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इंसानियत की राह पर चलने का संदेश देता है रोजा

रमजान माह को लेकर रोजेदारों में उत्साह है। बखिरा के मौलाना आफाक अहमद का कहना है रोजे का मतलब भूखा-प्यासा रहना ही नहीं। बुराइयों को छोड़कर गुनाहों से माफी मांग कर इंसानियत की राह पर चलने से है। लालच करना किसी की बदनामी करना बुराई करना झूठ बोलना एवं झूठी कसम खाने से परहेज करना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 May 2019 11:09 PM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 11:09 PM (IST)
इंसानियत की राह पर चलने का संदेश देता है रोजा
इंसानियत की राह पर चलने का संदेश देता है रोजा

संतकबीर नगर : रमजान माह को लेकर रोजेदारों में उत्साह है। बखिरा के मौलाना आफाक अहमद का कहना है रोजे का मतलब भूखा-प्यासा रहना ही नहीं। बुराइयों को छोड़कर गुनाहों से माफी मांग कर इंसानियत की राह पर चलने से है। लालच करना, किसी की बदनामी करना, बुराई करना, झूठ बोलना एवं झूठी कसम खाने से परहेज करना चाहिए। बरकत मेहदी हासन ने कहा इस्लाम की महत्वपूर्ण अवधारणाओं में जकात, मुस्लिमों के वित्त में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर इस्लामी वित्त वर्ष रमजान के समय में शुरू होता है और अगले रमजान के अंत में खत्म हो जाता है। जकात देने से बरकत होती है। पाक जरूरतमंदों की मदद कराना भलाई है। ऐसा करने से उसे जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा और अल्लाह की कृपा मिलती है।

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