निमोनिया से जंग लड़ेगा पीवीसी टीका
हर साल देश में साढ़े तीन लाख बच्चों की मौत। यह न किसी महामारी की करतूत है।
शाहजहांपुर : हर साल देश में साढ़े तीन लाख बच्चों की मौत। यह न किसी महामारी की करतूत है और न कोई वायरल अटैक। बेहद साधारण समझा जाने वाला बच्चों का निमोनिया इतनी जानें हर साल लील रहा है। सबसे ज्यादा मौत अपने प्रदेश में होती है। इससे लड़ने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यूनिसेफ की मदद से पीवीसी (न्यूमोकोकल कंजुगेट टीका) अभियान शुरू किया है। छह जिलों से इसका आगाज हो गया, अब शाहजहांपुर में अभियान की तैयारी है।
नवजात शिशुओं में यह बीमारी पिछले कुछ वर्षो में तेजी से बढ़ी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे भयावह स्थिति उत्तर प्रदेश में है। जिले में भी पूरे वर्ष में आठ से 10 हजार तक बच्चों की सांसें निमोनिया का प्रभावी इलाज न मिल पाने से थम जाती हैं। पीवीसी टीका से मासूमों की जिंदगी सुरक्षित रखने की उम्मीद जागी है।
इन बीमारियों से मिलेगी निजात
दिमागी बुखार: यह न्यूमोकोकल संक्रमण का एक गंभीर प्रकार है। आम तौर पर बुखार, गर्दन की अकड़न और मानसिक भ्रम की स्थिति होती है। बीमारी लंबी खिंचने पर सुनाई न देने से लेकर मौत तक हो सकती है।
निमोनिया बुखार : नवजात और छोटे बच्चों की सांस फूलने, ठंड लगने और खांसी आने से यह बुखार पैर पसारता है। गंभीर मामले और वक्त पर इलाज न मिलने से मौत हो सकती है।
ओटिटिस मीडिया बुखार : यह निमोनिया का ही एक रूप है। इसमें बुखार, स्त्राव व स्त्राव के साथ कान में दर्द होता है। बार-बार होने ऐसा होने पर श्रवण क्षमता तक क्षीण हो जाती है। इस क्रम में लगेंगे टीके
- जन्म के बाद बच्चे को पहली डोज छठवें सप्ताह में
- दूसरी डोज 14 वें सप्ताह में
- तीसरी डोज नौवें माह में दी जाती है।
वर्जन-
जिले में जल्द ही पीवीसी का टीका लगने का अभियान शुरू होगा। इससे निमोनिया से होने वाली मौतों को रोका जा सकेगा। विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।
- डॉ. आरपी रावत, सीएमओ