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..कहीं राम बसते हैं तो कहीं रहमान

मगहर महोत्सव में रविवार की देर रात को आयोजित कवि सम्मेलन और मुशायरे में कवियों और शायरों की गीतों व गजलों पर लोग झूमते रहे। व्यंग्य वाण भी खुब चले।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 11:24 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 06:05 AM (IST)
..कहीं राम बसते हैं तो कहीं रहमान
..कहीं राम बसते हैं तो कहीं रहमान

संतकबीर नगर : मगहर महोत्सव में रविवार की देर रात को आयोजित कवि सम्मेलन और मुशायरे में कवियों और शायरों की गीतों व गजलों पर लोग झूमते रहे। व्यंग्य वाण भी खुब चले। हास्य व्यंग्य की रचनाओं पर खूब ठहाके भी लगे।

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शायर कुंवर जावेद की अध्यक्षता में आयोजन पूरी रात चलता रहा। संचालन कर रहे डाक्टर शंकर कैमूरी ने अपनी इन पंक्तियों के साथ तेरी रहमतों का दरिया सरेआम बह रहा है, मुझे भीख मिल रही है तेरा नाम चल रहा है से महफिल को रंग दिया। शायर काविश रूदौलवी ने कहा दीदार की क्या अच्छी तरकीब निकाली है, तस्वीर मदीने की कमरे में सजा ली है, हर आल मनव्वर है, क्या रौजे की जाली है, हल्की सी कशिश मेरी आंखों ने चुरा ली । पूनम श्रीवास्तव से कहा मां तेरी सुखद भवानी, महिमा गाते ऋषि मुनि ज्ञानी, पग तल बसा ले जननी पग तल सजा ले सुनाकर लोगों को भक्तिरस में रमा दिया। इसके बाद डाक्टर एएन श्रीवास्तव ने मीले उनसे जमाना हो गया है, मगर मुश्किल भुलाना हो गया है सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। कवि डाक्टर विष्णु सक्सेना ने अपनी गीतों पर लोगों को खूब झुमाया। हमको जितना दिखा, सिर्फ उतना लिखा, अब ये पन्ना यहीं मोड़ दें, तुम हमारी कसम तोड़ दो-हम तुम्हारी कसम तोड़ दें सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। इसके बाद नसीम सलेम पुरी उल्फत और खलूस के पैकर कबीर थे, इल्मो अदब के समंदर कबीर थे सुनाया। शिव किशोर तिवारी खंजन ने किसके दर्द में हिस्सा बंटाना फर्ज होता है, हमें इंसानियत निभाना फर्ज होता है सुनाया। कवियित्री डाक्टर स्वेता श्रीवास्तव ने देख रही हूं सबको चुपके चुपके मैं, सही कहूं तो तुमको चुपके चुपके मैं कविता पाठकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हास्य कवि सर्वेश अस्थाना ने आप जैसे लोग अब मिलते नहीं हैं, इस महक के फूल अब खिलते नहीं हैं सुनाया। शायर शकील फूलपूरी ने नफरतों को मिटाने आये हैं, प्यार का गुल खिलाने आये हैं, सुनाया।

शायर असद महताब ने ये कबीर की धरती है रूह में ईमान बसता है, कहीं राम बसता है कहीं रहमान बसता है सुनाया। कुंवर जावेद ने सूरज हूं मुझको डर किसी साये का नहीं है, ये देश मेरा घर है किराये का नहीं है, सुनाया। इसके अलावा ताराचंद तन्हा, रामनरेश सिंह मंजुल, पवन सबा, महमूद खान, अबरार आलम, अम्बर बस्तवी, शारिक खलीलाबाद, हामिद खलीलाबादी, नुसरत अतीक, हरीश दरवेश, विपिन मलीहाबादी आदि कवि व शायरों ने अपने कलाम पेश किये।


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