कभी मगहर की लाइफ लाइन थी कताई मिल
संतकबीर नगर : रोजगार को बढ़ावा देने वाली संत कबीर सहकारी कताई मिल के बंद हो जाने से जहां 16 सौ मजदूर
संतकबीर नगर : रोजगार को बढ़ावा देने वाली संत कबीर सहकारी कताई मिल के बंद हो जाने से जहां 16 सौ मजदूर बेरोजगार हुए तो वहीं एक दूसरे के पूरक रहा मगहर कस्बा भी आर्थिक रुप से कमजोर हो गया। हालांकि कताई मिल के बंद हुए दो दशक बीत चुके हैं लेकिन इससे जुड़े कर्मचारी आज भी इसके चलाए जाने की आस लगाये हुए हैं।
सात जनवरी 1978 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में संतकबीर सहकारी कताई मिल की स्थापना हुई थी।जिसका उद्घाटन संजय गांधी के कर कमलों से हुआ था जिसके बाद 1978 से इसके उत्पादों ने बाजार में अपने पांव पसारने शुरु कर दिये। काम की शुरुआत हुई तो हुनरमंद हाथों को काम मिला। वर्ष 1981 में मिल प्रबंधन व मजदूर संगठन के बीच तनातनी में गोली कांड हो जाने के कारण लगभग 28 दिन मिल बंद हो गई सामंजस्य बन जाने के बाद आठ वर्ष तक पुन: मिल के उत्पादों ने बाजार में धूम मचाई। लेकिन वर्ष 1989 में मिल में आग लगने के कारण काफी नुकसान और मिल दो साल तक बंद रही। वर्ष 1992 में पुन: सूती मिल चालू हुई लेकिन घाटे के कारण इसे गति नहीं मिल सकी। 1997 में जीएम आरपी चौबे के कार्यकाल में मिल बंद हो गई। और फेडरेशन ने कर्मचारियों को वीआरएस देने की घोषणा कर दी।तत्कालीन एमडी एसडी खन्ना के कार्यकाल में मिल कर्मचारियों को भुगतान भी किया गया। मिल पर बकाया आधिक होने के कारण मुंबई हाई कोर्ट के निर्देश पर मिल में ताला लग गया। दो दशक बीत जाने के बाद भी मिल को पुन: चलाये जाने के लिए कर्मचारियों का संघर्ष जारी है।
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क्या कहते हैं कर्मचारी
कर्मचारी जोखन यादव ने बताया कि मिल बंद होने के बाद से ही मिल को पुन: चालू कराने व मजदूर हित की लड़ाई लड़ी जा रही है। पिछली प्रदेश की सरकार ने मिल चलाए जाने की घोषणा की थी जो आजतक अमल में नहीं आई। प्रधानमंत्री जी का आगमन हो रहा है सम्भव है कि उनके द्वारा मिल चलाने की घोषणा कर दी जाए। कर्मचारी जगन्नाथ ने बताया कि अगर सरकार मिल को चालू करती है तो मगहर व आसपास के क्षेत्र का विकास होगा। बेरोजगार युवा रोजगार से जुड़ सकेंगे। कर्मचारी दयाराम का कहना है कि सरकार की बेरोजगारी दूर करने की योजना है। मिल के पुन: चलने से क्षेत्र की बेरोजगारी समाप्त हो सकती है। कर्मचारी बेचू का कहना है कि असमय मिल बंद होने से परिवार आर्थिक तंगी से घिर गया घर के युवा भी शिक्षा प्राप्त कर बेरोजगार हैं मिल चलने से क्षेत्र मे ही रोजगार उपलब्ध करने का बहुत ही अच्छा माध्यम है।
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वीआरएस भुगतान के लिए संघर्ष जारी
कताई मिल मजदूर संगठन के अध्यक्ष अशरफ अली ने बताया कि मिल बंद हो जाने के बाद फेडरेशन ने कर्मचारियों का वीआरएस के भुगतान की घोषणा कर दी लेकिन लगभग साढे चार सौ कर्मचारियों के वीआरएस के भुगतान के बजाय ईआरएस भुगतान किया गया है। जिसके लिए संघर्ष जारी है।मिल को पुन: चालू कराये जाने के सम्बंध में अब तक जनप्रतिनिधियों के द्वारा आश्वासन मिलते रहे हैं। प्रधानमंत्री जी के मगहर आगमन से मिल को पुन: चालू किये जाने की घोषणा होने की संभावना की आस जगी है।