कहां गया 43 लाख का सरकारी गेहूं
किसानों से खरीदा गया 202.081 मीट्रिक टन सरकारी गेहूं गायब हो गया है। यह गेहूं भारतीय खाद्य निगम में जमा होना था जो वहां नहीं पहुंचा। इसकी कीमत 43.06 लाख रुपये है। इस मामले में दो क्रय केंद्र प्रभारी कार्रवाइ की जद में हैं। एक के खिलाफ मुकदमा हो गया है जबकि दूसरे ने रकम जमा करने के लिए 15 नवंबर तक का वक्त मांगा है।
संतकबीरनगर : किसानों से खरीदा गया 202.081 मीट्रिक टन सरकारी गेहूं गायब हो गया है। यह गेहूं भारतीय खाद्य निगम में जमा होना था, जो वहां नहीं पहुंचा। इसकी कीमत 43.06 लाख रुपये है। इस मामले में दो क्रय केंद्र प्रभारी कार्रवाइ की जद में हैं। एक के खिलाफ मुकदमा हो गया है, जबकि दूसरे ने रकम जमा करने के लिए 15 नवंबर तक का वक्त मांगा है। गबन के ये दोनों प्रकरण खलीलाबाद ब्लाक के हैं।
पहला मामला कुछ यूं है। साधन सहकारी समिति-डीघा पर 356.361 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी। 30 सितंबर तक 328.503 मीट्रिक टन गेहूं भारतीय खाद्य निगम में जमा कराया गया। 5,93,726 रुपये का 27.858 मीट्रिक टन गेहूं अब तक गायब है। कई बार कहने के बावजूद केंद्र प्रभारी सत्येंद्र सिंह ने जब गेहूं नहीं जमा कराया और न ही तय रकम तो एडीसीओ सुभाष चंद्र चौरसिया ने खलीलाबाद कोतवाली में उनके खिलाफ गबन का मुकदमा दर्ज करा दिया।
दूसरा मामला डीसीएफ-गिरधरपुर से जुड़ा है। यहां के प्रभारी कृष्ण कुमार सिंह ने 660.019 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की थी। 30 सितंबर तक वह महज 242.278 मीट्रिक टन गेहूं ही एफसीआई को भेज सके। 37,13,146 रुपये का 174.223 मीट्रिक टन गेहूं अब तक नहीं पहुंचा। दबाव पड़ने पर प्रभारी ने 15 नवंबर 2019 तक का समय मांगा है।
अपर जिलाधिकारी रणविजय सिंह ने कहा कि जिन क्रय केंद्र प्रभारियों ने गेहूं जमा नहीं कराया है, उन पर कार्रवाई की जा रही है। वह गेहूं जमा करें या फिर रकम। ऐसा न करने पर आरसी जारी कर वसूली की जाएगी।