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सफर नहीं करते तो सुविधाओं का क्यों रखें ध्यान

माननीय बस से सफर नहीं करते।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 12:53 AM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 07:49 AM (IST)
सफर नहीं करते तो सुविधाओं का क्यों रखें ध्यान
सफर नहीं करते तो सुविधाओं का क्यों रखें ध्यान

जेएनएन, शाहजहांपुर : अक्सर रोडवेज बसों में एक खास सीट देखी होगी, जिस पर लिखा रहता है सांसद व विधायक के लिए आरक्षित। हालांकि माननीय बस से सफर नहीं करते। इसलिए उस पर आम यात्री ही बैठते हैं, लेकिन शायद यही कारण है कि माननीयों को बस से यात्रा करने वाली जनता की दुश्वारियों से भी कोई सरोकार नहीं रहता। बसों की हालत तो जर्जर है ही महानगर के बस अड्डे के हालात भी बहुत अच्छे नहीं हैं। करोड़ों रुपये की लागत से बने मॉडल बस स्टेशन का निर्माण पूरा है, लेकिन फिनिशिग व अन्य जरूरी कार्य के लिए बजट नहीं मिल पा रहा। जिस कारण पिछले दो वर्षों से एआरएम व उनका स्टाफ वर्कशॉप में बैठ रहा है। जिस कारण लापरवाही से न सिर्फ कामकाज प्रभावित हो रहा है, बल्कि यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, बावजूद इसके कोई जनप्रतिनिधि आवाज उठाने को तैयार नहीं है।

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एआरएम व उनके स्टाफ को बस अड्डे से दूर वर्कशॉप में एक टीनशेड के नीचे बैठना पड़ रहा है। जिस कारण विभागीय अभिलेखों के रखरखाव व काम में होती है परेशानी। बस अड्डे पर डिपो इंचार्ज व पूछताछ कार्यालय का हो रहा है संचालन।

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पिछले वर्ष निर्माणाधीन रोडवेज की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट शासन से मांगी गई है। डीएम अमृत त्रिपाठी ने नगर मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में कमेटी गठित की थी। जिसे बस अड्डे पर हो चुके व होने वाले कार्यों की रिपोर्ट तैयार करनी थी, पर उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ। ------------

सपा शासन में मिली थी मंजूरी

- सपा शासन काल में मिली थी मॉडल बस स्टेशन को मिली थी मंजूरी

- आधुनिक सुविधाओं के साथ ही बिग बाजार भी बनना था यहां पर

- भवन का निर्माण कार्य हो चुका है पूरा, लेकिन कई कार्य अब भी बाकी ------------

आधा अधूरा काम

- बजट न होने के कारण रोडवेज परिसर की बाउंड्रीवाल का काम अधूरा

- परिसर के किनारे तक खड़े रहते डग्गामार वाहन, आवारा पशु भी घुस जाते हैं

- पेयजल व प्रकाश व्यवस्था सहित कई अन्य कार्य भी यहां नहीं हो पाए हैं

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ये होने हैं काम

- इंटरलॉक का काम होना है, पेशाबघर भी बनाए जाने हैं।

- यात्रियों के लिए बेंचे न होने के कारण होती है परेशानी।

- अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए कार्यालयों में फर्नीचर नहीं,

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यह है जरूरत

- सीडको नाम की कार्यदायी संस्था 2015 में शुरू किया था निर्माण

- 30 जून 17 तक निर्माण कराकर परिवहन विभाग को करना था हैंडओवर

- पांच करोड़ 87 लाख रुपये का बजट अब तक हो चुका खर्च

- दो करोड़ 37 लाख की भेजी है डिमांड, एक करोड़ 18 लाख की जरूरत

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बजट के लिए मुख्यालय को रिमांइडर भेजे जा चुके हैं। फिर से इसके लिए पत्र लिखा गया है। मॉडल बस स्टेशन का संचालन शुरू होने से राहत तो मिलेगी।

आरके वर्मा, क्षेत्रीय प्रबंधक रोडवेज


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