व्यवस्था बीमार, भटक रहे मरीज व तीमारदार
जिला अस्पताल प्रशासन जहां एक ओर बेहतर इलाज क दावा करता है वहीं व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है।
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर: जिला अस्पताल प्रशासन जहां एक ओर बेहतर इलाज क दावा करता है, वहीं मरीजों को भटकना पड़ता है। सैकड़ों की संख्या में रोजाना मरीज पहुंचते है। मरीजों को पर्चा बनवाने से लेकर डॉक्टर को दिखाने और दवा लेने के लिए लंबी-लंबी कतारों में लगना पड़ता है।
जिला अस्पताल में पर्याप्ता मात्रा में स्ट्रेचर और व्हील चेयर मौजूद हैं, लेकिन मरीजों के ले जाने वाले वार्ड ब्वॉय अपनी ड्यूटी नहीं करते हैं। मरीज को पैदल हाथ में ग्लूकोज की बोतल पकड़कर तीमारदार उनको ले जाते हैं। ट्रामा सेंटर में मरीजों के लिए स्ट्रेचर नहीं उपलब्ध होने पर मजूबरी में मरीज स्लैब पर लेटकर इलाज कराते हैं। मरीजों की हालत देखने के लिए तीमारदारों को डॉक्टर के सामने हाथ जोड़ने पड़ते हैं।
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अस्पताल में मरीजों की स्थिति
- रोजाना 1500 से 2000 मरीजों की होती है ओपीडी
- 90 से 100 मरीज किए जाते हैं भर्ती
- 30 से 40 मरीजों की होती है छुट्टी
- अस्पताल में कुल बेड: 300
- इसमें 100 बेड महिला अस्पताल के लिए
- 50 अतिरिक्त बेड लगाए गए
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पर्चा बनवाने के लिए होती है मारामारी
अस्पताल में महिलाओं और पुरुषों के लिए पर्चा बनाने का एक-एक काउंटर है। मरीजों भीड़ सैंकड़ों की संख्या में होती है। हर किसी को पर्चा बनवाने की जल्दी रहती है। इसलिए लोगों के बीच नोकझोंक होती है। यहां पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं।
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चिकित्सकों के कक्ष के बाहर भी लगती है कतार
पर्चा बनवाने के बाद मरीज डॉक्टर को दिखाने जाते हैं। मरीजों की लंबी लाइन लग जाती हैं। बीच-बीच में डॉक्टर इमरजेंसी आने पर उठ जाते हैं। जिससे हालत और खराब हो जाते हैं। मरीजों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है। यही हाल दवा काउंटर का होता है। यहां भी दवा लेने के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ती है।
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वर्जन:
अस्पताल में रिकॉर्ड भीड़ होती है। जिसको संभालने के लिए प्रावइेट रूप से सिक्योरिटी की व्यवस्था की गई है। धीरे-धीरे व्यवस्थाओं में सुधार करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. एमपी गंगवार, सीएमएस, जिला अस्पताल