पुलिस पर बढ़ा भरोसा, अब न्यायालय से मिले सख्त सजा
जेएनएन, शाहजहांपुर : मेरे परिवार व समाज ने मुझे उस अपराध की सजा दी जिसमें मेरा दोष ही नहीं था। मैंने भी तमाम सपने संजोए थे, लेकिन सब बिखर गए। जो कुछ मैंने सहा है वह सबकुछ ये दोनों आरोपित भी सहेंगे। उन्हें भी पता चलेगा कि समाज का तिरस्कार क्या होता है। परिवार का बिखरना। लोगों की नजरों में गिरना कितना कष्टदायक होता है। पुलिस ने भरोसा बढ़ाया है, जब न्यायालय से भी सख्त सजा मिलेगी। यह कहना है पीड़िता का जिसने अपने साथ हुए दुष्कर्म के आरोपितों को 28 साल बाद उनके अंजाम तक पहुंचाया है। एक जेल की सलाखों के पीछे है। दूसरे को भी पुलिस ने बुधवार शाम गिरफ्तार कर लिया। दोनों आरोपित भाइयों को उनके किए अपराध की सजा शायद न मिलती। अगर महिला से उसका बेटा हाईस्कूल का फार्म भरने के लिए पिता का नाम न पूछता। लखनऊ में रह रही दुष्कर्म पीड़िता ने दैनिक जागरण से बातचीत में अपना दर्द बयां किया। बताया कि किस तरह से एक घटना ने उसका सामाजिक, पारिवारिक जीवन तबाह कर दिया। नाते-रिश्तेदारों ने तो मुंह मोड़ा ही मायके वालों ने भी कभी पलटकर नहीं देखा। छोटे बेटे को पुलिस अफसर बनाकर अपने बचपन के सपने को पूरा करेगी।
डर के कारण रिश्तेदारों ने बेटे को हटाया
महिला ने बताया कि दुष्कर्म के बाद जब बेटे का जन्म हुआ तो माता-पिता ने उसे एक रिश्तेदार को गोद दे दिया था। बेटा स्कूल जाने लगा तो उसे माता-पिता का नाम मिला, लेकिन जब उन लोगों के बच्चे हुए और स्कूल जाने की बारी आई तो उन्होंने पिता के कालम में अपना नाम लिखने से इन्कार कर दिया। डर था कि कहीं भविष्य में बेटा उन लोगों की संपत्ति पर अपना हक न जता दे। उन लोगों के अपने बच्चों का अधिकार न छीन ले। उन लोगों का बेटे के प्रति व्यवहार बदल गया। उसे प्रताड़ित करने लगे। महिला ने बताया कि रिश्तेदार ने एक दिन मां को बुलाकर बेटे को उनके माध्यम से उसके पास भेज दिया।
पति नहीं बेटे को चुना
महिला की शादी हो चुकी थी। एक और बेटे को जन्म दे चुकी थी। सबकुछ सही चल रहा था। मां ने दुष्कर्म से हुए बेटे को ससुराल पहुंचा दिया। पति ने पूछा तो वह सच छिपा न सकी। मां थी इसलिए उस बेटे को भी साथ में रखने की जिद की, लेकिन पति ने दोनों बच्चों के साथ उसे घर से निकाल दिया। कहा कि जो कुछ उसने किया है वही भुगते। वह अपने परिवार की बदनामी नहीं करा सकता। इसके बाद उसे तलाक दे दिया।
रिश्ता रखने से किया इन्कार
पिता तो दुष्कर्म वाली घटना के बाद से बात करना बंद कर चुके थे। महिला ने बताया कि वह उसका चेहरा तक नहीं देखना चाहते थे। भाइयों व बहनों के भविष्य का वास्ता देकर मां ने भी रिश्ता रखने से इन्कार कर दिया। जिस पर वह अकेली लखनऊ चली आई। यहां कुछ समय तक पिता रुपये भेजते रहे, लेकिन बाद में वह भी बंद हो गए। पिता का चेहरा उनके निधन पर ही देख सकी। इस घटना ने बहन का जीवन भी बर्बाद कर दिया। बहनोई ने उन्हें यह कहकर घर से निकाल दिया कि समाज को क्या बताएंगे। कुछ समय पूर्व उनका निधन हो गया।
बेटे से किया वादा दिलाएगी पिता का नाम
बच्चों का पेट पालने के लिए ब्यूटीपार्लर में नौकरी की। दोनों का स्कूल में दाखिल कराया। हाईस्कूल का फार्म भरने की बारी आई तो बड़े बेटे ने पूछा कि पिता के कालम में किसका नाम लिखें। जिस पर महिला ने वादा किया कि वह उसे पिता का नाम दिलाकर रहेगी। उसने थाने में आकर नकी व उसके भाई रजी के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई। नकी का डीएनए मैच हुआ उसके बाद लगा कि अब न्याय मिलेगा। आखिरकार उसे न्याय और बेटे को पिता का नाम मिला।
बहू भी सपोर्ट में
महिला ने बताया कि बेटे का बचपन खराब हो गया। वह अब भी सामान्य जीवन नहीं जी पा रहा है। हालांकि लगभग एक वर्ष पूर्व उसकी शादी कर दी है। बहू को पूरी बात पता है, लेकिन वह भी उसके सपोर्ट में है। बेटा मजदूरी करता है। किसी तरह घर का खर्च चल रहा है।
छोटे बेटे से पूरे होंगे सपने
महिला ने बताया कि उसके पिता सेना में थे। वह पुलिस में जाना चाहती थी। गांव से छोटी उम्र में यही सपना लेकर शहर पढ़ने आई थी, लेकिन यहां एक घटना ने सबकुछ बदल दिया। वह तो पुलिस में नहीं जा पाई, लेकिन अब छोटे बेटे में अपना सपना पूरा करेगी। उसको पुलिस में भर्ती कराएगी। अभी वह बीए द्वितीय वर्ष में है, लेकिन उसकी भर्ती की तैयारी काफी समय पहले से शुरू करा दी है।