मां बाप का हंसता हुआ जहान हैं बेटियां
शाहजहांपुर : भारतीय संवत्सर की पूर्व संध्या पर बंडा के गांव धर्मापुर के शिवमंदिर प्रांगण में कवि सम
शाहजहांपुर : भारतीय संवत्सर की पूर्व संध्या पर बंडा के गांव धर्मापुर के शिवमंदिर प्रांगण में कवि सम्मेलन हुआ। शुभारंभ कवि संदीप गुप्ता ने मां शारदे की वाणी वंदना से किया।
गजलकार शिवओम प्यासा ने सुनाया कि आशियां पर गिरें बिजलियां जब नहीं, हम दिलों में ठिकाने बनाने लगे, दर्द जितना भी दे दे जमाना हमें, अश्क आंखों में अब मुस्कराने लगे।
कवि अर¨वद पंडित ने काव्यपाठ करते हुए कहा कि कभी आतंक को चंगा नहीं होने देंगे, चोट से घायल तिरंगा नहीं होने देंगे, कसम ये खायें कि, गद्दारों को मिटा दे हम, हम अपने देश में दंगा नहीं होने देंगे। कवि रामबावू शुक्ला ने कहा कि ए कलम कार चुप मत रहा कीजिए, कभी अन्याय चुप मत सहा कीजिए, झूठ को झूठ लिखने से डरते सभी, झूठ का सत्य तुम मत कहा कीजिए। युवा कवि प्रदीप वैरागी ने सुनाया कि राष्ट्र का हमारे स्वाभिमान है बेटियां, मां-बाप का हंसता हुआ जहान हैं बेटियां, कभी बेटों से कम नहीं आंकना इनको
बेटे जमीं तो आसमान हैं बेटियां। कवि विजय तन्हान, कवि विवेक ठाकुर ने भी देर रात तक काव्य सरिता बहाई। संजय अकेला, अमरजीत निराश, माधौटांडा से आए कवि राजेंद्र अवस्थी, अनूप मिश्र आदि ने भी काव्य पाठ किया। संचालन विजय तन्हा ने किया। कार्यक्रम के आयोजक शिवओम शुक्ला ने कवियों को सम्मानपत्र और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।