सच्चा सुख सिर्फ यहां और कहीं नहीं..!
संतकबीर नगर:नहाय धोये क्या भया, मन का मैल न जाय । नीम न कड़ुवा पन तजै, जल में सदा रहाय ।। घाट ही प
संतकबीर नगर:नहाय धोये क्या भया, मन का मैल न जाय । नीम न कड़ुवा पन तजै, जल में सदा रहाय ।।
घाट ही पानी सब भरै, औ घट भरे न¨ह कोय । औ घट घाट कबीर का, भरै सो निरमल होय ।।
अटपट शब्द कबीर का, झट-पट लखी न जाय । जो कोई झट-पट लखै, सब खट-पट मिटि जाय ।।
आडंबर,छुआछुत के अलावा सामाजिक, धार्मिक बुराइयों पर करारा प्रहार करने वाले महान संत कबीर की निर्वाण स्थली मगहर में स्थानीय ही नहीं अपितु गैर जनपद व प्रांत से कबीर पंथी यहां आए हैं। इन सभी का कहना है कि कबीर साहेब की वाणियों से उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ है, एक नई दिशा मिलीं है। पूरे विश्व में शांति और आपसी भाईचारा कायम होगा। अमर दास बोले, 20 साल से आ रहा हूं यहां..!
पानीपत-हरियाणा के 50 वर्षीय कबीर पंथी अमर दास ने कहाकि वे यहां पर 20 साल से आ रहे हैं। बिहार के सिवान जिले के जिरादेई गांव के 70 वर्षीय साहेब राम प्रसाद दास कहते हैं कि वे कबीर की वाणियों से काफी प्रभावित हैं। यहां पर पिछले छह साल से आ रहे हैं। देवरिया जिले के रामकिशोर दास व छविलाल कहते हैं कि यहां पर आत्मिक शांति मिलती है, अच्छाई और बुराई में क्या भेद है, यह मालूम होता है। इलाहाबाद के फूलपुर के ग्राम वीरकाजी के निगम लाल दास कहते हैं कि उन्हें इस धरती पर आकर ज्ञान मिला है, आडंबरों से बचने की राह दिखीं। कुशीनगर के राजपुरबगहा निवासी शंकर दयाल व फागू शर्मा दास ने कहाकि वे यहां पर वर्ष 2015 से आ रहे हैं। कबीर की वाणियों से प्रभावित हैं, जीवन में इनके बताए रास्ते पर चल रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, बिहार के अलावा अन्य जगहों से आए कबीर पंथियों ने भी यहां की महत्ता बताई।