उधार के संसाधनों पर पदक की उम्मीदों का भार
अभिनव बिंद्रा, राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने ओलंपिक में स्वर्ण, रजत पदक जीते, हम ऐसी खुशियों की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।
शाहजहांपुर : अभिनव बिंद्रा, राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने ओलंपिक में स्वर्ण, रजत पदक जीते, हम खुश हुए। ऐसी खुशियों की उम्मीद जिले से करना बेमानी है। कमी प्रतिभाओं की नहीं है। उनके हुनर को निखारने के लिए संसाधन, बेहतर व्यवस्थाओं की है। हकीकत यह है कि जिले ने मंडलीय शूटिंग प्रतियोगिता की मेजबानी तो हासिल कर ली, लेकिन उसके खिलाड़ी खुद ही उधारी की रायफल और पिस्टल से पदकों की उम्मीदों पर निशाना साधेंगे। छात्राओं की तो टीम ही नहीं बन सकी।
पांच टीमें आई थीं, तीन के पास नहीं थी पिस्टल
जिले में 362 माध्यमिक विद्यालय हैं। विभाग खेलकूद कैलेंडर भी जारी करता है और
औपचारिकता पूरी करने को प्रतियोगिता भी कराता है। इस कागजी और रस्म अदायगी के पर्दे को हटाते ही स्कूलों में खेलों को बढ़ावा देने के दावे सिसकते, सुबकते नजर आए। जनपदीय प्रतियोगिता में सिर्फ पांच स्कूलों की टीमें ही पहुंचीं। वह भी बालक वर्ग में। इनमें भी तीन विद्यालय के निशानेबाजों के पास पिस्टल या रायफल ही नहीं थी। खुद मेजबान एसपी इंटर कॉलेज के खिलाड़ियों ने उधारी के शस्त्रों से निशानेबाजी की।
बालिकाओं ने बनाई दूरी
जिले में दो दर्जन स्कूल सिर्फ छात्राओं के हैं। तमाम विद्यालय ऐसे हैं, जहां छात्र और छात्राएं दोनों ही पढ़ते हैं। पूरा शिक्षा महकमा बालिका वर्ग में नुमाइंदगी के लिए भी एक छात्रा खिलाड़ी नहीं तराश सका। दो नवंबर से होने वाली मंडलीय प्रतियोगिता के लिए एक भी छात्रा ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।
पहले भी हो चुकी किरकिरी
अगस्त में बरेली व पीलीभीत में हुई मंडलीय फुटबॉल व हॉकी प्रतियोगिता के लिए भी माध्यमिक विद्यालयों ने कोई खास रुचि नहीं दिखाई थी। फुटबाल में तो किसी भी विद्यालय ने दिलचस्पी नहीं ली। हॉकी में महज इस्लामियां व रेलवे इंटर कॉलेज रोजा की टीमों ने कुछ सम्मान बचाने का प्रयास किया था।