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कारोबार में अब अच्छे दिन की जगी आस

नाई की दुकानों (सलून) का कारोबार मंद रहता था। सप्ताह में चार दिन ही ठीक से काम चलने पर परिवार की रोजी-रोटी निर्भर रहती रही। कोरोना महामारी आई तो बचाव के लिए लाकडाउन की घोषणा कर दी गई। लगातार छह माह तक सैलून पूरी तरह से बंद रहे। इससे कारोबार के पूरी तरह खत्म होने की आशंका हो गई थी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 12:30 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 12:30 PM (IST)
कारोबार में अब अच्छे दिन की जगी आस
कारोबार में अब अच्छे दिन की जगी आस

संतकबीर नगर : वैसे तो पहले भी मंगलवार, गुरुवार व शनिवार को नाई की दुकानों (सलून) का कारोबार मंद रहता था। सप्ताह में चार दिन ही ठीक से काम चलने पर परिवार की रोजी-रोटी निर्भर रहती रही। कोरोना महामारी आई तो बचाव के लिए लाकडाउन की घोषणा कर दी गई। लगातार छह माह तक सैलून पूरी तरह से बंद रहे। इससे कारोबार के पूरी तरह खत्म होने की आशंका हो गई थी। भगवान की कृपा कहिए कि अनलाक की प्रक्रिया शूरू हुई। धीरे-धीरे ही सही कारोबार को एक बार फिर से अच्छे दिन आने की आस जगी है।

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खलीलाबाद कस्बे के मुखलिसपुर तिराहे पर सलून चलाने वाले रजत गुप्त ने कहा कि किराने और दवा की दुकानों को छोड़कर सभी कारोबार ठप थे, जो दुकान चल भी रही थी तो उसमें किसी की नाममात्र बिक्री रही तो किसी की कामचलाउ रही। सबसे बुरा प्रभाव तो सलून के कारोबार पर पड़ा। इससे लोग पहले ही चक्र में दूरी बनाने लगे। किसी को तौलिया की सफाई तो किसी को कोरोना संक्रमित होने की आशंका रही। एक भी ग्राहक छह माह तक नहीं आए। दुकान खुली तो भी लोग दूरी बनाकर ही रह रहे थे। इस बीच कारोबार फिर पटरी पर आता दिख रहा है। हालांकि अब पहले की तुलना में दुकान पर खर्च बढ़ गया है।

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वैकल्पिक साधनों का प्रयोग करने लगे लोग

रजत बताते हैं कि लाकडाउन में दाढ़ी बनवाने के लिए नाई की दुकान पर आने के बजाय लोग खुद के स्तर से सेविग किट लेकर यह कार्य करने लगे। भाई गलत भी नहीं है, बीमारी का डर सिर चढ़कर बोल रहा था। इक्का-दुक्का लोगों ने संपर्क भी किया तो घर पर पहुंचकर बाल काटने व दाढ़ी बनाने के लिए। ऐसे में कारीगर को भेजना भी कठिन काम था।

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घर की पूंजी से की कारीगरों की मदद

रजत का कहना कि जिदगी है तो आस रखते हुए कोई अपने कारोबार को छोड़ना नहीं चाहता है। इसी क्रम में उन्होंने भी घर की जमा पूंजी से अपने कारीगरों की मदद की। उनका कहना है कि अनलाक के बाद धीरे-धीरे ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी है। इससे कुछ दिन बाद कारोबार के पटरी पर आने की उम्मीद है।

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अभी भी आधा ही चल रहा कारोबार

सलून की दुकानों पर अब लोग आने तो लगे हैं परंतु चेहरे से सीधे तौर पर जुड़े इस कारोबार को लेकर भ्रम की स्थिति पूरी तरह खत्म नहीं हो सकी है। वर्तमान में लाकडाउन के पूर्व की तुलना में आधा का कारोबार हो रहा है। दिन-प्रतिदिन इसमें सुधार भी हो रहा है। इससे एक दो माह में सबकुछ सामान्य होने की उम्मीद है।

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कोरोना से बचाव के लिए बरती जा रही सतर्कता

रजत ने बताया कि सैलून पर एक तौलिए का प्रयोग दूसरे पर नहीं किया जा रहा है। मास्क लगाने के साथ ही बार-बार सैनिटाइजर का प्रयोग करके कारीगरों द्वारा कार्य किया जा रहा है। शारीरिक दूरी बनाकर सभी को बैठाने के साथ ही तौलिए के स्थान पर टिश्यू पेपर का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह ग्राहक व कारीगर सभी के लिए बचाव के लिए जरूरी है।

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लाकडाउन से हुई कोरोना पर रोकथाम

रजत ने कहा कि उनका कारोबार भले ही सबसे अधिक संकट में रहा। कोरोना से बचाव के लिए लाकडाउन एक बड़ा माध्यम रहा। इससे ही बीमारी का सामुदायिक प्रसार थम सका। उन्हें अपने नुकसान का मलाल तो होता पर जब पूरा देश झेल रहा था तो क्या किया जाय। वह कोरोना के जल्द खत्म होने के लिए भगवान से प्रार्थना भी कर रहे हैं।


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