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आसाराम से संघर्ष का सफरनामा : शाहजहांपुर की बहादुर बिटिया ने डटकर ढहाया पाप का साम्राज्य

आसाराम के पाप के साम्राज्य के खिलाफ लंबी लड़ाई का वक्त अगस्त 2013 से अप्रैल 2018 तक रहा। न्याय की जंग में शाहजहांपुर की बहादुर बेटी के लिए पूरा देश खड़ा दिखा।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 07:20 PM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 11:16 AM (IST)
आसाराम से संघर्ष का सफरनामा : शाहजहांपुर की बहादुर बिटिया ने डटकर ढहाया पाप का साम्राज्य
आसाराम से संघर्ष का सफरनामा : शाहजहांपुर की बहादुर बिटिया ने डटकर ढहाया पाप का साम्राज्य

शाहजहांपुर (जेएनएन)।  देश-दुनिया में फैला विशाल साम्राज्य। लाखों करोड़ों भक्त। एक से बढ़कर एक वकीलों की फौज। ताबड़तोड़ तीन हत्याएं, दो गंभीर घायल और एक लापता। चप्पे-चप्पे पर फैले खून के प्यासे खतरनाक गुर्गे...। कोई भी होता, कदम डगमगा जाते लेकिन, क्रांतिधरा पर जन्मी बहादुर बेटी डरी नहीं, डटी रही, अकेले ही, इंसाफ मिलने तक...। हां, वक्त जरूर लग गया। करीब चार साल आठ माह छह दिन लेकिन, जीत आखिर संघर्ष, सत्य और समर्पण की हुई। आसाराम की घिनौनी करतूत को बिटिया ने अंजाम तक पहुंचाया। साथ ही बुधवार को हमेशा-हमेशा के लिए ढहा दिया उसके पाप का पूरा साम्राज्य...। वास्तव में, देश दुनिया के लिए नजीर बनी इस बहादुर बेटी को सलाम...। 

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संघर्ष का सफर 

  • 04 साल 
  • 08 महीने 
  • 06 दिन 
  • हजारों आत्मघाती गुर्गों की फौज और नामचीन अधिवक्ताओं से बेपरवाह होकर पीडि़ता ने लड़ी जंग 
  • मां-बाप के साथ पूरे देश ने दिया साथ, मीडिया ने आसाराम को  एक्सपोज  किया

453 पेज का फैसला और आसाराम पूरी उम्र जेल 

  • 1.धारा 370 (4 ) -नाबालिग का अवैध व्यापार, इसमें 10 साल तक सजा है जो उम्रकैद तक बढ़ सकती है ।
  • 2. धारा 342   -दुष्कर्म के लिए बंधक बनाना । इसके तहत एक साल तक की सजा का प्रावधान है ।
  • 3. धारा 376 (डी )-गिरोह बनाकर दुष्कर्म करना । इसके तहत 10 साल तक की सजा का प्रावधान है ।
  • 4. धारा 376 ( 2 )  (एफ ) इसमें 10 साल तक की सजा जो उम्र कैद तक बढ़ सकती है ।
  • 5. धारा 506       - जान से मारने की धमकी । इसमें पांच से दस साल तक की सजा का प्रावधान है ।
  • 6. धारा 120 बी   -  साजिश रचना । इसमें मुख्य गुनाह के बराबर सजा दी जा सकती है ।
  • 7. पॉस्को एक्ट की घारा 5( एफ ) इसमें 10 साल तक की सजा,जो उम्र कैद तक बढ़ सकती है ।

बेहद लंबी चली लड़ाई का वक्त अगस्त 2013 से अप्रैल 2018 तक रहा। न्याय के लिए जंग में इस दौरान बहादुर बेटी के लिए पूरा देश खड़ा दिखा। आसाराम के कुछ अंध भक्त को छोड़कर। माता-पिता तो जान की परवाह किए बिना बेटी की ढाल बने रहे।  

नरायण साईं का चक्रव्यूह तोड़ा 

न्याय के लिए संघर्ष यात्रा बेहद कठिन थी। एक पल ऐसा भी आया, जब पीडि़ता के माता-पिता का हौसला जवाब दे गया। वे आसाराम की ताकत के आगे टूटने लगे। वजह, दस दिन तक शाहजहांपुर के इर्द गिर्द रहे आसाराम के बेटे नरायण साई ने पीडि़ता और परिवार के लिए बड़े चक्रव्यूह की रचना कर दी। बड़ा प्रलोभन देने के साथ ही परिवार के खात्मे की भी साजिश रची। जब यह बात पीडि़ता के पिता को लगी तो बच्चों की चिंता में शहर छोडऩे का मन बना लिया लेकिन..., मीडिया के सपोर्ट और न्याय पालिका ने हिम्मत दी। बेटी भी कंधे से कंधा मिलाकर आ खड़ी हुई। उसके बाद साई का पूरा चक्रव्यूह भी ध्वस्त कर दिया। 

अकेले लड़ लूंगी, राक्षस को छोडूंगी नहीं 

पीडि़ता से उसके पिता ने जब यह कहा...बेटी यदि मुझे आसाराम के गुर्गों ने मार दिया तो तेरी लड़ाई कौन लड़ेगा। भाई भी छोटे हैं। मां बेचारी क्या करेंगी, तब बहादुर बेटी ने कहा था-नहीं पिताजी ऐसा कुछ नहीं होगा। राक्षस को सजा ऊपर वाला देगा। दोबारा पिता के सवाल दोहराने पर अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक की माटी की जन्मी बेटी बोली- आपको कुछ हो भी गया तो मैं अकेले ही लड़ाई लड़ लूंगी, लेकिन राक्षस आसाराम को छोड़ूंगी नहीं...।

बयान के लिए जोधपुर में बिताने पड़े दो माह 

शाहजहांपुर : पीडि़ता की संघर्ष यात्रा में पग पग पर कांटे बिछाए गए। आमतौर पर पीडि़त पक्ष के जल्द बयान पूर्ण हो जाते हैं लेकिन, आसाराम के नामचीन वकीलों की फौज से पीडि़ता को 27 दिन तक जूझना पड़ा। इसके लिए उसे खतरे के बीच जोधपुर में दो माह बिताने पड़े...। 11 अप्रैल 2014 को शुरू बयान 13 जून 2014 तक चले। चार दिन मुख्य बयान दर्ज हो गए लेकिन आसाराम के वकीलों ने क्रास बयान के लिए 23 दिन का समय लिया। इस तरह कुल 27 कार्य दिवस में 94 पन्नों में दर्ज हुए। 

मां के बयान में लगे 19 दिन 

पीडि़ता की मां को बयान के लिए जोधपुर में 16 जुलाई 2014 से 25 नवंबर 2014 तक रहना पड़ा। कुल 19 कार्य दिवस के भीतर 80 पेज में बयान दर्ज किए गए। इस दौरान पीडि़ता के पिता भी साथ रहे। 

बेटी की ढाल बने पिता 

बहादुर बेटी के लिए उसके पिता ढाल बने रहे। दो जनवरी 2015 को उनके बयान का नंबर आया। दो दिन में मुख्य बयान कर लिए गए लेकिन आसाराम के वकीलों के सवाल जबाव में 16 दिन लग गए। इस तरह 18 दिन के भीतर कुल 56 पन्नों में बयान दर्ज होने के बाद शेष गवाहों की बारी आई। इस दौरान पीडि़ता के पिता पर जोधपुर में होटल के भीतर आसाराम के गुर्गों ने हमले का भी प्रयास किया। किसी तरह बच पाए। 

पीडि़ता के पक्ष में 44 ने गवाही 

जोधपुर केस में पुलिस ने दोनों पक्ष के 58-गवाह चिह्नित किए थे। इनमें पीडि़ता के पक्ष के 44 तथा बचाव पक्ष के 31 गवाहों ने गवाहों ने गवाही दी। 

तीन की हत्या, दो घायल एक लापता 

बेटी को डराने के लिए क्या कुछ नहीं किया गया। आसाराम के पंचेड़ बूटी रहस्य का खुलासा करने वाला दुष्कर्म प्रकरण का मुख्य गवाह व आसाराम के निजी वैद्य रहे अमृत प्रजापति, मुजफ्फरनगर निवासी आसाराम के रसोइया अखिल गुप्ता तथा शाहजहांपुर निवासी गवाह कृपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आसाराम के निजी सचिव व जोधपुर, सूरत केस के मुख्य गवाह राहुल सचान पर कोर्ट के बाहर चाकुओं से गोदकर हत्या का प्रयास किया गया। लखनऊ में कार से कुचलने की कोशिश हुई। नवंबर 2015 से राहुल सचान लापता है। महेंद्र चावला की गोली मारकर हत्या का प्रयास किया गया। खबरें छपने से नाराज दैनिक जागरण के पत्रकार की गर्दन काटकर हत्या का प्रयास किया गया। जोधपुर केस में पुलिस ने दोनों पक्ष के 58-गवाह चिह्नित किए थे। इनमें पीडि़ता के पक्ष के 44 तथा बचाव पक्ष के 31 गवाहों ने गवाहों ने गवाही दी।

अखिल के पिता बोले, उम्रकैद की सजा पर्याप्त नहीं 

शाहजहांपुर की बिटिया से यौन उत्पीडऩ के मामले में आसाराम को जोधपुर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। एक अन्य मामले में आसाराम के खिलाफ गवाह बनने के बाद मुजफ्फरनगर के अखिल गुप्ता की हत्या कर दी गई थी। बुधवार को सजा सुनाए जाने के बाद अखिल के पिता नरेश गुप्ता ने सजा को अपर्याप्त बताया है। उनका कहना है कि अपराध के हिसाब से आसाराम को कुछ भी सजा नहीं मिली। उनके मन में टीस है कि यदि आसाराम के खिलाफ गवाही के बाद उनके बेटे को सुरक्षा मिलती तो उसकी जान नहीं जाती।

नई मंडी कोतवाली क्षेत्र के गीता एन्क्लेव निवासी अखिल गुप्ता आसाराम के अहमदाबाद आश्रम में रसोइया था। गुजरात में आसाराम के खिलाफ दो बहनों के यौन उत्पीडऩ का मामला दर्ज हुआ तो गुजरात पुलिस ने अखिल और उसकी पत्नी वर्षा को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। बाद में उन्हें सरकारी गवाह बना लिया था। अखिल अपने परिवार के साथ जानसठ रोड स्थित गीता एन्क्लेव में रह रहा था। 11 जनवरी 2015 को अखिल गुप्ता की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी, जब वह अपनी दुकान बंद कर अपने घर लौट रहे थे। मामले में गुजरात एटीएस ने आसाराम के सेवक रह चुके कार्तिक हलधर निवासी रामलोचनपुर को दबोचा था। कार्तिक ने अपने चार साथियों के साथ अखिल की हत्या करने की बात कबूली थी। फिलहाल कार्तिक करनाल जेल में बंद है। 


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