ता ने युद्ध से पूर्व पाकिस्तान को राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक स्तर पर चोक कर देने का भी सुझाव दिया। कहा कि किसी भी देश को सबक सिखाने के युद्ध को आखिरी विकल्प के रूप में लेना चाहिए।
सबसे पहले सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक स्तर पर पाकिस्तान उसकी औकात बतानी चाहिए। इसके बाद युद्ध से आतंक के पनाहगारों को नेस्तनाबूत करने की जरूरत है। इसके लिए पूर्व सैनिक मानव बम बनने को तैयार हैं। देश के 70 लाख पूर्व सैनिक राष्ट्ररक्षा को बलिदान के लिए तैयार है।
हमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत के नक्शे में चाहिए। वायुसेना के सारजेंट पीपी ¨सह ने कहा यदि देश की जनता कश्मीर के पर्यटन का बहिष्कार कर दे तो पत्थरबाज व आतंक के पनाहगार भूखों मरने लगेंगे।
आस्तीन के सांपों को कुचलने की छूट दे सरकार
ग्रुप कैप्टन पीके गुप्ता समेत पूर्व सैनिकों का कहना था कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के साथ ही कश्मीर में रहकर आतंक को सरंक्षण दे रहे नेताओं को कुचलने की जरूरत है। इसके लिए सरकार को खुली छूट देने चाहिए।
पाकिस्तान के क्रिकेटर्स, कलाकारों के बहिष्कार के साथ वहां से आयातित वस्तुओं का बहिष्कार होना चाहिए। रेल, बस यात्रा समेत सभी तरह के संबंध विच्छेद कर लेने की जरूरत है।
सब्सिडी से पल रहे पत्थरबाज
प्रोफेसर रईस अहमद, सुबेदार मेजर बाबूराम कश्यप, हवलदार हरिप्रकाश कश्यप, सत्यपाल ¨सह, वीरेंद्र राठौर आदि ने कहा कि कश्मीर में छह हजार करोड़ मी सब्सिडी दी जाती है। वहां के पत्थरबाजों को बेहतर सुविधाएं दी जा रही है।
यह सब धारा 370 व धारा 35 ए की देन है। इन्हें हटाकर कश्मीर में समान नागरिक अधिकार लागू किए जाने में अब देर नहीं होनी चाहिए। पत्रकार वार्ता में बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक मौजूद थे।