सात साल में नहीं शुरू की चीनी मिल, अधिकारी भी बने रहे लापरवाह
गंगा रामगंगा व गर्रा की कटरी समेत चार जिलों के किसानों को खुशहाली का सपना दिखाकर कैमुना समूह ने जमीन खरीदी थी। दावा था कि इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सात साल में चीनी मिल तो शुरू नहीं हुई लेकिन वित्तीय लेनदेन में 16 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज जरूर हो गया
जेएनएन, शाहजहांपुर : गंगा, रामगंगा व गर्रा की कटरी समेत चार जिलों के किसानों को खुशहाली का सपना दिखाकर कैमुना समूह ने जमीन खरीदी थी। दावा था कि इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सात साल में चीनी मिल तो शुरू नहीं हुई, लेकिन वित्तीय लेनदेन में 16 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज जरूर हो गया। तहसील प्रशासन व विभागीय अधिकारियों ने भी इतने दिनों में एक बार भी मिल शुरू न होने का कारण जानने की कोशिश नहीं की। जनवरी 2013 में लखनऊ के अलीगंज स्थित कैमुना एग्रो लिमिटेड ने औद्योगिक पार्टनरशिप मीट को आधार बनाकर हरदोई, बदायूं, फर्रुखाबाद के साथ ही शाहजहांपुर की कटरी को विकास को मसौदा पेश किया। जलालाबाद तहसील के ग्राम दहेना में चीनी मिल स्थापना को किसानों के लिए हितकर मान सरकार ने मंजूरी दे दी।
-----------
50 हजार क्विटल पेराई और 30 मेगावाट बिजली उत्पादन का दिखाया सपना
कैमुना समूह के लोगों ने 50 हजार क्विटल गन्ना पेराई और 30 मेगावाट बिजली उत्पादन के संयत्र लगाने की बात कही थी। दहेना गांव के पास 80 एकड़ जमीन खरीदी। जिस स्थान पर जमीन खरीदी गई वहां से हरदोई की रूपापुर चीनी मिल 45 किमी, रोजा शुगर वर्क्स 50 किमी, बदायूं की सहकारी चीनी मिल 80 किमी तथा फर्रुखाबाद की कायमगंज सहकारी चीनी मिल दहेना से 40 किमी दूर है। कैमुना चीनी मिल के नाम जमीन खरीद की जानकारी है। विभाग से हाल में कोई अपडेट नहीं लिया गया। चीनी मिल क्यों स्थापित नहीं हुई इसकी जांच की जाएगी।
डा. खुशीराम भार्गव, जिला गन्ना अधिकारी
-----------------------
जिलाधिकारी के निर्देश पर चीनी मिल के लिए खरीदी गई जमीन की जांच कराई गई। करीब 80 एकड़ में काफी जमीन पट्टे की मिली। 0.2 हेक्टेयर में कमरे बने है, बाकी जमीन खाली है। खामियों की रिपोर्ट डीएम को भेज दी गई है।
सौरभ भट्ट, उप जिलाधिकारी जलालाबाद