फांसी पर लटकने से पहले कैदी ने चौकाया, हाईस्कूल की परीक्षा में फर्स्ट क्लास
जागरण संवाददाता शाहजहांपुर
फांसी पर लटकने से पहले कैदी ने चौकाया, हाईस्कूल की परीक्षा में फर्स्ट क्लास
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर : हत्या के मामले में फांसी की सजा पा चुके कैदी ने जेल पहुंचने के बाद शिक्षा को अपनाया। गांव में हनक दिखाने के तमंचा लेकर घूमता था। भूल गया था कि कानून सभी से ऊपर है। जेल पहुंचने के बाद इस बात का एहसास हुआ, पश्चाताप कर पुस्तकों का सहारा लेने लगा। शनिवार को हाईस्कूल की परीक्षा का परिणाम आया, जिसमें उसने 64 प्रतिशत अंक प्राप्त किए।
जल्लापुर गांव निवासी मनोज यादव के भाई विजय ने पड़ोस के गांव निकुर्रा निवासी रामवीर के घर के पते पर वोट बनवा लिया था। रामवीर ने तहसील में शिकायत की तो दोनों भाई रंजिश मानने लगे। 28 जनवरी 2015 को मनोज ने स्कूल से लौट रहे रामवीर के बेटे अनमोल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसके बाद से मनोज जिला जेल में है। वहीं रहकर पढ़ता रहा। पिछले वर्ष नवंबर में उसे फांसी की सजा हो चुकी है। जेल अधीक्षक डा. बीडी पांडेय ने सभी बंदियों व कैदियों को पढ़ाई, सुधार के लिए प्रेरित किया जाता है।
अनमोल के पिता रामवीर ने कलान थाने में दर्ज कराये मुकदमे में कहा था कि मनोज के भाई विजय ने उसके घर के पते पर वोट बनवा लिया था। जिसकी शिकायत रामवीर ने तहसील दिवस में कर दी थी। जिस वजह से मनोज उनसे रंजिश मानने लगा था। 28 जनवरी को रामवीर का बेटा स्कूल पढने गया था। वापस घर जाते समय खेत पर मनोज मनोज ने अपने एक अन्य साथी की मदद से गोली मारकर हत्या कर दी थी।
ऐसे मिली प्रेरणा
हर सप्ताह जेल में सजायाप्ता बंदियों की काउंसलिंग की जाती है। जिसमे पढने से लेकर अन्य गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाता है। जेल अधीक्षक डा. बीडी पांडेय ने मनोज को पढ़ने के लिए प्रेरित किया। कुछ दिन बाद मनोज ने हाईस्कूल का फार्म भरने के लिए कहा तो जेल अधीक्षक ने भी उसकी बात मान ली।
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दो अन्य बंदियों ने भी पास की परीक्षा
मेरठ जिले के थाना रोहटा थाना क्षेत्र किनौनी गांव निवासी बंदी नीरज सिंह को भी हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा मिली है। उसके दो साल पहले ही शाहजहांपुर की जेल में शिफ्ट किया गया था। नीरज ने हाईस्कूल में 64.60 प्रतिशत अंक के साथ परीक्षा पास कर ली है। वहीं एक अन्य हत्या के मामले बंद अमन सिंह ने इंटर की परीक्षा पास की है। अमन ने 50.4 प्रतिशत अंक हासिल किये है।
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फोटो: 18 एसएचएन 73
बंदियों को शिक्षित करने पर जोर दिया जाता है। मृत्युदंड की सजा पाने वाले मनोज ने भी पढने की इच्छा जाहिर की थी। फार्म भरने के बाद उसने मेहनत से पढ़ाई की। परिणाम भी सार्थक आए है। प्रयास किया जा रहा है कि अन्य बंदियों को भी बेहतर शिक्षा दी जाए।
डा. बीडी पांडेय, जेल अधीक्षक