ओसीएफ रामलीला : तलवार और तीर कमान को अभिनय साधना से दे रहे धार
जेएनएन, शाहजहांपुर : सात दशक से सर्वधर्म समभाव व सौहार्द की प्रतीक बनी ओसीएफ रामलीला के कोरोना संक्रमण के बाद फिर शुरू होने से कलाकारों में उत्साह व आमजन में खुशी की लहर है। आर्डनेंस ड्रामेटिक क्लब से जुड़े ओसीएफ कर्मचारी समेत नवोदित कलाकार रामलीला मंचन को प्रभावी बनाने के लिए गदा, तलवार, तीर कमान को अभिनय साधना से धार देने में जुट गए हैं। रोजाना शाम पांच से आठ बजे तक कलाकार मंच पर पसीना बहाकर वरिष्ठजनों से बारीकियां सीख रहे हैं।
जनपद में 1914 में स्थापित आयुध वस्त्र निर्माण की ओर से 1965 में तत्कालीन महाप्रबंधक एसएन गुप्ता ने रामलीला मंचन का शुभारंभ किया था। 1990 में पहली बार लीला मंचन में महिलाओं का प्रवेश हुआ। संगीता गुप्ता ने सीता, विजय कुमारी ने कैकेई व मंदोदरि, शोभा कल्याणी ने कौशल्या तथा अनीता कश्यप ने अन्य महिला पात्रों का अभिनय किया। अभिनय के साथ ही अत्याधुनिक संसाधनों की उपलब्धता तथा विशाल मैदान की वजह से रामलीला मंचन की ख्याति बढ़ती गई। 1996 में आर्डनेंस ड्रामेटिक क्लब का पंजीयन कराया गया। इसके बाद प्रबंधन ने अधिकृत रूप से क्लब को मंचन की जिम्मेदारी सौंप दी। 2020 व 2021 में कोरोना संक्रमण की वजह से ओसीएफ रामलीला का मंचन नहीं हो सका। कोरोना नियंत्रण होने पर इस बार नवागत महाप्रबंधक वी मतिावणन ने तुलसी जयंती के मौके पर रामलीला मंचन को हरी झंडी देकर पूर्वाभ्यास भी शुरू करा दिया।
90 के दशक तक रामलीला का मुख्य आकर्षण थी मौत की छलांग
ओसीएफ रामलीला में विशाल प्रदर्शनी के साथ बड़े झूले व सर्कस व जादूगरी समेत मनोरंजन के लिए भी क्षेत्र सुरक्षित किया जाता है। 1990 तक ओसीएफ रामलीला में मौत की छलांग भी हुआ करती थी। करीब 50 फीट की ऊंचाई से एक व्यक्ति पानी से भरे कुएं में आग लगाकर छलांग लगा था। प्रतिबंध के बाद प्रदर्शनी व मंचन मुख्य आकर्षण बना हुआ है।
सांप्रदायिक सौहार्द की प्रतीक है ओसीएफ रामलीला
ओसीएफ सांप्रदायिक सौहार्द की प्रतीक है। मुख्य निर्देशन का जिम्मा क्रिश्चयन पैट्रिक दास निभा रहे है। मुख्य सह निर्देशक के रूप में अंकित सक्सेना नई ऊंचाइयों दे रहे हैं। 90 के दशक से परशुराम समेत कई किरदार का अभिनय करने वाले अरशद आजाद तथा सुहेल अहमद मुस्लिम होने के बावजूद समर्पण भाव से रामलीला मंचन में प्रतिभाग करते हैं। सरदार एसएल सिंह ऋषि विश्वामित्र व वशिष्ठ के पात्र का अभिनय कर एकता की मिसाल बने हुए हैं।
मैं 1991 से रामलीला से जुड़ा हूं। दशरथ समेत कई किरदार निभा रहा हूं। वर्तमान में निर्देशन का मुख्य जिम्मा है। इस बार कई नए कलाकर जुड़े हैं। जिनकी अभिनय प्रतिभा को पूर्वाभ्यास से निखारा जा रहा है।
पैट्रिक दास कनिष्ठ कार्य प्रबंधक ओसीएफ व निर्देशन रामलीला मंचन
मैं 1966 में पहली बार ओसीएफ रामलीला में बाल हनुमान के रूप में आया था। जरूरत के अनुसार किरदार निभाए। महिला किरदारों के रूप में सुंदरी सूपर्णखा, सुलोचना को खूब पसंद किया गया। कई साल निर्देशक रहा। सेवा निवृत्त होने के बाद भी रामलीला मंचन में सहयोग कर रहा हूं।
सत्यनारायण जुगनू, सेवा निवृत्त ओसीएफ कर्मचारी
रामलीला मंचन में सीता के महत्वपूर्ण पात्र के अभिनय का सौभाग्य मिला है। समर्पण व साधना भाव के साथ अभिनय का प्रयास करूंगी। आचरण में भी रामायण को उतारने का प्रयास रहेगा।
रानी मिश्रा परास्नातक छात्रा
मैं पहली बार ओसीएफ रामलीला से जुड़ी हूं। कैकेई का किरदार निभाने का मौका मिला है। परिवार समेत सभी बेहद खुश हैं। मंच पर पूर्वाभ्यास के साथ घर पर संवाद याद करती हूं।
साधना कश्यप, नवोदित कलाकार
ओसीएफ रामलीला में 14 साल से रावण का किरदार निभा रहा हूं। निर्देशन का भी जिम्मा हैं। इस बार कई नए कलाकार शामिल हुए हैं। सभी की अभिनय प्रतिभा को निखारा जा रहा है।
अंकित सक्सेना, ओसीएफ कार्मिक
रामलीला में रति समेत महिला पात्रों के किरदार का सौभाग्य मिला है। इससे पूर्व कहीं अभिनय नहीं किया। अभिनय को प्रभावी बनाने के लिए रोजाना चार पूर्वाभ्यास कर रही हूं।
रजनी अग्निहोत्री, परास्नातक छात्रा
पहली बार मुझे ओसीएफ रामलीला में मंचन का अवसर मिला है। कुबेर समेत रावण दरबार में सैनिक का भी किरदार निभाऊंगा। इसके लिए रोजाना चार घंटे अभ्यास करता हूं।
अनुराग दुबे, बैंक कर्मी