एक दशक से सेमरियावां-पिपरा प्रथम मार्ग बदहाल
बघौली ब्लाक मुख्यालय से लगभग आठ किमी की दूरी पर स्थित सुरदहिया गांव का बाबा रामदेव का मंदिर कौमी एकता का प्रतीक है। बाबा रामदेव को जहां हिदू अपना देवता मानते हैं तो मुसलमान भी इन्हें पीर मानकर यहां आकर इबादत करते हैं।
संतकबीर नगर: सेमरियावां-पिपरा प्रथम मार्ग एक दशक से खराब है। इस सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हैं। दो पहिया वाहन सवार अक्सर इस सड़क पर गिरकर चोटिल होते हैं। जन प्रतिनिधियों व अधिकारियों की खामोशी से हर दिन लोग दिक्कत झेल रहे हैं। लोगों ने डीएम से इस सड़क को ठीक कराने की मांग की है।
सेमरियावां-पिपरा प्रथम संपर्क मार्ग की लंबाई 12 किमी है। इस सड़क से रोजाना कई गांवों के तमाम लोग आते-जाते हैं। सेमरियावां ब्लाक के पिपरा गोविद, कोहरियावां, मंगुआ पाण्डेय, केशवपुर, गूनाखोर, बरगदवांकला, सुल्तान नगर, भगौसा, लोहरौली गांव के पास यह सडक टूटकर गड्ढे में तब्दील हो गई है। सड़क की गिट्टियां उखड़कर गायब हो चुकी हैं। इस क्षतिग्रस्त मार्ग पर हर दिन दो पहिया वाहन सवार गिरकर चोटिल हो रहे हैं। पिपरा गोविद गांव के मसीहूद्दीन, रिजवान अहमद, सेमरियावां के अबूजर चौधरी, बरगदवांकला गांव के हबीबुल्लाह ने कहा कि एक दशक से यह सड़क खराब है। इस सड़क को ठीक कराने के लिए लोगों ने कई बार प्रदर्शन भी किया, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की खामोशी के चलते लोग रोजाना दिक्कत झेल रहे हैं। इन लोगों ने जिलाधिकारी से सड़क ठीक कराने की मांग की है।
हिदुओं के देव, मुसलमानों के पीर हैं बाबा रामदेव
बघौली ब्लाक मुख्यालय से लगभग आठ किमी की दूरी पर स्थित सुरदहिया गांव का बाबा रामदेव का मंदिर कौमी एकता का प्रतीक है। बाबा रामदेव को जहां हिदू अपना देवता मानते हैं तो मुसलमान भी इन्हें पीर मानकर यहां आकर इबादत करते हैं।
सुरदहिया में बाबा रामदेव के मंदिर पर हर दिन सैकड़ों की संख्या में भक्त आकर पूजा-पाठ करते हैं। मान्यता है कि बाबा सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। नवरात्र के पर्व पर यहां हिदू और मुसलमान एक साथ मिलकर अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा करते हैं। हिदू पूजा करते हैं तो वहीं मुसलमान इबादत करते हैं। यहां अभी तक दोनों संप्रदायों के बीच कभी विवाद नहीं हुआ है।
यह है मंदिर का इतिहास
15वीं शताब्दी के आरम्भ में पश्चिम राजस्थान के पोखरण नामक प्रसिद्ध नगर के पास रुणिचा नामक स्थान में तोमर वंशीय राजपूत और रुणिचा के शासक अजमल के घर चैत्र शुक्ल पक्ष की पंचमी संवत 1409 को बाबा रामदेव पीर का जन्म हुआ। कहा जाता है कि बाबा रामदेव ने सामाजिक कुरीतियों का जमकर विरोध किया। उन्होंने छुआछूत के लिए खिलाफ आंदोलन चलाया। इसे लेकर हिदू उन्हें बाबा रामदेव तो मुसलमान रामसा पीर के नाम से पुकारते हैं।