प्रसव का तीन हजार, जन्म प्रमाण पत्र का दो सौ
बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया जाता है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है। प्राथमिक स्वास्थ केंद्र बघौली में अराजकता चरम पर है। यहां प्रसव कराने का तीन से चार हजार रुपए लिए जाते हैं। जन्म प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दो सौ रुपए की वसूली होती है।
संतकबीर नगर : बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है। प्राथमिक स्वास्थ केंद्र बघौली में अराजकता चरम पर है। यहां प्रसव कराने का तीन से चार हजार रुपए लिए जाते हैं। जन्म प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दो सौ रुपए की वसूली होती है। मौके पर पहुंचे संवाददाता को अस्पताल आए मरीजों ने यह सब बताया।
अस्पताल में तैनात चिकित्सक को परिसर में ही रहना होता है। लेकिन वह अस्पताल पर रहते नहीं हैं। गुरुवार की सुबह 9.55 मिनट पर एलटी रविद्र कुमार व प्रभारी डा. सियाराम यादव अस्पताल पर पहुंचे। 10 बजे बीसीपीएम नंदनी राय, एनएम चंद्रकला, स्टाफ नर्स चांदनी वर्मा व पूनम पहुंची। 10 बजकर तीस मिनट पर डा. सियाराम यादव व डा. जेपी सिंह ओपीडी कक्ष में बैठे। 10.27 मिनट पर आरबीएस के डा. विवेक कुमार व डा. सलोनी आईं। प्रसूता संजू देवी, संगीता, किरन महिला चिकित्सक को दिखाने के लिए बरामदे में टहल रहीं थीं। काफी इंतजार के बाद जब महिला चिकित्सक नहीं आईं तो इन लोगों के परिजन जिला अस्पताल के लिए चल दिए। भैंसमथान गांव की राजमती देवी ने बताया कि बेटी प्रमिला को प्रसव पीड़ा हुआ। एम्बुलेंस से यहां बुधवार रात में लाया गया। जहां पर तैनात कर्मियों द्वारा कहा गया कि तीन हजार रुपए दीजिए तो प्रसव कराया जाएगा। मजबूरी में हमने तीन हजार रुपए दिया। जन्म प्रमाण पत्र के लिए अस्पताल का एक बाबू ने सौ रुपए लिया तब जाकर प्रमाण पत्र दिया। स्थानीय लोगों ने बताया कि पैसे की वसूली कोई नई बात नहीं है। अस्पताल पहुंचे श्याम करन, प्रीती, शर्मिला, प्रमिला, किरन, संगीता का आरोप था कि यहां चिकित्सक मिलते ही नहीं हैं। यहां हर काम का पैसा फिक्स है। बिना पैसा दिए इलाज ही नहीं होता।
इस बारे में पूछे पर सीएमओ डा. हरगोविद सिंह ने कहा कि कर्मियों के गायब रहने की जानकारी नही है । रही बात वसूली की तो जांच कर दोषियों के खिलाफ कारवाई की जाएगी ।