पांच साल बाद भी नहीं मिला सूचना
शाहजहांपुर : जनसूचना का अधिकार मजाक बन कर रह गया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सक
शाहजहांपुर : जनसूचना का अधिकार मजाक बन कर रह गया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मांगी गई जनसूचना को जिम्मेदार पांच साल में भी उपलब्ध नहीं करा सके। 23 जून 2014 को तहसील के अधिवक्ता सुभाष चंद्र शुक्ला ने जनसूचना के अधिकार अधिनियम के तहत डीएम/जनसूचनाधिकारी से सूचना मांगी थी कि खुटार के गांव महोलिया वीरान व सिमरा वीरान में गोसदन की भूमि को किस तरह से गोसदन के नाम दर्ज किया गया। गोसदन की भूमि को कृषि कार्य के लिए नीलामी पट्टे पर उठाने की सरकार से कब अनुमति ली गई। सीएम 45 में गोसदन के खाता संख्या 38 पर पशुपालन विभाग किस आदेश के तहत कब और कैसे जोड़ा गया। इस भूमि को देखरेख के लिए कमेटी का गठन कब किया गया और इसकी अनुमति शासन से कब ली गई। सहित बीस ¨बदु शामिल थे। इधर लगभग पांच साल होने को हैं और मांगी गई सूचनाएं नहीं दी गई। अधिवक्ता ने डीएम से उस वक्त मांगी गई सूचनाएं दिए जाने की मांग की है।