लोकोमोटिव शेड में पहुंचा आधुनिक सुविधाओं वाला डीजल इंजन
तीन माह के इंतजार के बाद नवनिर्मित लोकोमोटिव डीजल शेड में आधुनिक सुविधाओ डीजल इंजन यहां पहुंच गया।
शाहजहांपुर : तीन माह के इंतजार के बाद नवनिर्मित लोकोमोटिव डीजल शेड में आधुनिक सुविधाओं से युक्त डीजल इंजन पहुंचा। अमेरिका की जी कंपनी और स्थानीय रेल अधिकारियों ने इसका स्वागत किया। मेक इन इंडिया के तहत इंजन में लगे अधिकांश पार्टस भारतीय कंपनियों के हैं।
लोकोमोटिव शेड में रविवार को पहुंचे इंजन का प्रोजेक्ट हेड सुरेंद्र कुमार वर्मा ने फीता काटा, जिसके बाद स्टेशन अधीक्षक जेपी ¨सह, लोको प्रभारी हर कुमार त्रिवेदी, प्रदीप कुमार, आरपीएफ प्रभारी रामअवतार मीणा आदि ने नारियल तोड़कर शेड में पहुंचे इंजन का स्वागत किया। स्टेशन अधीक्षक जेपी ¨सह ने बताया कि 15 इंजन भारत आ चुके हैं। पहला इंजन शेड में आ गया। दो इंजन लखनऊ में परीक्षण के लिए रोके गए हैं।
चौबीस साल पहले जंक्शन पर मंडल के सभी स्टीम इंजनों की रिपेय¨रग का कारखाना था। जो डीजल के इंजन आने के बाद खत्म हो गया। अब यहां पर अमेरिका की जी कंपनी के सहयोग से रोजा में लोको मोटिव डीजल शेड बनाया गया। इस शेड में अमेरिका में जी कंपनी निर्मित करीब ढाई सौ डीजल इंजन आएंगे। यह कार्य फरवरी से शुरू होना था, लेकिन शेड का काम समय से पूरा नहीं हो पाया।
प्रोजेक्ट हेड सुरेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि फिलहाल इस शेड में 250 इंजन की रिपेय¨रग हो सकेगी। भविष्य में मामूली फेरबदल के साथ 400 इंजन की रिपेय¨रग की जा सकेगी। यह शेड ही नहीं इसकी वर्कशॉप भी काफी अत्याधुनिक है। वर्मा ने बताया कि एक इंजन की सर्विस में लगभग आठ लोग लगते थे। जबकि इस शेड में मशीनों की मदद से अब एक कर्मचारी ही इस काम को कर सकेगा।व ्
अमेरिका में बने ये इंजन मौजूदा डीजल इंजन से काफी आधुनिक हैं। लोको शेड प्रभारी हर कुमार त्रिवेदी ने बताया कि इन इंजन में एसी के साथ ही बाथरूम की भी सुविधा है। उन्होंने बताया कि इससे लंबी दूरी वाले चालकों को काफी सहूलियत होगी। इंजन में सि¨लडर की संख्या भी 16 से घटाकर 12 कर दी गई है। जिससे डीजल की खपत पहले की अपेक्षा काफी कम हो जाएगी। वर्तमान समय में जो डीजल इंजन चल रहे हैं उनकी हर माह में मरम्मत की जरूरत पड़ती है। जबकि इन नये इंजनों की मरम्मत तीन माह में एक बार करानी होगी।
लोको शेड प्रभारी हर कुमार त्रिवेदी ने बताया कि समुद्र के रास्ते अमेरिका से 15 इंजन गुजरात के मुंदरकोट स्टेशन पहुंच गए हैं। वहां से तीन इंजन रवाना किये गए थे, जिनमें से पहला रविवार को यहां आ गया। उन्होंने बताया कि इस तरह के कुल 250 इंजन आने हैं, जिन पर काम चल रहा है। इस इंजन को
बरेली से शाहजहांपुर आने में छह दिन लग गए। लाइन क्लीयर न होने के कारण तीन दिन इंजन चनेहटी व तीन दिन बंथरा में खड़ा रहा।