सभा करने पर गिरफ्तार कर ले गई थी पुलिस
देश में आपातकाल की घोषणा हो चुकी थी। सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलना अपराध था।
जेएनएन, शाहजहांपुर : देश में आपातकाल की घोषणा हो चुकी थी। सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलना अपराध था। प्रेस पर भी पाबंदी लग गई थी। उस समय मेरी उम्र यही कोई 28 वर्ष रही होगी। अगले दिन सुबह यानी 26 जून को मैं सदर बाजार थाने के पास पहुंचा। वहां पर कुछ व्यापारियों के साथ सभा कर आपातकाल की निदा की। उनसे कहा कि डरने की जरूरत नहीं है। सब मिलकर इससे लड़ेंगे। इसके बाद दुकान पर आकर बैठा ही था, कि पुलिस की गाड़ियां आ गईं और मुझे पकड़ लिया। विरोध किया तो डंडे मारना शुरू किये। कुछ और व्यापारियों को दुकान से उठा लिया। सभी को पुलिस कर्मियों ने डंडे मारना शुरू किये और थाने ले गए। आपातकाल के दौरान जेल की सजा काटने वाले दवा व्यापारी चंद्रवीर गंगू बताते हैं कि एक-एक कर 19 लोगों को डीआइआर के तहत पकड़कर थाने लाया गया। जिनमें अधिकांश व्यापारी थे। रिपोर्ट में किसी को सरकार के खिलाफ भाषण देने, तो किसी को सरकारी इमारत जलाते हुए दिखाया गया था। सभी को हवालात में बंद कर दिया गया। जगह कम थी, बैठना तो दूर सही से खड़ा होना मुश्किल था। अंदर ही शौचालय बना था। उसकी बदबू के कारण सांस लेना भी मुश्किल था। किसी तरह रात कटी। सुबह सभी को सीजेएम कोर्ट ले जाया गया, वहां से जेल भेज दिया गया। चंद्रवीर गंगू बताते हैं कि जेल में उन लोगों के साथ कैदियों जैसा व्यवहार होता था। पानी व खाना सही से नहीं मिलता था। परिवार के लोगों को मिलने नहीं दिया जाता था। लगभग 49 दिन बाद हाईकोर्ट से जमानत मिली। रिहाई के बाद भी गतिविधियां बंद नहीं हुईं। जब जहां मौका मिलता लोगों को आपातकाल के विरुद्ध जागरूक करता। उन्हें समझाता कि इससे डरने की जरूरत नहीं है। कुछ समय बाद आपातकाल समाप्त होने की घोषणा हुई। तब जाकर सभी खुली हवा में चैन की सांस ली।