जनता की सेहत की नहीं माननीयों को चिता
न तो जरूरत के हिसाब से डॉक्टर हैं और न ही संसाधन।
जेएनएन, शाहजहांपुर : चुनाव दर चुनाव हुए, लेकिन जिले की बदहाल सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की ओर किसी का ध्यान नहीं है। न तो जरूरत के हिसाब से डॉक्टर हैं और न ही संसाधन। मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर करने के सिवाय कोई चारा नहीं है। साधन संपन्न लोग तो प्राइवेट अस्पतालों में चले जाते हैं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के पास सरकारी इलाज पर निर्भर रहने के सिवाय कोई विकल्प नहीं होता। ऐसे में कई बार मरीज की जान पर भी बन आती है, बावजूद इसके जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं हैं। या फिर यूं कहें उन्हें जनता की सेहत की कोई चिता नहीं है। गाहे बगाहे सदन में मुद्दा उठाया भी जाता है, पर नतीजा नहीं निकला।
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आध है स्टाफ
जिला अस्पताल में डॉक्टरों का टोटा है। आधे से कम स्टाफ से काम चलाया जा रहा है। एक-एक डॉक्टर को रोजाना दो से ढाई सौ मरीज देखने होते हैं। ऐसे में चेकअप के नाम पर सिर्फ औपचारिकता ही होती है।
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न्यूरो सर्जन नहीं
नेशनल हाईवे पर होने के कारण अक्सर यहां हादसे होते हैं, लेकिन जिला अस्पताल में न्यूरो सर्जन नहीं है। ऐसे में मरीज को रेफर करने के सिवाय कोई चारा नहीं रहता। कई बार लखनऊ या बरेली की दूरी जान पर बन आती है।
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यह है स्थिति :
- 300 बेड का है जिला अस्पताल
- 100 बेड का महिला अस्पताल
- 70 से 80 मरीज होते हैं रोज भर्ती
- 1 से डेढ़ हजार तक होती हैं रोजाना ओपीडी
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जिला अस्पताल का हाल
- 43 डॉक्टरों की जगह पर 21 ही कार्यरत
- 70 स्टाफ नर्सों की जगह 35 कर रहीं काम
- 106 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की जगह पर 46
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जिले का हाल
- 172 डॉक्टरों के पद हैं पूरे जिले में
- 71 डॉक्टर ही तैनात हैं जिले में
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ये हैं हालात
- बर्न यूनिट बनकर तैयार, लेकिन स्टाफ व उपकरण न होने के कारण शुरू नहीं
- महिला अस्पताल का नया भवन तैयार, बिजली की सप्लाई न होने के कारण शुरू नहीं
- जिला अस्पताल में डायलिसिस मशीन हैं लेकिन उसे संचालित करने के लिए स्टाफ नहीं
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बन रहा मेडिकल कालेज
- अजीजपुर जिगनेरा में राजकीय मेडिकल कालेज का चल रहा है निर्माण
- प्राचार्य की हो गई है तैनाती, अन्य स्टाफ व प्रोफेसर भी जल्द आएंगे
- जिला अस्पताल के तीन डॉक्टरों का प्रोफेसर के पद पर हुआ है चयन -------------
डाक्टरों व स्टाफ के लिए डिमांड भेजी गई है। मरीजों की संख्या अधिक व डॉक्टरों की कमी के कारण दिक्कत रहती है।
डॉ. एमपी गंगवार, सीएमएस जिला अस्पताल