खन्ना की भी नहीं मानी, मंदिर हटाने से इन्कार
- लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर तिलहर के कछियानी खेड़ा में मंदिर को स्थानांतरित करने का मामला
- शासन-प्रशासन ने लिया वित्तमंत्री का सहारा, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मंदिर के पुजारी से कराई वार्ता
- चार वर्षों से रुका है कछियानी खेड़ा में चौड़ीकरण का कार्य, पुजारी व श्रद्धालु कर रहे इसका विरोध
फोटो 28 एसएचएन : 30 से 34
संवाद सहयोगी, तिलहर :
लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित कछियानी खेड़ा मंदिर को अन्यत्र स्थानांतरित कराने के प्रयास फिर से शुरू हो गए हैं। सड़क के मध्य स्थित मंदिर को हटाने के लिए इस बार शासन-प्रशासन ने वित्तमंत्री सुरेश कुमार खन्ना का सहारा लिया है। गुरुवार को प्रशासनिक अधिकारियों के साथ चीनी मिल गेस्ट हाउस पहुंचे मंत्री ने मंदिर के कार्यवाहक महंत से वार्ता की। बताया कि चौड़ीकरण क्यों जरूरी है। भरोसा दिया कि भव्य मंदिर बनवाने के बाद ही वर्तमान मंदिर स्थानांतरित कराएंगे, लेकिन सहमति न बन सकी।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर शाहजहांपुर व तिलहर के बीच कछियानी खेड़ा में मंदिर है, जिसमें हनुमान जी की विशाल मूर्ति स्थापित है। राजमार्ग के चौड़ीकरण के दौरान यह मंदिर सड़क के बीच में आ गया। करीब चार वर्ष पूर्व चौड़ीकरण की जद में आए अन्य धार्मिक स्थलों की तरह 2018 में इसे भी हटाने का प्रयास किया गया, लेकिन उस समय यहां पर चार जेसीबी खराब हो गईं। जिसे चमत्कार मानते हुए यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी, जिसके बाद काम रोक दिया गया। राजमार्ग के चौड़ीकरण का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन यहां स्थिति जस की तस है। बीच में प्रयास हुए भी, लेकिन ग्रामीणों व हिंदू संगठनों के विरोध के कारण अधिकारी बैकफुट पर चले गए।
आस्था प्रभावित नहीं करना चाहती सरकार
वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, डीएम उमेश कुमार सिंह, एडीएम प्रशासन रामसेवक द्विवेदी, विधायक सलोना कुशवाहा के साथ मंदिर के कार्यवाहक महंत राम लखन गिरी के सामने मंत्री ने मंदिर स्थानांतरण का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने कहा कि लोगों की आस्था के केंद्र को हटाना न्यायोचित नहीं है। खन्ना ने आश्वस्त किया कि पास में ही किसी अन्य स्थान पर भव्य मंदिर के निर्माण कराया जाएगा। उसके बाद ही सड़क से मंदिर हटेगा। उनका या सरकार का उद्देश्य लोगों की आस्था को प्रभावित करना नहीं बल्कि विकास कराना व सुविधा देना है।
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जहां मंदिर वहां जुड़ती आस्था
खन्ना हनुमान जी के भक्त हैं। हिंदू संगठन विरोध कर रहे हैं। ऐसे में उनको इस प्रकरण को सुलझाने की जिम्मेदारी दी गई है। खन्ना ने महंत को बताया कि वाराणसी में छह सौ मंदिर हटाए गए, लेकिन किसी की आस्था नहीं टूटी। बल्कि कारिडोर बनने से और ज्यादा बढ़ी। बोले, मंदिर जहां होता है वहां लोगों की आस्था जुड़ने लगती है।
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बोले मंत्री, नहीं अन्य विकल्प
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यमार्ग पर अधिक मोड़ होने के कारण दुर्घटनाओं की संभावना अधिक रहती हैं। इसलिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के पास मंदिर को हटाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। जिस पर महंत ने नगरिया मोड़ तथा सरयू पुलिया पर अत्यधिक मोड़ होने का हवाला देते हुए कछियानी खेड़ा में भी अन्य विकल्प चुनने का अनुरोध किया। दो घंटे तक वार्ता चली। दोनों ओर से तर्क दिए गए, लेकिन निष्कर्ष नहीं निकल सका।
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बड़े पुजारी महंत प्रेम गिरी लेंगे निर्णय
महंत रामलखन गिरी ने पूरा मामला हरदोई जिले में रह रहे मंदिर के बड़े पुजारी महंत प्रेम गिरी की तरफ मोड़ दिया। कहा कि उनकी सहमति के बाद ही प्रशासन कोई कदम उठाए तो उचित रहेगा। वह अपनी सहमति नहीं दे सकते। जिस पर वित्त मंत्री ने शुक्रवार को हरदोई की रूपापुर चीनी मिल के गेस्ट हाउस में महंत से वार्ता करने जिम्मेदारी एडीएम प्रशासन रामसेवक द्विवेदी को सौंपी। कहा कि प्रतिनिधि के रूप में अपने ओएसडी को भी भेजेंगे। इस दौरान भाजपा नगराध्यक्ष राजीव राठौर, डीपीएस राठौर, संजय गुप्ता आदि मौजूद रहे।
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चल रहा अनवरत अखंड़ पाठ
वर्ष 2018 में जब अधिकारी मंदिर हटाने में कामयाब न हो सके। उसके बाद काफी समय तक भागवत कथा होती रही। गत वर्ष जब प्रशासन ने फिर से मंदिर को स्थानांतरित करने के लिए बैठक बुलाई तो हिंदू संगठनों ने विरोध किया। 12 फरवरी 2021 से मंदिर परिसर में अखंड रामायण पाठ का आयोजन शुरू हुआ जो अब तक अनवरत जारी है। मंगलवार को यहां आसपास के जनपदों से भी लोग दर्शन को आते हैं। भंडारा कराते हैं।
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लग जाता जाम, रहना पड़ता अलर्ट
इस स्थान पर अब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है, लेकिन मंदिर व इसके आसपास टू लेन सड़क होने के कारण कई बार विशेष मौके पर मंदिर के सामने सड़क पर कई बार जाम की स्थिति हो जाती है। भीड़ अधिक होने व वाहनों के तेज गति से निकलने के कारण पुलिस को मंगलवार व विशेष मौकों पर विशेष अलर्ट रहना पड़ता है।
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फोटो 28 एसएचएन : 35
मंदिर अपने मूल स्थान से हटे इसको लेकर हमारे मन में कभी कोई विचार आया ही नहीं। ऐसे में किसी अन्य स्थान पर मंदिर के निर्माण एवं उसकी भव्यता की कल्पना करना ही बेकार है। बड़े महंत की आयु 100 वर्ष है। यहां नहीं आ सकते। अधिकारी जाकर वार्ता करेंगे। अब बड़े महंत ही इस बारे में निर्णय लेंगे।
रामलखन गिरी, महंत कछियानी खेड़ा मंदिर
शासन-प्रशासन मंदिर को यहां से जबरन हटाना चाहता है। अधिकारियों को चाहिए कि दूसरा विकल्प तलाश करें। मंदिर को हटाए जाने के निर्णय के हम विरोध में हैं। इसलिए बैठक का भी बहिष्कार किया था।
स्वप्निल शर्मा, जिलाध्यक्ष हिंदू युवा वाहिनी
सड़क से मंदिर स्थानांतरित करने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं है। क्योंकि अगर मंदिर को बचाते हुए मोड़ बनाते हैं तो इसके दोनों ओर से काफी लंबाई में निर्माण फिर से कराना होगा। उसके लिए भूमि अधिग्रहीत करनी होगी। समय अधिक लगेगा व करोड़ों रुपये का अतिरिक्त बजट खर्च होगा। मंदिर स्थानांतरित होने से 300 मीटर से भी कम हिस्से में काम कराना होगा। यहां पर कोई मोड़ भी नहीं रहेगा। मंदिर स्थानांतरण के लिए मुआवजा आदि का प्रस्ताव भी तैयार करके प्रशासन को दिया जा चुका है।
अमित रंजन चित्रांशी, परियोजना निदेशक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण