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आज अस्ताचल, कल उदयीमान सूर्य को देंगी अ‌र्घ्य

संतकबीर नगर : सूर्योपासना का महापर्व छठ की चहुंओर धूम है। आस्था, श्रद्धा व अटूट विश्वास के महापर्व क

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 10:24 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 10:24 PM (IST)
आज अस्ताचल, कल उदयीमान सूर्य को देंगी अ‌र्घ्य
आज अस्ताचल, कल उदयीमान सूर्य को देंगी अ‌र्घ्य

संतकबीर नगर : सूर्योपासना का महापर्व छठ की चहुंओर धूम है। आस्था, श्रद्धा व अटूट विश्वास के महापर्व की छंटा देखते ही बन रही है। नहाय-खाय के बाद सोमवार को पंचमी से महाव्रत का शुरुआत हो गई है। महिलाओं ने निर्जल व्रत रखकर खरना किया। बाजारों में पूजन सामग्रियों की खरीदारी की गई। व्रती महिलाओं के साथ उनके परिवार के सदस्य पूजा की तैयारियों में लगे रहें। पूरे दिन वेदी बनाने, पूजन सामग्री तैयार करने का कार्य चलता रहा।

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काíतक पंचमी के दिन 'खरना' के साथ सूर्यषष्ठी व्रत का द्वितीय चरण आरंभ हो गया है। व्रती महिलाएं आंशिक उपवास कर इस महापर्व की शुरुआत की। दिन भर निर्जल व्रत रहने के उपरांत व्रती महिलाओं ने शाम को स्वच्छता से धुले स्थान पर चूल्हा को स्थापित कर अच्छत, धूप, दीप व ¨सदूर से उसकी पूजा किया। प्रसाद के लिए गन्ने के रस में पके चावल की खीर, चावल का पिट्ठा, घी में आटे से फुल्के तथा साठी की खीर यानी 'रसियांव-रोटी' तैयार किया। शाम में पूजा करने के पश्चात चौके में ही 'खरना' किया। रोटियां बनाने के बाद बचे हुए आटे से एक छोटी सी रोटी या टिकड़ी बनाई गई। व्रतियों के भोजन के बाद परिवार के सभी सदस्यों में इसे प्रसाद स्वरूप बांटा।

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नए चुल्हे पर बनी भोग सामग्री

-महापर्व छठ लोहंडा निर्जल व्रत रखने वाली महिलाओं ने घरों में मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से प्रसाद तैयार किया। प्रसाद के रूप में अरवा चावल, दाल, सब्जी आदि बनाकर भगवान भास्कर को भोग लगाया गया। केला, पानी ¨सघाड़ा आदि भी प्रसाद के रूप में भगवान आदित्य को भोग लगा। कुछ घरों में मिट्टी के चूल्हे स्थापित न हो पाने की स्थिति में स्टोप व गैस चूल्हा खरीद कर सामग्री तैयारी की गई।

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लोक गीत से घर-आंगन, बाजार गुलजार

-छठ पर्व पर गीतों का महत्व है। कांच ही बांस के बहगियां बहंगी लचकत जाय.., देइला अरघिया मइया विनती सुन ला हमार.छठ पूर्व से

संबंधित प्रमुख गीतों से घर व खरीदारी से बाजार गुलजार है। मइया के भक्त पूरी तन्मयता से सात्विक विचार धारा से मइया के पूजन-अर्चन, भजन-कीर्तन में रमे है। देइब अरघिया बिनती सुनहिया मइया हमार..,सूर्यजी ए बारी देर न करबे., जोड़-जोड़ सुपवा चढ़ाई मइया.., जैसे छठ पर्व के गीतों से इस महापर्व की महत्ता को लोगों तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।

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महापर्व में आज

-सोमवार- षष्ठी -शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य

-मंगलवार- सप्तमी - उदयीमान सूर्य को अ‌र्घ्य

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