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बसेरा आस्ट्रेलिया में, मन में बसी हिदी

शहर की मूल निवासी अनीता बरार करीब 30 साल पहले आस्ट्रेलिया में बस गई मगर हिदी से दूर नहीं हुई। यही हिदी उनके लिए सफलता का जरिया बन गई। वृत्तचित्र (डॉक्यूमेंट्री फिल्म) निर्माता निर्देशक तथा हिदी व अंग्रेजी में लेखिका नाटककार तथा कवि के रूप में भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 12:38 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 12:38 AM (IST)
बसेरा आस्ट्रेलिया में, मन में बसी हिदी
बसेरा आस्ट्रेलिया में, मन में बसी हिदी

नरेंद्र यादव, शाहजहांपुर : शहर की मूल निवासी अनीता बरार करीब 30 साल पहले आस्ट्रेलिया में बस गई, मगर हिदी से दूर नहीं हुई। यही हिदी उनके लिए सफलता का जरिया बन गई। वृत्तचित्र (डॉक्यूमेंट्री फिल्म) निर्माता, निर्देशक तथा हिदी व अंग्रेजी में लेखिका, नाटककार तथा कवि के रूप में भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। नेशनल रिसर्च संस्थान से जुड़कर वह मानसिक सुस्वास्थ्य के लिए भी काम कर रही है। सात समंदर पार की इन उपलब्धियों में उन्होंने हिदी और हिदुस्तान को सर्वोपरि रखा। नेशनल टेलीविजन एंड रेडियो में हिदी रेडियो प्रोड्यूसर के रूप में वह हिदी की धड़कन बनी हुई है।

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आस्ट्रेलियन नागरिकता के बावजूद वह मन मतिस्ष्क में भारत बसा हुआ है। वह देश की हर घटना की आहट सुन लेती है और किसी न किसी रूप में उनका प्रसारण भी करती है। अनीता की कविताओं व गीतों को भारत के साथ आस्ट्रेलिया में पसंद किया जाता है।

रेलवे में थे पिता

शहर के मुहल्ला लाला तेली बजरिया में जन्मी अनीता के पिता ईश्चर चंद कक्कर रेलवे में टिकट कलेक्टर थे। चार भाई और दो बहनों में सबसे छोटी अनीता ने आर्य महिला इंटर कॉलेज से प्राथमिक, जीजीआइसी से माध्यमिक तथा जीएफ कॉलेज से बीएससी तथा आगरा विश्वविद्यालय से परास्नातक की उपाधि अर्जित की। बैंक से करियर की शुरुआत के साथ 80 के दशक में इंडियन ऑयल अधिकारी बीरेंद्र बरार से शादी हो गई। 1989 में पति के साथ आस्ट्रेलिया चली गई।

कवि गोपालदास नीरज को मानती है आदर्श

कवि गोपाल दास नीरज व गायक मन्ना डे से अनीता बरार बेहद प्रभावित है। दोनों के आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान अनीता ने उनके स्वागत के लिए लघु फिल्में बनाई। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दौरे के दौरान अनीता ने सीडी संकल्प को स्वर प्रदान किया था।

वृत्त चित्र से भारत- पाक विभाजन के दर्द को भी उकेरा

अनीता बरार के पिता ने देश विभाजन का दर्द भी सहा। क्रासिग द लाइन वृत्त चित्र के माध्यम से उन्होंने भारत-पाक विभाजन के दर्द को उकेरा। कई फिल्म फेस्टिवल का यह वृत्त चित्र हिस्सा बन चुका है।

बैंक कर्मी से बनी हिदी रेडियो प्रोड्यूसर

स्नातक के बाद उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से करियर की शुरुआत की। वह दिल्ली व मुंबई में भी रही। आस्ट्रेलिया की नागरिका लेने के बाद उन्होंने वहां एसबीएस (स्पेशल ब्रॉडकास्टिग सर्विस)राष्ट्रीय टीवी एंड रेडियो चैनल में प्रोड्यूसर व उद्घोषक बनीं।

अभ भी आते हैं स्वजन

भाई-बहन अलग सेवाओं में नियुक्त हो गए। जिसके बाद अनीता बरार के परिवार ने वर्ष 1985-86 में शाहजहांपुर छोड़ दिया। लेकिन सभी का शाहजहांपुर से जुड़ाव बना रहा। दो वर्ष पूर्व बड़े भाई सुभाष चंद्र कक्कर कोलकाता से आए। दो दिन तक उन्होंने पुराने यादा ताजा की।

पंजाब से आकर शाहजहांपुर बसे थे अनीता के पिता

अनीता के पिता ईश्वर चंद्र देश विभाजन में अमृतसर के कैंप में रहे। यहीं से उन्होंने रेलवे स्टेशन पर टिकट कलेक्टर की नौकरी कर ली। उनके मित्र जगन्नाथ मनचंदा माल बाबू थे। 1951 में दोनों का शाहजहांपुर तबादला हो गया। यहां माल गोदाम रोड जीआरपी बैरक के पीछे लाला तेली बजरिया मुहल्ला में मकान खरीदा लिया। इन्हीं गलियों में अनीता बचपन बीता।


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