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ओटीपी भेज पश्चिम बंगाल से लग रही बैंक खातों में सेंध

श्च द्यद्ब म् ख्द्धद्बह्लद्ग-ह्यश्चड्डष्द्ग श्चह्मद्ग-ख्ह्मड्डश्च; 8 साइबर अपराधी पुलिस के लिए चुनौती बनते जा रहे है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 06:54 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 06:54 PM (IST)
ओटीपी भेज पश्चिम बंगाल से लग रही बैंक खातों में सेंध
ओटीपी भेज पश्चिम बंगाल से लग रही बैंक खातों में सेंध

ओटीपी भेज पश्चिम बंगाल से लग रही बैंक खातों में सेंध

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अजयवीर सिंह, शाहजहांपुर :

साइबर अपराधी पुलिस के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। रोजाना औसतन तीन लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। बैंक खातों में यह सेंध हैकर्स सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल व झारखंड से लगा रहे हैं। इन हैकर्स को पुलिस पकड़ने में भी नाकाम साबित हो रही है।

आनलाइन फ्राड करने वाले वाट्सएप, मैसेंजर पर लिंक भेजकर लोगों की मेहनत की कमाई खातों से आसानी से उड़ा रहे है। ठगी के 55 प्रतिशत मामलों में हैकर्स मोबाइल पर फर्जी ओटीपी भेजकर या सीधे उसे हैक कर रहे है। जिले में बीते एक साल में 969 लोग ठगों के झांसे में आसानी से फंस गए। हालांकि शाहजहांपुर से ज्यादा बरेली व बदायूं जिले के लोगों को इन ठगों ने अपना निशाना बनाया है। पुलिस को इन्हें पकड़ने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

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जिले में भी खुला था फर्जी काल सेंटर

सदर थाना क्षेत्र के बहादुरगंज मुहल्ला में पुलिस एक फर्जी काल सेंटर को पकड़ चुकी है। जहां पांच लोग खुद को फाइनेंस कंपनी का कर्मचारी बताकर लोगों को रोजगार या वाहन खरीदने के लिए बैंकों से कम ब्याज पर लोन दिलाने के लिए काल करते थे। व्यक्ति जब झांसे में आ जाते थे उन्हें एक लिंक मोबाइल पर भेजते थे। जिस पर क्लिक करते ही खाते से रुपये निकल जाते थे।

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यह अपनाते हैं तरीका

आनलाइन खरीदारी करने या फिर किसी कारोबार से जुड़े व्यक्ति के बारे में जानकारी ठग साफ्टवेयर व वेबसाइटों के जरिये आसानी से जुटा लेते है। इसके बाद ठग उनके वाट्सएप व मैसेंजर पर लिंक भेज देते है। लिंक पर क्लिक कर अन्य जानकारी के लिए अनुमति लेने का संदेश आता है। जिस पर संबंधित व्यक्ति ने यदि क्लिक कर दिया तो हैकर्स अपने साफ्टवेयर से ओटीपी भी हैक कर लेते हैं।

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रसूखदारों के पास वाट्सएप व मैसेंजर कालिंग

साइबर ठग जनप्रतिनिधि, शहर के उद्योगपति व अन्य कारोबारों के बारे में आसानी से जानकारी जुटा लेते है। ऐसे में वाट्सएप, मैसेंजर कालिंग के जरिये उन्हें अपने जाल में फंसा लेते हैं। अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष मिथिलेश कुमार के साथ भी इसी तरह की एक घटना हो चुकी है। उन्होंने पुलिस के अधिकारियों को भी इस संबंध में अवगत कराया था।

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आंकड़ों पर नजर

बरेली जिले में एक साल में 2800 मामले आनलाइन ठगी के दर्ज किए गए। जिसमे 290 लंबित चल रहे हैं। बदायूं जिले में एक साल में एक हजार मामले दर्ज हुए जिसमे 600 से अधिक प्रकरण में वहां की साइबर सेल को कोई जानकारी नहीं हो सकी। जबकि शाहजहांपुर जिले में 969 लोगों के साथ ठगी के मामले सामने आए जिसमे महज 251 प्रकरण लंबित रह गए जबकि अन्य मामलों में साइबर सेल की टीम ने सक्रियता दिखाते हुए रुपये वापस करा दिए। पीलीभीत जिले में 831 मामलों में 286 में अब तक कोई जानकारी साइबर सेल की टीम नहीं जुटा सकी।

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72 लाख की हुई धोखाधड़ी

जिले में वर्ष 2021 में 72 लाख 40 हजार 695 हजार रुपये की धोखाड़ी हुई। जिसमे साइबर सेल की सक्रियता से 24 लोगों के 10 लाख 15 हजार 874 रुपये वापस करा दिए गए।

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अनजान लिंक किसी व्यक्ति को अपने मोबाइल पर नहीं खोलना चाहिए। ठगी के बढ़ते मामले देखकर ही हर थाने में एक अलग से हेल्प डेस्क खोली गई है। इसके अलावा शिक्षण संस्थाओं से लेकर सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है।

एस आनंद, एसपी


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