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नाम बदला, खर्चे बढ़े, सुविधाएं व साधन जस के तस

अप्रैल मे शाहजहांपुर सूबे का 17वां नगर निगम बन गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 11:44 AM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 11:44 AM (IST)
नाम बदला, खर्चे बढ़े, सुविधाएं व साधन जस के तस
नाम बदला, खर्चे बढ़े, सुविधाएं व साधन जस के तस

शाहजहांपुर : अप्रैल मे शाहजहांपुर सूबे का 17वां नगर निगम बन गया। नगर आयुक्त, अपर आयुक्त समेत दर्जन भर बड़े अधिकारियों समेत करीब तीन दर्जन नए पद सृजित हो गए। वेतन समेत अन्य मदों पर करीब 40 लाख मासिक का खर्च बढ़ गया, लेकिन सुविधाएं, साधन आठ माह बाद भी जस के तस है। सभासदों के पद खत्म हो जाने से जन समस्याओं का निस्तारण मुश्किल हो गया है। पानी की जांच, समुचित जलापूर्ति सरीखी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही है।

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नगर पालिका बोर्ड गठन के साल भर कोर्ट में तारीख

दूसरी महिला नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में जहांआरा बेगम ने नौ दिसंबर 2017 को शपथ ली थी। 24

24 अप्रैल 2018 को शाहजहांपुर को नगर निगम का दर्जा मिलने के बाद 26 अप्रैल को बोर्ड भंग कर दिया गया। इसके बाद से डीएम अमृत त्रिपाठी प्रशासक हैं। नगर आयुक्त के पद पर विद्याशंकर ¨सह की तैनाती हुई। शासन के निर्णय जहांआरा बेगम ने कोर्ट में चुनौती दी। सोमवार को ठीक एक साल बाद उनकी उच्च न्यायालय मे तारीख थी। कोर्ट ने सुनवाई के लिए अब 8 जनवरी 2019 की तिथि नियत की है।

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वेतन पर खर्च हो रहा राज्य वित्त आयोग का बजट

नगर पालिका के दौरान भी शाहजहांपुर को राज्य वित्त आयोग से प्रतिमाह करीब 3.70 करोड़ मिलता था। नगर निगम बनने के बाद बजट में कोई इजाफा नहीं हुआ। सहायक आयुक्त एसके ¨सह बताते हैं कि नगर पालिका के दौरान वेतन आदि पर खर्च के बाद करीब 50 से 60 लाख बच जाता था। अब 10 से 20 लाख की ही विकास कार्यों के लिए बच पा रहा है।

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बजट के अभाव में ठिठक गया विकास कार्य

नगर निगम बनने के बाद प्रति माह करीब 40 लाख का बोझ पड़ने से विकास कार्य ठिठक गया है। दरअसल दर्जन भर नए पदों पर तैनाती के साथ ही अन्य खर्चों में इजाफा हो गया। इससे विकास कार्यों के लिए धन नहीं बच पा रहा।

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जनता पर बोझ से विकास को जुटाया जाएगा धन

जलकर, गृहकर, दुकानों का किराया के साथ लाइसेंस आदि करीब एक दर्जन मदों से नगर निगम की आय होती है। नगर आयुक्त विद्या शंकर ¨सह ने वर्तमान दरों में इजाफा करके आय वृद्धि पर प्रस्ताव तय किया है। इसकी पुष्टि भी उन्होंने की। बताया कि जनता को बेहतर सुविधाएं देने के लिए नगर निगम की आय बढ़ाने के लिए कर, किराया और विविध शुल्क की दरों को बढ़ाया जाएगा।

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शुद्ध पानी भी नहीं पिला रहा नगर निगम

पानी की शुद्धता के लिए लैब और केमिस्ट भी जरूरी है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग में अभी पद ही पूरे नहीं है। तैनाती के प्रयास चल रहे है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी ओपी गौतम ने बताया कि नगर निगम के मानक के अनुरूप तैनाती के बाद पानी की जांच आदि नियमित हो जाएगी। -----------

इस वजह से बढ़ा बोझ

नगर पालिका के दौरान अधिशासी अधिकारी को ही सर्वाधिक वेतन मिलता था। लेकिन नगर निगम बनने के बाद

नगर आयुक्त, अपर नगर आयुक्त, महाप्रबंधक जल, सहायक नगर आयुक्त, डीपीएम, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, स्वास्थ्य अधिकारी, अधिशासी अभियंता, मुख्य नगर लेखा परीक्षक, लेखाधिकारी, ट्रैफिक इंचार्ज आदि पद सृजित हुए। इन पदों पर तैनात अधिकारियों का वेतन भी अधिक है। अन्य खर्चे भी बढ़ है।

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स्वच्छता व रोशनी तक ही सीमित विकास

प्रशासन की ओर से स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा। नगर निगम की ओर से 120 स्ट्रीट लाइटें लगवाई गई। सड़क निर्माण भी हो रहा। लेकिन शेष विकास कार्य बाधित है।

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फैक्ट फाइल :

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- 26 नवंबर 2017 में हुए नगर पालिका का चुनाव

- एक दिसंबर 2017 को मतगणना परिणाम घोषित हुआ।

- 9 बार रहा सुपरसेशन पीरियड

- 1916 में से 2017 तक 31 चेयरमैन चुने गए

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सुपरसेशन पीरीयड

- पहली बार 15 जून 1966 मे सुपरसेशन पीरियड लगा, जो 4 जुलाई 1991 तक चार साल रहा।

- 28 जनवरी 1977 में सात फरवरी 1989 तक

- 31 मार्च 1990 से 2 मई 1990 तक

- 17 अगस्त 1992 से 4 दिसंबर 1992 तक

- 8 फरवरी 1994 से 30 नवंबर 1995 तक

- 29 जून 2002 से 23 जनवरी 2004 तक

- 3 दिसंबर 2005 से 17 नवंबर 2006 तक

- 16 दिसंबर 2011 से 17 जुलाई 2012 तक

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यह रहे कार्यवाहक चेयरमैन

- भानु प्रताप गुप्ता - 1966 में प्रथम कार्यवाहक अध्यक्ष बने

- श्याम कृष्ण गुप्ता - 15 मार्च 1993 से 8 जुलाई 73 तक

- ओम नरायण अग्रवाल - 3 मई 1990 से 24 जून 1990 तक, 16 अगस्त 1991 से 16 अगस्त 1992, पांच सितंबर 1992 से 26 सितंबर 1992 तक, 27 सितंबर 1993 से सात फरवरी 1994 तक चार बार कार्यवाहक अध्यक्ष रहे।

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सरोजा पहली और जहांआरा आखिरी अध्यक्ष

1994 में सरोज गुप्ता ने प्रथम महिला नगर पालिका अध्यक्ष का गौरव हासिल किया। 9 दिसंबर 2017 को जहांआरा बेगम ने दूसरी महिला चेयरमैन की शपथ ली। नगर निगम बनने के बाद उनका नाम अंतिम महिला अध्यक्ष के रूप में इतिहास में नाम दर्ज हो गया।

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गुलामी भारत से आजाद भारत तक

फजलुर्रहमान उर्फ छोटे खां चार बार चेयरमैन का चुनाव जीते। पहली बार अंग्रेजी शासन काल में 1927 में पालिकाध्यक्ष का चुनाव जीते। देश आजाद होने के दौरान भी वह चेयरमैन थे। 1953 तक उनका कार्यकाल रहा।

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उम्मीद : शहर को आडिटोरियम का मिलेगा तोहफा

जासं, शाहजहांपुर : नगर निगम बनने के बाद कूड़ा से बिजली बनाने का प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। सोमवार को नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने डीएम अमृत त्रिपाठी के साथ आडिटोरियम के लिए जमीन देखी। हनुमतधाम, बंका घाट तथा लौका क्षेत्र में उन्होंने नगर निगम का भव्य व विशाल सभागार बनाने के लिए भूमि निरीक्षण किया। इस दौरान एसपी डा. एस चिनप्पा, सिटी मजिस्ट्रेट अतुल कुमार, एसडीएम रामजी मिश्रा मौजूद रहे।


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