सौहार्द का प्रतीक है एक ही परिसर में समाधि व मजार
सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक एकता के मिशाल कायम करने वाले संतकबीर दास को दुनियां में अनगिनत चाहने वाले हैं। काशी से चलकर मगहर आने वाले कबीर की साधना एवं कर्म स्थली होने का गौरव प्राप्त है। निर्वाण स्थली के शताब्दियों से विभिन्न संप्रदायों के लोगों का प्रेरणा स्त्रोत्र ¨हदू -मुसलमान द्वारा एक ही परिसर में निर्मित समाधि मन्दिर व मस्जिद यहां की परस्पर सौहार्द के सहिष्णुता का प्रतीक है।
संतकबीर नगर : सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक एकता के मिशाल कायम करने वाले संतकबीर दास को दुनियां में अनगिनत चाहने वाले हैं। काशी से चलकर मगहर आने वाले कबीर की साधना एवं कर्म स्थली होने का गौरव प्राप्त है। निर्वाण स्थली के शताब्दियों से विभिन्न संप्रदायों के लोगों का प्रेरणा स्त्रोत्र ¨हदू -मुसलमान द्वारा एक ही परिसर में निर्मित समाधि मन्दिर व मस्जिद यहां की परस्पर सौहार्द के सहिष्णुता का प्रतीक है। जो एकता के मिशाल की गौरवगाथा कहती है।
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महापुरुषों के मिलन की साक्षी
यह धरती कबीर गुरू गोरक्षनाथ के विरासत की याद दिलाकर नानक व कबीर सहित मनीषियों के अद्भूत मिलन की साक्षी है।
भारतीय संत परंपरा के शिरोमणि संतकबीर ने मगहर आकर गृहस्थ, समाज सुधारक, कवि, दार्शनिक, रहस्यवादी, योगी व सिद्ध पुरूष के रूप में जो कार्य किया वह जननी की पुण्य धरा पर अनुपम परंपरा के रूप में अखिल विश्व में झलक रहीं है।
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ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित हो आदि रचानाएं आज भी सभी का मार्ग दर्शन करती है। ज्ञान मार्गी, कर्म योगी समाज परिवर्तन के आधार नई परंपरा के अनुयायी कबीर किस समाज में पैदा हुए यह हल सुलझ न सकी। मगहर से सटे गुरू गोरख तलैया के गुरु गोरक्षनाथ की विरासत की महिमा मंडन करते हैं।